Mysterious Story : Beautiful Angel उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी

Mysterious Story : Beautiful Angel उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी
Mysterious Story : Beautiful Angel उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी


होश उड़ा देने वाली कहानी. जब आप कहानी को पढ़ना शुरू करेंगे. बिना खतम किए इसे छोड़ेंगे नहीं. कहानी के हर पड़ाव पर हर एक नई घटना आपको चैकाएंगी. और आप सोचने पर मजबूर होंगे. चलिये शुरू करते हैं. उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी. 

Mysterious Story : Beautiful Angel उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी - विचित्र पक्षियों का झुण्ड आसमान में तैर रहा था। उनमें खास बात यह थी कि वे पक्षी नहीं मानव की तरह थे. उनकी पीठ पर भारी-भरकम पंख लहरा रहे थे, जिन्हें दखते ही मेरे मन में अनिष्ट की आशंका ने जन्म ले लिया और मैं भयभीत होकर किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा। दरअसल मैं जिस पहाड़ी पर खड़ा था, वह बीच जंगल में था।

इससे पहले कि मैं कोई निर्णय ले पाता, तभी एक नई घटना घट गयी। दरअसल उस पहाड़ी की जिस चट्टान पर मैं भयभीत खड़ा था। वह तेज गड़गड़ाहट के साथ अपने स्थान से खिसकने लगी थी। मेरा दिमाग तेजी से जान बचाने का रास्ता खोज रहा था, इसलिए मैंने दिमाग की हिदायत पर फौरन वह स्थान छोड़ दिया

और सामने खड़ी दो चट्टानों के बीच गुफा जैसी जगह में प्रवेश कर गया। जब मैंने गर्दन घुमाकर देखा तो कई पंखधारी मानव उस चट्टान के नीचे छिपे गुप्त रास्ते से बाहर निकल रहे थे। बाल रहित मानव शरीर वाले वह पंखधारी शायद किन्हीं बातों में मशगूल थे।


उनमें से एक थुलथुल शरीर वाला पंखधारी बड़े से पत्थर पर बैठ गया और वह सांकेतिक भाषा में कुछ कहने लगा, ‘चांग ची कुटिमूला.....।’’ यह सुनते ही तीन-चार पंखधारियों ने पंख फड़फड़ाते हुए जवाब दिया, ‘‘पोम्पा धुम धुम ... पोम्पा धुम धुम....।’’

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शायद यह उनकी अपनी भाषा थी, जिसमें थुलथुल शरीर वाला कुछ कह रहा था तथा बाकी उसका समर्थन कर रहे थे, लेकिन वे किस सम्यता के लोग थे? क्या अब से पहले किसी ने उन्हें नहीं देखा था? उनका आहार और जीवनशैली क्या हैं? क्या वे पक्षी और मानव के बीच की नस्ल हैे?


एक चट्टान की ओट में छिप कर उन्हें देखते हुए मेरे जेहन में अनेक सवाल उमड़ रहे थे। उन विचित्र प्राणियों को देखकर मैं अपने अभियान और मंजिल को भूल चुका था।

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अब मुझे जेहन में उपजे ताजा सवालों के जवाब चाहिए थे, इसलिए मैं उनकी अगली कार्रवाई का इंतजार करने लगा। बारिश बंद हो चुकी थी, लेकिन अंधकार अभी भी बरकरार था। मैंने समय का पता लगाने के लिए रिस्टवाॅच पर नजर डाली तो साढ़े बारह बज रहे थे।

उस घने अंधेरे जंगल में भी सही समय देखने में मुझे कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ी थी। क्योंकि घड़ी के बारह बिंदू तथा घंटे व मिनट की सुईयां रेडियम कोटिड थी, जो चमकती हुई सही दर्शा रही थी।

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रिस्टवाॅच पर समय देखने के बाद मेरी भेदक निगाहे उन पक्षी जैसे मानवों पर जा टिकी। वे अभी भी कुछ बातें कर रहे थे, जिससे मुझे कोई मतलब नहीं था। क्योंकि मैं उनकी भाषा नहीं जानता था। इसलिए मेरा मन उनकी कार्रवाई देखने को उत्सुक था। इसी उलझन में 10 मिनट से अधिक समय बीत गया, मगर कोई नया दृश्य दृष्टिगोचर नहीं हुआ, तो मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पीछे पहुंच गया।

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अब उन पंखधारियों और मेरे बीच केवल 10 कदम की दूरी शेष थी। मैं उस गुप्त रास्ते से खिसकी चट्टान की आड़ में छिपा पंखधारियों पर निगाहें गड़ाए बैठा था कि तभी वे पंखधारी अचानक उठकर खड़े हो गए। उन्होंने समूहगान जैसी शैली में संयुक्त रूप से कुछ कहा और पंख फड़फड़ाते हुए आकाश में उड़ने लगे।

अभी कुछ पल ही बीते थे कि उस गुुफा द्वार में अनगिनत पंखधारियों का एक दूसरा समूह तेज गति से बाहर निकल आया।


इस नये दल का नेतृत्व एक हसीन युवती कर रही थी। सुनहरे बदन वाली उस युवती के साथ जितने भी पंखधारी युवक-युवतियां थे वे सभी अपने हाथों में पथरीले हथियार लिए हुए थे। अत्युन्त कामुक देह की वह युवती मस्त गजगामिनी की भांति कदम बढ़ा रही थी।

पूर्णतया नग्न उन पंखधारियों के समूह को देखकर मैंने अंदाजा लगाया कि वह सुनहरे बदन वाली कामुक युवती उनकी पूजनीय रानी या राजकुमारी होगी।

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कुछ ही देर में उस गुफा से पूरा समूह बाहर निकल कर खड़ा हो गया, जिनकी संख्या 50 से अधिक रही होगी। जब सारा समूह एक गोलाकार दायरे में खड़ा हो गया तो सुनहरे बदनवाली युवती ने अपने पुष्ट उरोजों को सहलाते हुए कहा, ‘‘पनियानी       गुपची...’।


और फिर वे पहाड़ी से नीचे उतरने लगी। बाकी पंखधारी भी उसका अनुसरण करते हुए उसके पीछे-पीछे चल रहे थे। जब वह कुछ दूर पहुंचे तो मेरे मन में उनका पीछा करने का ख्याल उमड़ पड़ा। मैं देखना चाहता था कि वे कहा ंजा रहे हैं? तथा उनकी अगली कार्रवाई क्या होगी?

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बस इसी ख्याल के वशीभूत मेरे कदम भी उनका पीछा करने लगे। कुछ दूर पहुंचकर सारा समूह रूक गया और चट्टान के एक टूटे टुकड़े की तरफ देखने लगा। कुछ मिनट तक यह सिलसिला चला और फिर एक नया दृश्य उत्पन्न हो गया।

वह चट्टान अपने स्थान से खिसक कर दूर हो गया तथा वहां से रोशनी की तेज किरणें फूटकर बाहर तक निकल आई। गुफा का वह द्वार खुलते ही सारा समूह उसमें प्रवेश कर गया तो मैंने भी अंदर जाने का निश्चय कर लिया। मैं दबे कदमों से उसमें घुसा तो अंदर का मनोहारी दृश्य देखकर हैरान रह गया।

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वहा जलप्रपात का शीतल पानी एक झील में गिर रहा था। उस झील के चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। उसकी खुश्बू चारों फैल रही थी। कुछ वृक्ष विचित्र आकर्षण लिए हुएथे। जिन पर आम जैसे रक्तवर्ण के फल लटक रहे थे।

मैं फूलों के पीछे छिपा यह सारा नजारा देख रहा था, लेकिन इस बात से अंजान था कि मुझे भी कोई देख रहा हैं। जब उस नजारे को देखते-देखते मैं कल्पना लोक में प्रवेश करने जा रहा था,


कि तभी किसी ने मुझे बलिष्ठ बांहों में कैद कर लिया। वह मुझे घसीटता हुआ झील में जलक्रीड़ा कर रही उस सुनहरी बदन वाली युवती के सामने ले जाकर बोला, ‘‘ऐला, केची मल्ला.....।’’

यह सुनते ही वह युवती पानी से बाहर निकल आई और किसी पहलवान की भांति सामने खड़ी होकर मुझे देखने लगी। फिर उसने मेेरे चारों तरफ एक चक्कर काटा तथा सामने खड़ी होकर बोली, ‘‘टोलीकारा।’’

यह सुनते ही उस बलिष्ठ पंखधारी ने मुझे छोड़ दिया। इतनी देर में जलक्रीड़ा कर रहे सारे युवक-युवतियां भी वहां पहुंच चुके थे। थोड़ी देर तक वह पंखधारी युवती मुझे नीली आंखांे से घूरती रही, फिर पलट कर उसने अपने साथियों से इशारे में कुछ कहां।

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उसका इशारा पाते ही कुछ पंखधारियों ने मुझे पकड़ कर घसीटना शुरू कर दिया और वृक्ष के नीचे ले गए, जो आम जैसे फलों से लदा हुआ था। उन्होंने मुझे वहां छोड़ दिया और मेरे चारों ओर घेरा बनाकर नृत्य करने लगे। अत्यंत कामुक देह वाली वह युवती मस्त गजगामिनी की भांति कदम बढ़ा रही थी।

नृत्य का वह सिलसिला जैसे ही रूका सुनहरे बदन वाली युवती ने मुझे रक्तवर्ण का वह फल खाने क लिए दे दिया। वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे थे? यह मेरी समझ से बाहर था, फिर भी मैं बचाव का रास्ता तलाश कर रहा था।

इससे पहले कि मैं कोई युक्ति सोच पाता, तभी सुनहरे बदन वाली युवती नये सांकेतिक भाषा में वह फल खाने का आदेश दे दिया। इनकार करना उनके क्रोध को बढ़ाना था इसलिए मैंने फौरन वह फल खा लिया।


अभी उस फल को खाएं कुछ समय ही बीता था कि एक अनोखे अहसास ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। मुझे महसूस हुआ कि मेरे कंधे से कमर तक कोई तेज धार हथियर चल रहा है, जो मरे जिस्म को चीर डालेगा। किन्तु ऐसी हरकत कोई भी पंखधारी नहीं कर रहा था।

मैं अजीब उलझन में फंसा हुअ था कि एकाएक मेरी आंखे बोझिल होने लगी। मैंने जागते रहने की भरपूर कोशिश की, मगर मैं जीत नहीं पाया और कुछ ही पलों में गहरी नींद की आगोश मं चला गया। जब मेरी नींद खुली तो मैं उन पंखधारियांे जैसा बन चुका था। मेरे जिस्म पर भारी-भरकम दो पंख उग आये थे और सारा शरीर बाल रहित था।

मैं इन्हीं विचारों में लीन था कि भाग्य ने मुझे मानव से पक्षी क्यों बना दिया, तभी वह हसीन युवती आ गयी। अब मैं उसकी हर बात मानने पर मजबूर था, इसलिए उसके इशारे पर पीछे-पीछे चलता हुआ गुफा से बाहर निकल कर उनके पीछे-पीछे उड़ने लगा।

मैं भले ही पंखधारी मानव बन चुका था मगर मेरी सोचने की शक्ति व याददाश्त पूर्व की भांति बरकरार थी। मैं अपने शरीर में आए परिवर्तन के बाद भी उनके चंगुल से निकलने की युक्ति सोच रहा था, क्योंकि मुझे पहाड़ी के तल पर बसे एक गांव में पहुंचना था।

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जहां से मुझे लुटेरे अपहरण करके ले गये थे और मैं उनके चंगुल से छूट कर सुनसान पहाड़ी रास्तों से गुजर रहा था कि इन पक्षी मानवों की कैद में पहंुच गया था।

मुझे अपने परिवार की चिंता भी सता रही थी, क्योंकि लुटेरों ने मुझे अपहरण, करते समय कई गोलियां बरसाई थी। शायद कोई गोली मेरी पत्नी का सीना चीर गई हो या परिवर के किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो, रह-रहकर मेरे मस्तिष्क पटल में ऐसे ही सवाल जनम ले रहे थे, फिर भी मैं उन पंखधारियों के समूह के साथ उड़ रहा था।

अब मुझे नए रूप से निकलने की चिंता भी सताने लगी थी, किन्तु कोई युक्ति दिमाग में नहीं आ रहा था। इसी उलझन में घिरा में कब पंखधारियों की गुफा तक पहुंच गया यह पता ही नहीं चला था। जब हम उन पहाड़ियों में बनी गुफा में प्रवेश करने ही वाले थे कि अचानक सारा समूह भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे।

सारे माहौल में चीख पुकारों से खलबली मच गयी थी, मगर मुझे समझ में नहीं आया कि इस दहशत का कारण क्या हैं|


देखते ही देखते पंखधारी आकाश की तरफ उड़ चुके थे। लेकिन मैं फिर भी वहां खड़ा था। मैने हालात का जायजा लेने के लिए आगे बढ़कर गुफा के द्वार से अंदर झांक कर देखा तो सारे शरीर में सिहरन दौड़ गयी। पल भर के लिए महसूस हुआ कि जिस्म का सारा खून जम गया है। मेरे पांव जड़ हो चुके थे और आंखे दहशत से फटी हुई थी।

सचमुच वहां का दृश्य खौफनाक था। मैंने खुली आंखांे स देखा कि दो पिशाच अपने नुकीले दांतों से पंखधारियों का रक्त चूस रहे हैं। कई पंखधारियों के जिस्म मृत अवस्था में सुन्न पड़े थे और कई पिशाचों की कैद में तड़प रहे थे। अब मुझे पंखधारी मानवों का वहां से भागने का कराण पता चल गया था। इसलिए मैं भी अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहता था। मैं भी उन पंखधारियों के पीछे-पीछे भागने लगा।

आगे-आगे पंखधारी मानव और युवतियां तथा पीछे-पीछे मैं उस दैत्य से डर कर भाग रहा था। इतने में वे युवतियां मेरे इर्द-गिर्द घेरा बनाकर मुझे अंदर ले गयी और दैत्य आकार की एक युवती ने कोई मंत्र बुदबुदाते हुएदरवाजे पर फूंक मारी, जिससे वह दरवाजा बंद हो गया तथा वे हाथियों जैसे शरीर वाले नरपिशाच बाहर ही रह गये।

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इसी घटना के साथ एक नया सिलसिला शुरू हो गया। मानव पंखधारी तथा बूढी पंखधारिणी महिलाएं तो एक शिला स्तंभ की तरफी निहारने लगें। जैसे अपने इष्ट देवता का आहवान कर रहे हो, तथा जवान पंखधारी युवतियां मेरे सामने कामुक नृत्य करने लगी।

यह सब उस सुनहरे बदन वाली युवती के निर्देशन में हो रहा था। वह राजकुमारी सरीखी सुंदरी अपने उन्नत अरोजो को सहलाती हुई दोनों हाथों के सहारे उल्टी चलती हुई आती और फिर मेरे बदन को बेतहाशा चूमने लगती थी।

आखिर वह क्या कह रही थी, यह मेरी समझ से बाहर की बात थी। मगर फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। तीसरी बार जब वह युवती मेरे बदन का चुम्बन लेने लगी तो मैंने आवेश में उसका बदन अपनी बांहों में कैद कर लिया तथा असंख्य चुम्बन जड़ दिये।

मेरी यह हरकत उन्हें बहुत पसंद आई थी। इसलिए बाकी पंखधारी युवतियां खुशी से उछल पड़ी और अत्यंत कामुक तरीके से अपने बद को सहलाने लगी। यह देखते ही मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाहती हैं।
शायद वे सब युवतिंया समर्पण करना चाहती थी |


जिनमं सबसे आगे वह राजकुमारी थी। जब मैंने हालात को समझा तो मैंने सांकेतिक भाषा में उस राजकुमारी से अपने पुराने रूप में आने की मांग की। जिसे वह समझ चुकी थी और तैयार भी हो गई थी।

शायद इसीलिए उस राजकुमारी ने मुझे अपने पीछे आने का इशारा किया था। जब मैं उसके करीब पहुंचा तो उसने मुझे झील के दमकते पानी में उतार दिया। फिर कुछ देर बाद उसने मुझे बाहर निकाल कर पथरीली जगह पर लिटा दियातथा कुछ फूलों का रस निचोड़ कर मेरे बदन पर मसलने लगी।

इस काम में बाकी युवतियां उसकी मदद कर रही थी। जब मेरा सारा शरीर फूलों के महकते रस से सराबोर हो गया तो वह राजकुमारी गुफा में लगे पेड़ों पर कुछ ढूंढने चली गयी। करीब 5 मिनट बाद वह वापस लौटी तो उके हाथ में केले के आकार के दो फल थे।

जिनमें से एक मुझे खिलाने के बाद वह सुंदरी दूसरा फल खाती हुई मेरे नग्न जिस्म पर सवार हो गयी। थोड़ी देर में मुझे उस फल की ताकत का अहसास होने लगा था।

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मेरा समूचा जिस्म काम ज्वालाओं से धधक रहा था। मैं केवल अनुमान ही लगा सकता था कि उस नवयौवना की हालत भी मेरी ही तरह हो चुकी होगी। मेरा अनुमान सही भी था, क्योंकि वह स्वप्न सुंदरी कुछ ही देर में काम-भावनाओं में सुलगती हुई मेरे जिस्म पर काम नृत्य करने लगी।

यह कार्यवाही ठीक वैसी ही थी जैसी स्त्री-पुरूष समागम के दौरान होती हैं। जब वह मेरे जिस्म पर कामुक नृत्यकर रही थी तभी मुझे नया अहसास हुआ। मेरे जिस्म में उगे पंख तेजी से संकुचित होने लगे और देखते ही देखते मैं पहले जैसी अवस्था में आ गया था।


मेरे शरीर को पंख विहीन होता देख वह युवती दूर खड़ी होकर मुस्कराने लगी, उसके चेहरे पर बदलते भाव तथा गुलाबी होंठो के संकेत से मैंने उसके मन की भावना पढ़ ली थी। शायद वो कहना चाहती थी, अब तो खुश हो.... तुम पहले जैसे इंसान बन गए हो।

इस कार्यवाही के अंतिम क्षणों तक मेरे जो विचार थे, वह एकाएक बदल चुके थे, क्योंकि मैं मनुष्य से पक्षी बनने तथा पक्षी से मनुष्य बनने का मंत्र समझ चुका था। इसलिए मैं उस युवती से दोस्ती करना चाहता था, ताकि कभी भी उनके सहयोग से पंख लगा कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर सकूं और फिर पुराने रूप में पहुंच कर लोगों को हैरान कर दूं |

मगर मैं यह बात समझाने के लिए उनकी भाषा में नहीं बोल सकता था। मैंने अपने दिल की बात सांकेतिक भाषा में समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी। वे मुझे विदा करना चाहती थी मगर मैं जाने को तैयार नहीं था।

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बस इसी बहस में उलझे हमें पता ही नहीं चला कि कितनी देर हो चुकी हैं। वे युवतियां मुझे जाने का इशारा कर रही थी। मेरा मन वहां से आने का नहीं कर रहा था. उनके साथ रह कर जैसे मैं सपना देख रहा था।

वे मुझे एक पहाड़ी पर ले आयी। मुझे किसी ने झकझोर कर उठाया। मैंने देखा मेरी पत्नी मेरे सामने चाय लेकर खड़ी है। आज भी जब मैं उस पहाड़ी को देखता हूॅ उन उड़न सुदरी की यादों में डूब जाता हूॅ।  (कथा पूरी तरह से काल्पनिक है.)

Web Title : Todey India News Mysterious Story : Beautiful Angel उड़न सुदंरी की रहस्यमय कहानी

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