Crime Story in Hindi : नाजायज इश्क का अंजाम



Crime Story in Hindi : नाजायज इश्क का अंजाम 

                                       
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श्रवण के साथ कविता का जीवन मजे से व्यतीत हो रहा था. शादी के बाद कविता आम औरतों की तरह अपना जीवन बिताने लगी. पर उसे लगता था कि जिंदगी से उसकी जो अपेक्षायें थी, वह पूरी नहीं हो पा रही है. उसे लगता था वह सिर्फ दाल-रोटी और रसोई घर में खटने के लिए नहीं बनी है. बल्कि उसे जीवन में रंगीनियों की जरूरत थी, जो उसे पति की सीमित कमाई से नहीं मिल सकती थी.

अब कविता आए दिन अपने पति को अपनी जरूरते गिनाने लगी और जरूरते पूरी न होने पर झगड़ा करने लगी. श्रवण उसे समझाता कि जितनी उसकी कमाई है उसी में उसे संतोष करना चाहिए. पर अभावों का असंतोष कविता के दिलो दिमाग पर हावी होता जा रहा था. पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. कविता ने यह तय किया कि आर्थिक अभावों को दूर करने के लिए वह भी कुछ काम करेगी. वह काम की तलाश में निकल पड़ी. लेकिन उसे कहीं नौकरी नहीं मिली.

काम की तलाश में भटकती हुए एक दिन उसका पूर्व परिचित सचिन से मुलाकात हो गई. 
सचिन ने कविता से पूछा, ‘‘अरे, कविता तुम यहां क्या कर रही हो?’’

‘‘नौकरी की तलाश में निकली थी.‘‘ 
‘‘अच्छा हुआ तू मिल गई. मुझे काम के लिए एक लेडी की तलाश थी, तेरी नौकरी पक्की.‘‘

अगले दिन से कविता सचिन के बताए पते पर काम के लिए जाने लगी. कविता और सचिन दोनों पहले से परिचित थे इसिलए दोनों घुलमिल कर काम करने लगे. सचिन पहले से ही कविता को चाहता था पर वह अपनी बात पहले कभी कविता से कह नहीं पाया था. 
दोबारा मुलाकात होने पर जब उसे पता चला कि कविता शादीशुदा है. इसके बावजूद उसका प्यार कम नहीं हुआ. आखिर एक दिन उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए कहा, ‘‘कविता मैं तुम्हें प्यार करता हूं.’’

‘‘लेकिन सचिन, तुम तो जानते हो, मैं शादी शुदा हूं.’’

‘‘होने दो न इसमें हमारे प्यार में क्या असर पड़ेगा.’’ सचिन ने प्यार और अपनापन की ढ़ेर सारी बातें सुनाकर उसे प्रभावित कर लिया. 
कविता अभाव की जिंदगी जी रही थी. ऊपर से उसका पति अब शराब पीकर आए दिन झगड़ा भी करने लगा था. सचिन ने उसके सारे दुखते रंग पर हाथ रख कर प्यार का मरहम लगा दिया था. सचिन के प्यार के मरहम से अपने सारे दुख दर्द को भूलकर उसकी बाहों में समा गई.
उसी दिन उनके बीच की सारी दुरियां खत्म हो गई. कहते है इश्क और मुश्क छुपाएं नहीं छुपते. दोनों के बीच का पाप कुछ समय तक तो छिपा रहा. 
एक दिन श्रवण को उसके मिलने जुलने वाले और परिचितों ने उसकी बीबी कविता और सचिन के बारे में बताया.
श्रवण ने जब उससे सचिन के बारे में पूछा तो कविता भड़क गई. ‘‘देखो! जवान संभाल कर बात करो. अपनी बीबी से कोई ऐसी बात करता है क्या.’’

‘‘देखो! मैं कह देता हूं, अगर कुछ है तो अब भी संभल जाओ, वर्ना मैं कतई बदार्शत नहीं करूंगा.’’ इतना कह कर श्रवण वहां से चला गया.

एक दिन श्रवण ने कविता और सचिन को अपने ही घर पर रंगे हाथ पकड़ लिया.

उस दिन श्रवण ने कविता की जम कर पिटाई की. सचिन मौके से भाग निकला था. 
अब श्रवण, कविता से काफी चिढ़ने लगा था. ज बवह शाम को शराब पीकर घर लौटता तो उसका खून खौल जाता और गुस्से में कविता की जम कर पिटाई करता.
रोजरोज की पिटाई से तंग आकर एक दिन सुनिता ने सचिन से कहा, ‘‘ऐसा कब तक चलेगा. मैं कब तक अपने पति के हाथों पिटती रहूंगी.’’

यह बात जब उसने सचिन को बतायी तो दोनों ने श्रवण से छुटकारा पाने के लिए प्लान बनाया. रात को जब श्रवण शराब पीकर घर आया और कविता के साथ झगड़ा करने लगा तो उसने सचिन को फोन करके घर बुला लिया. घर पर सचिन को आया देखकर श्रवण का गुस्सा भड़क गया. वह सचिन को गाली देने लगा. उसका गुस्सा इतना बढ़ गया कि वह सचिन को मारने के लिए डंडा उठा लिया. 
कविता और सचिन तो यही चाहते थे. दोनों ने मिलकर श्रवण की डंडे से जमकर पिटाई की. जिससे श्रवण बेहोश हो गया. इसके बाद दोनों ने मिलकर श्रवण का गला घोंट दिया. श्रवण के मर जाने की खुशी में दोनों यह भूल गए की घर में श्रवण की लाश पड़ी है. जब उनका रोमांश कम हुआ तब तक सुबह हो चुकी थी.
आनन-फानन में दोनों ने श्रवण की लाश को घर के बाहर पटक दिया. इसके बाद सचिन वहां से चला गया. कविता श्रवण के लाश के पास बैठकर जोर-जोर से रोने लगी. उसके रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग वहां जमा होने लगे.
मकान मालिक ने जब श्रवण की लाश देखी तो उसने पुलिस को सूचना दे दी. उसने पुलिस को यह भी बताया कि उसे यह मौत संदिग्ध लग रहा है. कृपया इसकी जांच की जाए. 
पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. श्रवण का शव घर के बार दलान में पड़ा था. जिसके चेहरे, सिर, नाक व गले पर चोटों के निशान थे. जहां खून जमा हुआ था. ऐसा लग रहा था हत्यारे ने उसकी डंडे या लोहे की छड़ से पिटाई की हो. 
मृतक की पत्नी कविता अपने पति के लाश के पास बैठी रो रही थी. बीच-बीच में उसका रोना तेज हो जाता था. पुलिस ने मृतक की पत्नी कविता से पूछताछ की तो उसने बताया, श्रवण कल रात को लगभग 9 बजे बाहर घुमने जाने की बात कह कर गया था.

जो काफी समय तक नहीं लौटा तो उसे आशंका होने लगी. कुछ देर तक वह अपने पति के आने का इंतजार करने लगी. काफी देर हो जाने पर वह नहीं आया. पति का इंतजार करते करते वह सो गई थी. सुबह जब नींद खुली तो बाहर निकलकर देखा, उसका पति मृतावस्था में पड़ा है.

पुलिस टीम ने जब घर के अंदर का निरीक्षण किया तो वहा खून के निशान और डंडा दिखाई दिया. ऐसे में मृतक की पत्नी कविता द्वारा बतायी गयी कहानी संदेहास्पद लगी.

पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो कविता उन्हें बातों में घूमा फिराने लगी, लेकिन पुलिस के सवालों के आगे वह अधिक देर तक टिक नहीं पायी. कविता ने पुलिस को अपने पति के हत्या करने की सारी कहानी बयान कर दी.

पुलिस को जब सचिन के वहां से फरार होने की बात पता चली तो उसे गिरफ्तार करने के लिए अलग-अलग कई टीम बनाई और उसे रेलवे स्टेशन से पकड़ लिया जो भागने की तैयारी कर रहा था. थाने में कविता को देखकर सचिन समझ गया कि मामला खुल चुका है.

पुलिस के सामने अगर उसने चालाकी दिखाने की कोशिश की तो उसके कोप का शिकार होगा ही बाद में सारी असलियत बतानी ही पड़ेगी. इससे अच्छा है अपना अपराध कबूल कर ले. 
(कथा पुलिस सूत्रों तथा मीडिया में प्रकाशित खबरों पर आधारित नाट्यरूपांतर)

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