Today and tomorrow : एक थी लड़की

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Today and tomorrow  News 24 Crime Story : एक थी लड़की


Today and Tomorrow : एक थी लड़की | Crime Story in Hindi



चैत्र का महीना अषाढ़ की तरह आग बरसा रहा था। 21 मार्च के उस दिन भी दमोह में दिन चढ़ते ही सन्नाटा पसर चुका था। धूप और धूल भरी सड़कों पर या तो इक्का-दुक्का लोग दिखाई दे रहे थे या फिर अधनंगे खेलते बच्चे, जिन्हें न ठंड सताती है और न गर्मी रूलाती है। मौसम का हर मिजाज अपने भूखे पेट और नंगे बदन पर झेलने की यह ताकत इन्हें इनकी गरीबी ने दी है। जिसमें पैदा हुए हैं और उसी में उन्हें एक दिन खत्म हो जाता है।

छोटा-सा सैड़ारा गांव यू तो ठाकुर बाहुल्य है, फिर भी यहां अन्य समाज के लोग भी अच्छी खासी संख्या में है। गांव के बाहर मुख्य सड़क जहां से होकर गुजरती है। उसके एक किनारे पर चाय, पान की छोटी-सी दुकान है। और दूसरे किनारे पर आदिवासी लोगों की बस्ती है। जहां इन्द्रा आवास कुटीर योजना के तहत बने पक्के मकानों में गांव की आदिवासी समाज के लोग निवास करते है। मौसम खेतों में खड़ी पकी फसल की कटाई का होने की बज़ह से बस्ती के लगभग सभी वयस्क सदस्य खेतों की मजदूरी के लिए इन दिनों में  निकल जाते हैं। जिसकी वज़ह से पूरे गांव में सन्नाटा पसरा था।

पास ही बसे बटयागढ़ में एक मिनी थियेटर  है। जब दोपहर के समय गांव के अधिकांश लोग खेतों मे ंकटाई करने के लिए गए हुए थे। उस वक्त जवान किस्म के कुछ बटयागढ़ मिनी थियेटर के लिए जा चुके थे।
चारों ओर फैली खामोशी के बीच हवा के साथ पेड़ों से गिरते पत्तों की खड़खड़ाहट ही उस सुनसान वातावरण में अपना संगीत घोल रही थी। सूरज ठीक सिर पर था। गांव के आवारा कुत्ते हैंडपम्प के पास भरे पानी में बैठकर अपनी लंबी जीभ निकालकर हांफ रहे थे। गाय बछेरू पेड़ों की छांव में अपना डेरा डाल चुके थे। Today and tomorrow  News 24 Crime Story : एक थी लड़की | Crime Story in Hindi

ऐसे समय में लगभग बीस वर्षीय एक युवक सन्नाटे से नजरें चुराते हुए सड़क की दूसरी तरफ बसी आदिवासी बस्ती की ओर बढ़ रहा था। सड़क के इस पार खड़े पेड़ की छांव में उसने दो पल रूककर स्थिति का जायजा लिया और जब देखा कि कहीं कोई नहीं हैं, तो तेजी से कदम बढ़ाता हुआ चंदू आदिवासी की कुटीया में घुस गया। उस वक्त चंदू अपनी पत्नी गेंदाबाई और बड़े बेटे के साथ कटाई का काम करने के लिए खेतों में गया था। घर में उसकी पन्द्रह साल की बेटी लीला अकेली थी। चंदू की कुटीया में यूं मौका ताड़कर घुसने वाले युवक का नाम गोविंद ठाकुर था, जो इसी गांव के सम्मानित ठाकुर परिवार का बेटा था।

गोविंद की उम्र लगभग 19 साल है। वह कक्षा दसवीं का छात्र है। गोविंद ने जैसे ही सूनी कुटीया में प्रवेश किया उसकी राह तकती लीला उसे देखकर खुश हो गई और दौड़कर उससे लिपट गई। गोविंद ने भी उसको बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन में मुंह छुपाकर लंबी-लंबी सांसे भरने लगा। काफी देर तक चैत्र की गर्मी में तपते दो युवा शरी अपने आपको वश में किए रहे, लेकिन जब पे्रम की तपन हद से गुजरने लगी तो लीला ने खुद को किसी तरह से गोविंद की बांहों से अलग किया औरशर्माते हुए दरवाजा बंद करने लगी। Today and tomorrow  News 24 Crime Story : एक थी लड़की | Crime Story in Hindi

कुछ देर बाद यह ंकइना कठिन था कि बाहर बह रही गर्म हवा की सरसराहट में अधिक शोर था या उस बंदर कुटीया से आ रही गोविंद और लीला की सांसों की आहट में। सांसों की आहट एक सीमा तक बढ़ने के बाद धीरे-धीरे शांत हो गई। सिर तक चढ़ा सूरज अब उतरने लगा था और उसके साथ ही सिमटने लगी थी गांव में फैली सन्नाटे की चादर, जिसे लीला की मर्मातक चीखों ने अचानक ही तोड़ दिया। आसपास खेल रहे बच्चे और कुटीया में दोपहरी काटते हुए कुछ वृद्ध स्त्री-पुरूषों ने जब उसकी दर्दनाक चीखों को सुना तो वे बाहर निकल आए।

पन्द्रह साल की मासूम लीला धू-धू कर जल रही थी। बस्ती में मौजूद लोगों ने किसी तरह उसकी आग बुझाई, लेकिन तब तक वह लगभग 80 प्रतिशत जल चुकी थी। बस्ती के कुछ बच्चों ने भागकर खेतों में काम कर रहे लीला के माता-पिता को इस घटना की सूचना दी। खबर पाकर लीला के माता-पिता भागे-भागे कुटीया पहंुचे। तुरंत बटयागढ़ से एम्बुलेंस बुलाकर लीला को अस्पताल ले जाया गया। जाहं से उसे दमोह भेज दिया गया। इतना बड़ा हादसा हो गया लेकिन आश्चर्य की बात थी कि बटयाढ़ में इस बात की किसी को भनक तक नहीं थी।

यहां तक कि उन डाॅक्टरों ने जिन्होंने लीला को दमोह के लिए रिफर किया था, घटना की जानकारी बटयागढ़ पुलिस को नहीं दी। इधर जब लीला उपचार के लिए दमोह पहुंची तो उसकी हालत देखकर मौके पर मौजूद डाॅक्टरों ने तत्काल कोतवाली पुलिस को घटना की सूचना दी।

लीला काफी अधिक जल चुकी थी। इसलिए उसकी हालत देखते हुए पुलिस ने उसके मरणासन्न बयान लेने के लिए नायब तहसीलदार को बुला भेंजा। जिन्हें लीला ने बताया कि गांव के गोंविद ठाकुर ने उसके साथ मनमानी करने की कोशिश की, लेकिन जब उसने गोविंद को हद से आगे बढ़ने से रोका तो उसने उसके ऊपर केरोसिन डालकर आग लगा दी। Today and tomorrow  News 24 Crime Story : एक थी लड़की | Crime Story in Hindi

उसने यह भी बताया कि गोविंद उसे लंबे समय से तंग करता था। वह पुलिस वाले का बेटा है और अपने पिता के पुलिस में होने की धमकी देकर उससे गलत संबंध बनाना चाहता था। इससे पहले भी गोविंद उसके साथ कई बार ऐसा करने की कोशिश कर चुका था। उस दिन दोपहर में वह घर पर अकेली थी। इसी का फायदा पाकर गोविंद ने उसकी इज्जत लूटने की कोशिश की। जब उसने गोविंद का विरोध किया तो उसने चुपचाप उसकी बात न मानने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद भी जब वह गोविंद का साथ देने के लिए राजी नहीं हुई तथा शोर मचाने की कोशिश की तो गोविंद ने पास में रखा केरोसिन डालकर उसे आग लगा दी और भाग गया।

शाम के लगभग सात बजे थे। बटयागढ़ थाना प्रभारी सुमनसिंह धुर्वे अपने कक्ष में बैठे पुराने मामलों की समीक्षा कर रहे थे कि तभी कंट्रोल रूम दमोह से प्राप्त सूचना के बाद उन्हें मालूम चला कि उसके थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की को जिंदा जलाने का प्रयास किया गया है।

घटना की रिपोर्ट दमोह कोतवाली में जीरों पर कायम की गई थी और किशोरी की आग के हवाले करने वाले युवक का नाम गोविंद ठाकुर पिता कल्याण सिंह ठाकुर उम्र 19 साल, निवासी सैड़ारा, थना बटयागढ़ बताया गया था। श्री धुर्वे ने तत्काल गांव में गोविंद को पकड़ने के लिए रेड डाली तो वह गांव से नदारद मिला। इस बीच श्री धुर्वे को पता चला कि नामजद आरोपी के पिता कल्याण सिंह पुलिस महकमे में ही काम करते है और वर्तमान समय में वह थाने की सादपुर चैकी में पदस्थ है। उनका मकान बटयागढ़ की पुरानी पुलिस लाइन में भी है। Crime Story in Hindi

22 मार्च को सूरज उगने से पहले ही श्री धुर्वे ने बटयागढ़ गांव में पुलिस लाइन में स्थित मकान से गोविंद को पकड़ लिया। थाने लाकर जब गोविंद से पूछताछ की गई तो पहले उसने लीला को पहचानने से इंकार कर दिया। लेकिन जल्द ही गोविंद समझ गया कि सच्चाई बताने में ही उसकी भलाई है इसलिए उसने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसका कहना है कि लीला से उसका पे्रम पं्रसग पिछले कई महीनों से चल रहा है, लेकिन लीला पूरी तरह से उसे अपने नजदीक नहीं आने देती थी। इसी वजह से नाराज होकर उसने उसे आग के हवाले कर दिया। गोविंद ने पुलिस को जो जानकारी दी उसके अनुसार कहानी कुछ इस प्रकार थी।

गोविंद, कल्याण सिंह ठाकुर का सबसे छोटा बेटा था। कल्याण सिंह ठाकुर सादपुर चैकी में पदस्थ है। गोविंद के दो भाई और एक बहन है। बहन की शादी हो चुकी है, जबकि बड़ा भाई गांव में ही किराने की दुकान चलाता है और मंझला भाई नौकरी करता हे। गोविंद का परिवार सैड़ारा गांव का मूल निवासी है। पिता कल्याण सिंह ठाकुर की तरह उसके दादा भी पुलिसकर्मी थे।

गांव में ठाकुर परिवारों की संख्या अधिक है। जिसमें से अधिकांश गोविंद के परिवार से ही संबंधित है। गोविंद घर में सबसे छोटा था, इसलिए सभी लोगों का वह लाड़ला था। नतीजा यह हुआ कि अवारागर्दी गरना उसका शगल बन गया था। गोविंद के पिता कल्याण सिंह भले आदमी थे। इसलिए जब उन्होंने देखा कि गोविंद को पढ़ने-लिखने में रूचि नहीं है तो उन्होंने उसे गांव में किराने की एक छोटी सी दुकान खुलवा दी। गोविंद की यह दुकान लीला के घर के ठीक सामने थी।

लीला अक्सर उसकी दुकान से घरेलू सामान लेकर जाती थी। आते-जाते गोविंद ने जब लीला को देखा तो उसकी ओर आकर्षित हो गया। उस वक्त लीला की उम्र मात्र 13 साल थी, लेकिन ऊंचे कद व शारीरिक बनावट के कारण वह काफी बड़ी दिखती थी। लीला गांव के स्कूल में ही छठवीं कक्षा में पढ़ती थी। Crime Story in Hindi

 गोविंद उन दिनों जवानी के आंगन में कदम रख चुका था। उसके मन में किसी लड़की की नजदीकी को लेकर रंगीन सपने आकार लेने लगे थे। ऐसे में जब उसने अपने पास सांवनली पर अप्रतिम सौंदर्य की धनी इस आदिवासी वाला को पाया तो उसके सारे सपने लीला के चारों ओर सिमट गए। लीला उसके सपनों की प्रेमिका बन गई और वह उसे लेकर रात-दिन सपने देखने लगा। नतीजा यह हुआ कि उसने अपने मन की बात लीला को बताने की ठान ली।

एक दिन मौका पाकर उसने लीला को समझाने की कोशिश करने लगा। गोविंद कभी लीला की सुंदरता की तारीफ कर देता तो कभी सामान देते समय उसका हाथ धीरे से दबा देता था। गोविंद अपनी दुकान छोड़कर, लीला के पीछे-पीछे उसके स्कूल तक जाने लगा।

लीला उम्र में छोटी जरूर थी, लेकिन वह गोविंद की हरकतों को खुब समझती थी। अपने प्रति गोविंद की दीवानगी देखकर लीला भी उसकी ओर आकर्षित होने लगी थी, लेकिन मन ही मन वह अपने माता-पिता व भाई से डरती थी।

ठाकुरों के किस्से सुनकर व फिल्मों में उन्हें व्यवहार को देखकर सोचती थी कि गोविंद का क्या भरोसा आज प्यार का दम भर रहा है और कल अपना मतलब निकल जाने पर उसे पैरों की जूती बना लेगा। इसलिए भी वह चाहकर भी गोविंद के प्यार का जवाब प्यार से नहीं दे पा रही थी।

लेकिन उम्र ही ऐसी थी कि सब कुछ समझते हुए भी वह अपने पर काबू न रख सकी और गोविंद की तरह आकर्षित हो गई। वह भी गोविंद से मिलने का कोई न कोई बहाना ढुढ़ने लगी। लीला का बार-बार दुकान पर आना, गोविंद को अच्छा लगने लगा। वह समझ गया कि लीला भी उससे प्यार करने लगी है।

एक दिन सामान लेने के लिए लीला जब गोविंद की दुकान पर पहुंची, गोविंद ने सामान देने के बहाने लीला का हाथ पकड़ लिया। लीला ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की। तभी किसी को आता देखकर गोविंद ने जल्दी से लीला का हाथ छोड़ दिया। लीला, गोविंद की तरफ देखकर मुस्कराई और वहां से चली गई।Crime Story in Hindi

लीला की मुस्कान से मानो गोविंद को मुंह मांगी मुराद मिल गई। वह लीला के घर के आसपास चक्कर लगाने लगा और एक दिन मौका पाकर अकेले में उसके घर में जा पहुंचा। पहली बार एकांत में अपने सामने गोविंद को देखकर लीला का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। गोविंद ने आगे बढ़कर लीला को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे चूमने लगा।

गोविंद, लीला के कोमल अंगों को छूने की कोशिश करने लगा, तो लीला घबरा गई। उसने किसी तरह गोविंद से अपने को अलग किया और उसे घर से चले जाने के लिए कहा। गोविंद ने समझा की लीला शर्म की वजह से उससे शारीरिक संबंध बनाने से डर रही है। इसीलिए वह जब भी लीला से मिलता उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाता रहता था, लेकिन लीला एक सीमा के बाद अपने आप को संभाल लेती थी। वह गोविंद से कहती की यह सब पाप है। वह उससे शादी कर लें फिर वह जो चाहें उसके साथ करें। गोविंद उसकी बात मानने के लिए तैयार न था। इसी बात को लेकर दोनों मे अक्सर तकरार होने लगी।

गोविंद लीला पर पुलिस वाले का बेटा होने का रौबा दिखाकर अपना मतलब पूरा करने की कोशिश करने लगा। इसके बावजूद भी लीला उसके सामने आत्मसमर्पण के लिए तैयार नहीं हुई। धीरे-धीरे गोविंद के मन में स्त्री सुख की चाह बढ़ने लगी। वह लीला को पाने के उपाय सोचने लगा और एक दिन उसने निश्चय किया कि अब वह लीला से मिलेगा और अपना बना कर ही रहेगा।

21 मार्च के दिन मौका पाकर गोविंद, लीला के घर पर पहुंचा। उसने प्यार से लीला को संबंध बनाने के लिए भड़काने लगा। लीला भी उससे लिपट गई, लेकिन जैसे ही गोविंद ने उसके अंगों को छुआ वह गोविंद को ढकेल कर उससे अलग हो गई। लीला के ऐसे व्यवहार से गोविंद भड़क गया। उसके धैर्य का बांध टूट गया। वह लीला के साथ जोर जबदस्ती करने लगा। दोनों में हाथा-पाई होने लगी।Crime Story in Hindi

गोविंद सेक्स की आग में बूरी तरह से जल रहा था। वह किसी तरह से लीला के साथ संबंध बनाना चाहता था, लेकिन लीला के हाथ पैर चलाने से वह चिढ़ गया और उस पर हावी होने की कोशिश करने लगा। गुस्से में पागल गोविंद को केरोसिन का कैन दिखाई दिया। उसने केरोसिन लीला पर डालकर आग लगा दी और वहां से भाग गया। कथा लिखे जाने तक गोविंद जेल में था।

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