संदेश

मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Today and tomorrow : संबंधों की बलि

चित्र
संबंधों की बलि वरूण काफी थक गया था. डियुटी पर काफी काम था. दिनभर में एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली. वह थकामांदा अपने घर पर पहुंचा. पंखा चला कर वह बैठ गया. उसकी पत्नी अपने तीन बच्चों को लेकर अपने भाई के घर गयी हुई थी. पंखे के नीचे बैठ कर उसने सोचा. वह थोड़ी देर आराम करने के बाद अच्छे से नहायेगा. इसके बाद चाय बनाकर पीयेगा और बाद में खाना बनायेगा. इतने में उसके कमरे के दरवाजे पर आवाज हुई. वरूण  ने कहां, ‘‘दरवाजा खुला हैं...’’ दरवाजा खोल कर अंदर किरायेदार की बीबी सुहानी चाय लेकर खड़ी थी. ‘‘लगता है आज आप काफी थक गए हैं. लीजिए चाय पी लीजिए.’’ ‘‘अरे, इसकी क्या जरूरत थी. मैं खुद चाय बनाने वाला था.’’ वरूण ने कहां. ‘‘भाभी होती तो आपको चाय मिल ही जाती.’’ ऐसा मेरी किस्मत में कहां, .... वह ठहरी गांव देहात की, उसको यह सब समझ कहां.... जब देखो तब काम में ही जुटी रहती हैं. अपने पति की ओर उसका ध्यान कहां है. राजकुमार किस्तम वाला है जो तुम जैसी खूबसूरत और समझदार पत्नी मिली.’’ वरूण ने कहां. ‘‘आप भी काफी बात बना लेते हैं. चलिए चाय पी लीजिए. नहीं तो चाय ठंडी हो जायेगी.’’ सुहानी ने चाय