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Crime Story in Hindi : नाजायज इश्क का अंजाम

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Crime Story in Hindi : नाजायज इश्क का अंजाम                                          श्रवण के साथ कविता का जीवन मजे से व्यतीत हो रहा था. शादी के बाद कविता आम औरतों की तरह अपना जीवन बिताने लगी. पर उसे लगता था कि जिंदगी से उसकी जो अपेक्षायें थी, वह पूरी नहीं हो पा रही है. उसे लगता था वह सिर्फ दाल-रोटी और रसोई घर में खटने के लिए नहीं बनी है. बल्कि उसे जीवन में रंगीनियों की जरूरत थी, जो उसे पति की सीमित कमाई से नहीं मिल सकती थी. अब कविता आए दिन अपने पति को अपनी जरूरते गिनाने लगी और जरूरते पूरी न होने पर झगड़ा करने लगी. श्रवण उसे समझाता कि जितनी उसकी कमाई है उसी में उसे संतोष करना चाहिए. पर अभावों का असंतोष कविता के दिलो दिमाग पर हावी होता जा रहा था. पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. कविता ने यह तय किया कि आर्थिक अभावों को दूर करने के लिए वह भी कुछ काम करेगी. वह काम की तलाश में निकल पड़ी. लेकिन उसे कहीं नौकरी नहीं मिली. काम की तलाश में भटकती हुए एक दिन उसका पूर्व परिचित सचिन से मुलाकात हो गई.  सचिन ने कविता से पूछा, ‘‘अरे, कविता तुम यहां क्या कर रही हो?’’ ‘‘नौकरी की तलाश में निकली थी.‘‘ 

Today and tomorrow : एक थी लड़की

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Today and tomorrow  News 24 Crime Story : एक थी लड़की Today and Tomorrow : एक थी लड़की | Crime Story in Hindi चैत्र का महीना अषाढ़ की तरह आग बरसा रहा था। 21 मार्च के उस दिन भी दमोह में दिन चढ़ते ही सन्नाटा पसर चुका था। धूप और धूल भरी सड़कों पर या तो इक्का-दुक्का लोग दिखाई दे रहे थे या फिर अधनंगे खेलते बच्चे, जिन्हें न ठंड सताती है और न गर्मी रूलाती है। मौसम का हर मिजाज अपने भूखे पेट और नंगे बदन पर झेलने की यह ताकत इन्हें इनकी गरीबी ने दी है। जिसमें पैदा हुए हैं और उसी में उन्हें एक दिन खत्म हो जाता है। छोटा-सा सैड़ारा गांव यू तो ठाकुर बाहुल्य है, फिर भी यहां अन्य समाज के लोग भी अच्छी खासी संख्या में है। गांव के बाहर मुख्य सड़क जहां से होकर गुजरती है। उसके एक किनारे पर चाय, पान की छोटी-सी दुकान है। और दूसरे किनारे पर आदिवासी लोगों की बस्ती है। जहां इन्द्रा आवास कुटीर योजना के तहत बने पक्के मकानों में गांव की आदिवासी समाज के लोग निवास करते है। मौसम खेतों में खड़ी पकी फसल की कटाई का होने की बज़ह से बस्ती के लगभग सभी वयस्क सदस्य खेतों की मजदूरी के लिए इन दिनों में  निकल जाते हैं। जिसक