Today and tomorrow : Murder of a prostitute एक वेश्या की हत्या
Today and tomorrow : Murder of a prostitute एक वेश्या की हत्या
एक वेश्या की हत्या के पीछे क्या था राज ..... एक वेश्या कैसे पड़ी किसी के प्रेम में.... वेश्या की हत्या क्यों और कैसे हुए ........ वेश्या का कातिल कौन था उसका प्रेमी या और कोई ------ कातिल तक पहुंचने के लिए पुलिस ने क्या-क्या नहीं किया. ......... क्या वह कातिल तक पहुंच पायी. एक रहस्य और रोमांचक स्टोरी जिसके हर शब्द रोमांच पैदा करते हैं. ..... रोमांच की दुनिया में डुबने के लिए तैयार हो जाएं. आप हर पल जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे अगले पल क्या हुआ.
वपुनि गवई ने उसे सामने कुर्सी पर आराम से बैठनेके लिए कहां और पानी का बोतल उसकी ओर बढ़ा दिया. वह युवक एक ही सांस में आधा बोतल पानी पी गया. उसने कुछ राहत महसूस की. वपुनि गवई ने कहां, ‘‘अब पूरी बात अच्छे से बताओं.’’
‘‘साब, मेरा नाम भागवत कुमार हैं. मैं सुदर्शन लाॅज का मैंनेजर हूं. अब से लगभग दो घंटे पाहले हमारे लाॅज पर एक जोड़ा आया था. उन्होंने बताया, वे दोनों पति-पत्नी हैं. अमरावती से देव दर्शन के लिए तलजापुर आये हैं. हमें कुछ देर के लिए कमरा चाहिए. 5 नंबर का रूम खाली था. हमने उसे कमरा दिखा दिया तो उन्हें पसंद आ गया. मैंने उनका नाम पूछा तो युवक तो युवक ने अपना नाम अमित मुडे उम्र 30 वर्ष तथा श्रीमत मंजुषा मुंडे उम्र 38 वर्ष बताया. उसके साथ उसकी पत्नी है. दोनों के बीच इतना अंतर देख विश्वास नहीं हो रहा था कि दोनों पति-पत्नी है. साब, हर ग्राहक पर अविश्वास तो कर नहीं सकते इसलिए हमने विशेष ध्यान नहीं दिया. उन्होंने अमरावती से आने की बात लिखवायी थी.
अमित मुंडे का चेहरा गोल था. लंबी नाक थी और देखने में गोरा था. उसने काले रंग की पैंट और सफेद रंग की शर्ट पहन रखी थी. वह काफी बोलता था. कुछ मजाकिया किस्म का भी था. मंजुषा नाम की महिला काफी तंदरूस्त महिला थी. समझ ले अमित से डबल मोटी तगड़ी और अधिक वजन वाली थी. उसने लाल रंग की साड़ी और काले रंग का ब्लाउज पहन रखी थी. उसके शरीर पर लाखों रूपये के गहने थे.
जब दोनों रूम नंबर पांच में गए. उस वक्त दोनों काफी रोमांटिक मूड में लग रहे थे. लगभग साढ़े तीन बजे अमित काउंटर पर आया. उसने मुझ से पूछा, नहाने का साबुन मिल जायेगा? तब मैंने उससे कहां, हमारे पास साबुन नहीं हैं.’’
‘‘ठीक हैं मैं जाकर लेकर आता हूं.’’ इतना कह कर वह चला गया.
एक घंटे तक वह नहीं आया. इसी बीच मैं लाॅज का राउण्ड लगा रहा था. उसी वक्त मेरी नजर कमरा नंबर पांच पर गयी. उस कमरे में बाहर से ताला लगा हुआ था. यह देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. अमित साबुन लाने के लिए बाहर गया है. जबकि उसकी बीबी लाॅज के कमरे के अंदर हैं. तब उसे बाहर से ताला लगा कर जाने की क्या जरूरत थी. मुझे कुछ शक हुआ. मैंन कमरे के पास जाकर दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर से कोई आवाज नहीं आयी. मुझे मामला कुछ गड़बड़ लगा. मैंने अपने कुछ कर्मचारियों को वहां बुलवाया और कमरा नंबर पांच के दरवाजे पर लगे ताले को तोड़ कर कमरे के अंदर प्रवेश किया तो हम सभी दंग रह गए.
कमरे के अंदर बाथरूम के पास पूरी तरह से नग्नावस्था में एक महिला की लाश पड़ी हुयी थी. मृतका के शरीर पर कई जगह पर किसी धारदार हथियार से वार कर हत्या की गयी थी. यह देख कर मैं घबरा गया और तुरंत पुलिस को जानकारी देने के लिए पहुंचा.’’
पूरी बात सुनने के बार वपुनि गवई तुरंत हेड कांस्टेबल आद लिंगे, श्रीसागर तथा कांस्टेबल साबले के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. सुर्दशन लाॅज के कर्मचारी एक जगह जमा थे. पुलिस को देखते ही सभी ने हट कर रास्ता दिया. पुलिस ने कमरा नंबर पांच पर पहुंचे.
पुलिस ने वहां देखा, एक 35-40 साल की एक महिला की नग्नावस्था में लाश पड़ी हुयी थी. मृतका के दोनों हाथ की नस काट दी गयी थी. जिससे उसके शरीर से अधिक मात्रा में खून निकल गया था. और उसकी मृत्यु हो गयी थी. पुलिस ने बारीकी से निरीक्षण किया. वहां किसी प्रकार के विरोध के कोई निशान नहीं थे. इससे यह लग रहा था हत्यारे ने हत्या के पहले महिला को बेहोशी की दवा खिला दी थी. महिला के मृत्यु शरीर के पास एक लाल रंग की साड़ी काले रंग का ब्लाउज, ब्रा और पैंटी पड़ी थी. पास में ख्ूान से सनी एक डबल बेड का चादर कमरे के एक कोने में प्लास्टिक का पैकेट मिला. जिस पर लातूर जिले के किसी कपड़े के दुकान का नाम था. बाथरूम के अंदर ऐ जोड़ी चप्पल मिली. जो रक्त से सना हुआ था. हत्यारे ने उसे साफ करने का प्रयास किया था, लेकिन वह ठीक तरह से साफ नहीं हो पाया था. इस कारण या किसी और वजह से वह चप्पल छोड़ गया था.
पुलिस ने लाश का पंचनामा बनाकर पोस्टमार्टम के लिए भेंज दिया. तथा अन्य चीजों. को जब्त कर लिया. पुलिस ने भादवि की धारा 302 के अन्तर्गत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
वपुनि गवई ने सबसे पहले रजिस्टर में दर्ज पते पर जांच के लिए पुलिस की एक टीम भेंजी. पुलिस टीम भेंजने के पहले उन्हें मालूम था कि रजिस्टर पर लिखा पता फर्जी होगा. इसके बावजूद उन्होंने पुलिस टीम को भेंजा. बात सही निकली. पुलिस टीम वहां से वेरंग लौट आयी.
वपुनि गवई ने इस मर्डर के सक के जांच का काम तेज तर्रार पुलिस उप निरीक्षक अभिमन्यु सालुंखे को दी. सांलुखे ने पूरे केस को बारीकी से अध्ययन किया. पुलिस को ऐसा कोई क्लू भी नहीं मिला था. जिससे महिला की शिनाख्त हो सकें. सांलुखे ने लाॅज के कमरानंबर पांच में मिले प्लास्टिक के बैग को क्लू बनाया. सालुंखे ने हेड कांस्टेबल घायाल तथा शिंदे को प्लास्टिक के बैग पर लिखे पते पर भेंजा. लातुर स्थित उक्त दुकान पर पुलिस पहुंची और बैग दिखा कर पूछा, ‘‘क्या यह बैग आपके यहां का हैं.’’
प्लास्टिक के बैग पर अपने दुकान का नाम देखकर दुकानदार ने बताया कि यह प्लास्टिक का बैग तो उनके यहां का हैं लेकिन आप लोग ऐसा क्यों पूछ रहें? दुकानदार ने घबरा कर पूछा.
‘‘इस प्लास्टिक के बैग को आपने किसे दिया था?’’
‘‘सिर्फ कैरी बैग देखकर यह बताना मुश्किल है? दिनभर में सैकड़ों लोगों को कैरी बैग में सामान दिया जाता हैं.’’
पुलिस ने मृतक महिला को फोटो दिखाया, वहां उपस्थित लोगों ने फोटो देखकर पहचानने से इंकार किया. पुलिस वहां से लौट आयी. कोई लाभ नहीं हुआ.
हेड कांस्टेबल घायाल के कई पुलिस दोस्त लातूर में रहते थे. वह उनसे मिलने के लिए उनके पास पहुंचा. उनमें पुलिस निरीक्षक बिराजदार व पाटिल भी थे. घायाल ने अपने दोनों पुलिस मित्रों को महिला का चित्र दिखाते हुए कहा, ‘‘इस महिला की पिछले दिनों हत्या हो गयी हैं. लेकिन इसके बारे में कुछ पता नहीं चल रहा हैं.’’
पुलिस निरीक्षक बिराजदार व पाटिल ने फोटो को गौर से देखा और कहां, ‘‘यह महिला शायद वेश्या हैं. यह लातूर के तवरजा कालोनी, खोरे गल्ली, लेबर कालोनी आदि किसी क्षेत्र में रहती होगी.’’
फोटो लेकर रेड लाइट एरिया में पहुंचे. वेश्यावृति वाले क्षेत्र में फोटो दिखा-दिखा कर मृतक महिला के बारे में पता कर रहे थे. लेकिन मृतका के बारे में कोई जानकारी नही मिली.
अगले दिन उपनिरीक्षक अभिमन्यु सालुंखे स्वयं लातूर पहुंचे. सालुंखे ने वेश्या व्यवसाय वाले क्षेत्र में फोटो दिखाकर पता किया. तावरजा कालोनी में रहने वाले एक मिट्टी के तेल का एजेंट फोटो देख कर महिला को पहचान गया. वह सालुंखे को महिला का घर दिखाने ले गया. महिला के घर पर कोई नहीं था. दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. पड़ोसियों ने बताया कई दिनों से वह बाहर गयी हुयी हैं.
पुलिस ने दो गवाहों के सामने मृतक महिला के मकान के ताले को तोड़ा गया. वहां पुलिस को एक अलबम मिला. महिला का नाम भी पता हो गया. उक्त महिला का नाम श्रीमती सुमिद्रा श्रीमंत मुंडे उसकी उम्र 40 वर्ष थी. जो उन्हें एलबम से मिलान करने के बाद पता चला. यह भी पता चला कि महिला गांव मुरकूटवाडी, परली जिला बीड़ की रहने वाली थी.
मृतक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पुलिस उसके गांव मुरकूटवाडी पहुंची.वहां पता चला सुमिद्रा का विवाह आज से लगभग 25 साल पहले परभणी जिले के तहसली गंगाखेड़ी, गांव टोलामोटा के एक व्यक्ति के साथ हुआ था. उस व्यक्ति से सुमिद्रा को एक लड़का हुआ था. जिसकी उम्र आज 24 साल की हैं.
सुमिद्रा का पति उसे छोड़कर मुंबई काम की तलाश में गया तो उसका कुछ पता नहीं चला. चार-पांच साल तक जब वह नहीं आया तब वह अपने बच्चे को अपनी बहन के पास छोड़कर लातूर चली गयी. इसके बाद वह लौटी नहीं. उसके लड़के से मां के बारे मंे कुछ जानकारी मांगी तो वह कुछ बता नहीं सका.
पुलिस सुमिद्रा के बारे में और अधिक जानकारी मालूम की तो पता चला सुमिद्रा लातूर आने के बाद लोगों के घरों में काम करने लगी और चोरी छिपे देहव्यापार भी करने लगी. सुमिद्रा उस वक्त जवान थी. साथ ही दिखने में खूबसूरत थी. उसके चाहने वाले भी काफी थे. उसने सोचा अपनी जवानी को इस तरह से क्यों बर्बाद किया जाये. क्यों न इसके बदले पैसा ही वसूला जायें.
सुमिद्रा कामक्रिया में माहिर थी. जब भी कोई उसके पास आता वह नये नये आसन से उसे खुश कर देती. उसकी मांग बढ़ने लगी. तब उसने घर में काम करना बंद कर दिया. वह अपना धंधा कुछ अलग तरह से करती थी. ग्राहक को वह दुसरे शहर चलने के लिए कहती थी. दुसरे शहर में किसी लाॅज में वे पति-पत्नी बन कर एक-दो दिन रहते इसके बाद दोंनो अलग-अलग साधन से अपने शहर लौट आते. इसके बदले सुमिद्रा अपने ग्राहक से मोटी रकम लेती थी. कई सालों में सुमिद्रा ने काफी रूपए कमाये. उसने लातूर में अपना एक आलीशान बंगला भी बना लिया.
इस केस की जांच कर रहे उपनिरीक्षक अभिमन्यु सांलुखे को पता चला कि लातूर के एक कांस्टेबल सुरेश (बदला हुआ नाम) का भी सुमिद्रा के साथ संबंध था. शक की सुई सुरेश की ओर गयी. सालुंखे ने अनुमान लगाया कहीं सुरेश ने सुमिद्रा की हत्या न की हो. इस बारे में उपनिरीक्षक सालुंखे डायरेक्ट सुरेश से नहीं पूछ सकते थे. उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक को पूरी जानकारी दी. सुमिद्रा के हत्या के बाद सालुंखे द्वारा की गयी जांच रिर्पोट पढ़ने के बाद पुलिस अधीक्षक ने कांस्टेबल सुरेश को बुलाकर इस बारे में पूछताछ की सुरेश ने खूद को निर्दोष बताया.
उसके डियुटी की जांच करने पर पता चला जिस दिन सुमिद्रा की हत्या हुयी थी उस दिन वह दिन वह डियुटी पर तैनात था. सुरेश ने बताया, आज से दस साल पहले सुमिद्रा के साथ उसके संबंध थे. उस वक्त वह शादीशुदा नहीं था. यह संबंध पांच साल तक रहें. पिछले पांच साल से सुमिद्रा से उसके किसी प्रकार के संबंध नहीं रहे. अब उसका ध्यान अपने बीबी, बच्चे और डियुटी पर हैं.
उपनिरीक्षक सालुंखे इस केस के पीछे काफी मेहनत कर रहे थे. इस बीच उन्हें पता चला कि सुमिद्रा के संबंध परली के एक व्यापारी केदारी के साथ थे. पुलिस में इस बारे में भी गहराई से जांच की तो पता चला. केदारी के संबंध सुमिद्रा के साथ थे. उसने सुमिद्रा को काफी रूपये, गहने, घरेलू सामान उपहार में दिए थे. वह चाहता था कि सुमिद्रा धंधा छोड़कर सिर्फ उसकी बन कर रहे. लेकिन सुमिद्रा उसे तो कहती, उसने धंध छोड़ दिया है सिर्फ उसकी ही बन कर रह रही हैं. पर वह चोरी छिपे दुसरे लड़कों से मिलती थी.
सुमिद्रा हमेशा अपने से कम उम्र के लड़कों की तलाश में रहती थी. केदारी को जब सुमिद्रा के चोरी छिपे धंधा चालू रखने के बारे में पता चला तो उसने सुमिद्रा को छोड़ दिया. केदारी ने पुलिस को बताया, उसने बाद में सुमिद्रा का नया आशिक पूर्व नगरसेवक दिनेश बना.
पुलिस ने पूर्व नगर सेवक दिनेश और सुमिद्रा के बारे में अधिक जानकारी हासिल की. दिनेश को जब पता चला कि सुमिद्रा की हत्या हो गयी है. पुलिस उसके और सुमिद्रा के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर रही है तो दिनेश डर गया. वह वहां से पूना भाग गया. जब दिनेश लातूर से फरार हो गया. पुलिस ने अनुमान लगाया इस मामले में जरूर दिनेश का हाथ हैं.
सालुंखे शांत बैठने वालों में से नहीं थी. वे पूना जा पहुंचे. उन्होंने दिनेश को कई जगह पर तलाश किया आखिर में पूना से बाहर एक गांव सायगांव में दिनेश को ढुढ़ निकाला. पुलिस ने उसे सुमिद्रा की हत्या हो जाने के बारे में बताया तो उसने पुलिस कहां उसे पता चल चुका है लेकिन उसने सुमिद्रा की हत्या नहीं की हैं.
इस पर पुलिस ने पूछा फिर वह पूना क्यों भाग आया. तब उसने बताया, वह काफी डर गया था. इसलिए पूना भाग कर चला आया. पुलिस दिनेश को तुलजापुर पुलिस स्टेशन ले आयी. यहां लाने के बाद पुलिस ने सुमिद्रा की लाश के पास मिले चप्पल को दिनेश को पहने के लिए दिया. दिनेशपरेशान हो गया. पुलिस यह क्या कर रही हैं.
पुलिस ने कहां, ‘‘यह चप्पल लाॅज में से मिली हैं. इसे जल्दी से पहन कर दिखाओं.’’
पुलिस का कड़क रूप देखकर दिनेश ने जल्दी से अपने पैर चप्पल में डाल दिया. चप्पल दिनेश के पैर के नाप से छोटा था. पुलिस ने गौर से देखने के बाद उसके पैर से चप्पल उतार क उसके द्वारा पहले चप्पल के साथ चप्पल को नापा तो भी चप्पल छोटी निकली. दिनेश के पैर की चपपल पुलिस को नयी दिखायी दे रही थी. पुलिस ने अनुमान लगाया, कहीं दिनेश ने पुलिस को चकमा देने के लिए छोटी नाप की चप्पल पहन कर तो नहीं गया. हत्या करने के बाद यहां आकर सही नाप की चप्पल पहन रहा हो.
पुलिस ने उससे पूछा, ‘‘तुमने कितने दिन पहले चप्पल खरीदी हैं?’’
‘‘साब, छ महिने पहले यह चप्पल खरीदी थी.’’
‘‘लेकिन तेरी चप्पल देखकर लगता है कुछ दिन पहले ही यह चप्पल खरीदी गयी है.’’
‘‘नहीं साब, आप दुकानदार से पूछ सकते हैं.’’
दिनेश उपनिरीक्षक सालुंखे को चप्पल दुकानदार के पास ले गया. चप्पल दुकानदार ने बताया कि दिनेश ने उसके यहां से छ महिने पहले चप्पल खरीदा था. पुलिस ने दिनेश को छोड़ दिया.
सालुंखे को समझ में नहीं आ रहा था. आखिर समिद्रा की हत्या किसने की हैं. इस मामले को टेªस किए बिना उन्हे चैन नही पड़ रहा था. सालुंखे ने एक बार फिर लातूर पहुंचे और मिट्टी का तेल बेचने वाले उस व्यक्ति के पास फिर से गए. उस व्यक्ति ने सालुंखे को सुमिद्रा के बारे में नयी जानकारी दी. जो सालुंखे के लिए काफी काम की थी. मिट्टी तेल विक्रेता ने पुलिस को बताया कि लेबर कालोनी में रहने वाली मंगलाबाई के सुमिद्रा के साथ अच्छे संबंध थे. शायद उसे सुमिद्रा की हत्या के बारे में कोई जानकारी हो. तेल विक्रेता ने पुलिस को आगे बताया, मंगलाबाई के लड़के गोटया, सुमिद्रा को अपने साथ लेकर गया था.
पुलिस ने तुरंत मंगला बाई के लड़के गोटया को पूछताछ के लिए अपने कब्जे में ले लिया. गोटया से पूछताछ करने पर उसने बताया, 15 मार्च को लातूर में रैली थी. उस रैली में लातूर में आस- पास से काफी लोग आ रहे थे. मैं भी अपने क्षेत्र से लोगों को जीप में भरकर ले जा रहा था. मेरे जीप से सुमिद्रा तुलजापुर नाका तक गयी थी. इसके बाद वह कहां गयी इस बारे में उसे कुछ नहीं पता.
मंगलाबाई को जब पता चला, तुलजापुर पुलिस उसके लड़के को पकड़ कर लेकर गयी है. वह गुस्से से लालपीली होकर तुलजापुर पुलिस स्टेशन पहुंची. वहां एक महिला की चीख सुनकर वह रूक गयी. पता चला पुलिस किसी चोरनी की पिटायी कर रही हैं. मंगलाबाई महिला की चीख सुनकर घबरा गयी. वह सालुंखे के कमरे में गयी. उनका पैर पकड़ कर कहने लगी, साब, उसके लड़के को कुछ नहीं मालूम है उसे छोड़ दीजिए.’’
मंगलाबाई ने पुलिस को बताया, सुमिद्रा हमारी गली में रहने वाले एक लड़के के साथ तुलजापुर आयी थी. उस लड़के का नाम मुझे नहीं मालूम (यहां हम लड़के का काल्पनिक नाम मेहबूब रख लेते हैं.) मेहबूब पेटिंग और रंग रोगन साइन बोर्ड, नंबर प्लेट बनाने का काम करता था. उसकी अच्छी कमायी थी. पिछले कुछ दिनों से उसकी पत्नी गांव गयी हुयी थी. पिछले कुछ दिनों से वह सुमिद्रा से बात करवा देने की बात कर रहा था.
मैंने सुमिद्रा से बात करवा दिया. वह हर दिन के हिसाब से एक हजार रूपए देने को तैयार हुआ. सुमिद्रा भी राजी हो गयी. वह यहां से जीप से बैठकर तलजापुर नाके तक गयी. इसके बाद वह कैसे तलजापुर पहुंची उसे मालूम नहीं. मेहबूब भी किसी तरह से तलजापुर पहुंचा उसे मालूम नहीं 15 मार्च के बाद से मेहबूब का कोई पता नहीं चल रहा है. पुलिस को मंगलाबाई की बात सही लगी. पुलिस ने उसके लड़के गोटया को छोड़ दिया.
पुलिस का ध्यान अब मेहबूब पर गया. पुलिस द्वारा खोजबीन करने पर पता चला. 25 वर्षीय मेहबूब ख्वाजानगर जिला उस्मानाबाद का रहने वाला है. वह कुछ साल पहले अपने मूल गांव छोड़ कर लातूर कमाने के लिए आया था. यहां आकर पेंटिंग का काम करने लगा. धीरे-धीरे उसका काम जम गया. जब कमायी अच्छी होने लगी तो वह कभी कभार धंधे वाली औरत के पास चला जाता था.
शादी होने के बाद उसने धंधे वाली औरत के पास जाना नहीं छोड़ा. वह जितना कमाता, उतना उन औरतों पर खर्च कर देता था. उसने काम पर ध्यान देना भी छोड़ दिया था. कमायी भी कम होने लगी थी. अपना शौक पूरा करने के लिए वह कर्जा लेने लगा. धीरे-धीरे उस पर काफी कर्जा चढ़ गया. लोग तगादा करने लगे. उसकी बीबी उसे छोड़ कर चली गयी. वह परेशान हो गया. अब वह क्या करें. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
एक दिन उसकी निगाह सुमिद्रा पर गयी. सुमिद्रा ने काफी गहने पहन रखें थे. वह इस तरह से बनठन कर रहती थी कि लोग उसे बड़े घर की औरत समझे. जिन्हें मालूम था कि वह वेश्या है वह अलग बात थी. मेहबूब ने सोचा यदि किसी तरह से सुमिद्रा के बदन पर से गहने हथिया लिया जाये तो उसका कर्जा मिट सकता हैं. काफी सोचने के बाद उसने एक प्लान बनाया, मंगलाबाई के द्वारा सुमिद्रा को एक हजार रूपये देने की बात कहीं तो वह राजी हो गयी.
दोनों तुरजापुर पहुंचे. वहां मेहबूब ने सुर्दशन लाॅज में पति-पत्नी का परिचय देकर रूम लिया और दोनों लाॅज के रूम नंबर पांच में पहुंचे. मेहबूब न चाय मंगवायी और सुमिद्रा की आंख बचा कर उसके चाय में नींद की दवा मिला दी. चाय पीने के बाद मेहबूब ने उसके साथ संबंध बनाने की तैयारी करने लगा. सुमिद्रा ने अपने बदन के सारे कपड़े उतार दिए.
मेहबूब ने पहले सेक्स संबंध बनाया. सेक्स संबंध बनाते बनाते सुमिद्रा बेहोश हो गयी. मेहबूब ने जेब से ब्लेड निकाल कर पहले सुमिद्रा के दोनों हाथों के नसो को काट दिया. इसके बाद गले में गहरा घाव कर दिया सुमिद्रा के शरीर से खून का तेज बहाव शुरू हो गया. सुमिद्रा पूरी तरह से बेहोश थी. वह विरोध न कर सकी. धीरे-धीरे उसके शरीर से पूरा खून बह गया और उसका शरीर ठंडा पड़ गया. मेहबूब वहां से उठा उसने हाथ-पैर और चेहरा धोया. अपनी काली पैंट और सफेद शर्ट को पहना और बाहर निकल कर उसने दरवाजा बंद कर दिया. इसके बाद कांउटर पर पहुंचा. उसने वहां जानबूझ कर साबून की मांग की.
मैनेजर ने बताया, ‘‘साबुन उनके पास नही हैं.’’
‘‘मैं बाहर से ले आता हूं. इतना कह कर वह वहां से निकल कर चला गया और दुबारा लौट कर नहीं आया.
अलग दिन सारे अखबार में सुमिद्रा की हत्या के बारे में खबर और फोटो हर समाचार पत्र में प्रकाशित हुए. उसके बाद पुलिस सुमिद्रा के कातिल की खोज में जीजान से जुटी हुयी थी.
उपनिरीक्षक सालुंखे द्वारा आगे जांच करने पर पता चला कि मेहबूब हैदराबाद भाग गया है. सालुंखे हैदराबाद पहुंचे. लेकिन वहां मेहबूब के बारे में कुछ पता नहीं चला. थकहार कर सालुंखे हैदराबाद से लौट आये.
कथा लिखे जाने तक मेहबूब नहीं मिला था. उपनिरीक्षक सालुंखे का कहना है, ‘‘वे सुमिद्रा का कातिल की तलाश में है. वह मिल गया तो उसे फांसी के फंदे पर लटकवा देने की कोशिश करेंगे. लोगों से भी निवेदन किया है यदि महबूब के बारे में कोई भी जानकारी मिले तो अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन पर दें. (Copyright Today and Tomorrow NEWS 24)
Web Title : Today and tomorrow : Murder of a prostitute एक वेश्या की हत्या
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