Today and tomorrow : फेसबुक फ्रेंड भी हो सकता है जान का दुश्मन
फेसबुक फ्रेंड ने की किडनेपिंग की कोशिश
शाम के करीब आठ बज रहे थे. गर्मी का मौसम होने की वजह से रास्तों पर लोगों की आवाजाही काफी थी. ऐसे समय में एक गल्र्स हाॅस्टल के सामने लोगों ने एक युवती को कुछ लड़कों के साथ हाथापाई करते हुए देखा. लोग कुछ समझ पाते इसके पहले ही लड़कों ने उसे पकड़ कर कार में पटक दिया. पलक झपकते ही लोगों को माजरा समझ में आ गया कि वहां उपस्थित लड़के उस युवती को जोरजबरजस्ती उठाकर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. लड़की को संघर्ष करते देखकर जब तक कुछ लोग मदद के लिए आगे आते वह युवती उन बदमाशों के चंगुल से मुक्त होने में कामयाब हो गई और सीधे भागते हुए सामने हाॅस्टल के अंदर चली गई. वहां उपस्थित लड़के शायद उस लड़की का पीछा करने की सोच ही रहे थे कि वहां उपस्थित भीड़ को देखकर भाग खड़े हुए.
बदमाशों के भागने के बाद युवती ने राहत की सांस ली और उसने तुरंत अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी. इसके बाद उसने अपने भाई को भी इस घटना के बारे में बताया और उसे भी तुरंत गल्र्स हाॅस्टल पर बुला लिया. दिनदहाड़े गल्र्स हाॅस्टल के सामने से किसी युवती के अपहरण की कोशिश की खबर मिलते ही पुलिस और उस लड़की का भाई तुरंत वहां पहुंच गई. युवती की पूरी बात सुनकर पुलिस उसे अपने साथ थाने ले गई.
दिन-दहाड़े भीड़-भाड़ वाले इलाके में एक युवती के अपहरण की कोशिश करना खासा गंभीर मामला था. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस के अलाअधिकारियों ने युवती से मामले की चर्चा विस्तार से की. जासमीन ने पुलिस को बताया कि वह करीब चार साल पहले काम की तलाश में आई थी. उसका अपहरण करने की कोशिश करने वाला मुख्य आरोपी सुनील के बारे में उसने बताया कि सुनील ने उसे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेंजा था. उसने अपने स्टेटस में लिखा था, ‘‘बी आलवेज कमिटेड टू ईच अदर.’’ मुझे उसकी यह बात अच्छी लगी, सोचा शायद वह भरोसे का दोस्त साबित होगा. इसलिए उसकी रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इसके बाद सुनील से अक्सर नेट पर चेटिंग के जरिए बातचीत होने लगी.
सुनील ने जासमीन को बताया था कि वह बीई कर रहा है साथ ही उसके कुछ दोस्त और रिश्तेदार दिल्ली और मुंबई में माॅडलिंग के क्षेत्र से जुड़े हुए है. उनकी सलाह पर मैं भी माॅडलिंग के लिए ट्राई कर रहा हूं. माॅडलिंग के लिए एक दो छोटी कंपनी से आॅफर भी मिले हैं, लेकिन वह इन आॅफरों को स्वीकार करके बी-ग्रेड माॅडल नहीं बनना है, इसलिए अच्छे आॅफर की तलाश में हूं.
जाहिर सी बात है मैं उसकी बातों से काफी इंम्प्रेस हुई और जब उसने फोन नंबर मांगा तो मैंने उसे दे दिया. अब वह अक्सर फोन करने लगा. उसकी आवाज में ऐसी कसीस थी कि उससे देखने की उत्सुकता जाग गई थी. जब उसने आमने सामने मिलने की इच्छा जाहिर की तो मैं उससे मिलने के लिए तैयार हो गई. मेरी स्वीकृति मिलते ही उसी दिन शाम को वह हाॅस्टल में मुझसे मिलने आया था. उसकी पर्सनेल्टी और आवाज से लग रहा था वह कोई माॅडल ही है. इसके बाद सुनील रोज ही मुझसे मिलने आने लगा. इस दौरान वह मुझे लड़कों की बदमाशियों के बारे में बताकर उनसे सावधान रहने की सलाह भी देता था. वह मेरा खूब ख्याल रखता था. सच कहूं तो इस पराए शहर में एक सुनील ही था जो मुझे अपना सा लगने लगा. धीरेधीरे उसकी और मेरी दोस्ती गहरी होती जा रही थी.
एक दिन सुनील, जासमीन को अपने घर पर ले गया. जहां उसने अपनी मां से भी मिलवाया. सुनील के माता-पिता ने भी प्रेम विवाह किया था. उसकी मां से मिलकर अच्छा लगा. धीरे-धीरे समय बीतता गया और सुनील पर मेरा विश्वास हर दिन के साथ और ज्यादा बढ़ता गया. मै जब कभी सजधज कर उससे मिलने आती तो वह अपने मोबाइल से मेरी फोटो खिंचने लगा. मैंने भी उसे फोटो खींचने से कभी मना नहीं किया. इसी दौरान उसने कई सेल्फी मेरे साथ खींच कर अपने पास रख ली. मेरे मन में एक बार भी उस पर शक नहीं हुआ कि वह मेरे फोटो को लेकर कुछ गलत कर सकता है. मैं तो उसे अपना सबसे बड़ा हितेशी मान बैठी थी. इसलिए मैं उसकी हर बात को आंख मूंद कर मान लेती थी.
दूसरी तरफ उसके परिवार वाले भी मुझ पर अपना प्यार लूटा रहे थे. उसकी मां का तो यहां तक कहना था कि यदि मैं उस घर की बहू बन गई तो अच्छा होगा.सुनील और उसके परिवार वालो ने मेरे आंखों पर विश्वास की पट्टी जो बांध रखी थी. मेरी आंखो में बंधी पट्टी उस समय उतरी जब सुनील बात-बात पर मुझसे पैसे मांगने लगा. मेरी कोई जाॅब तो थी नहीं थी. घर से हाथ खर्च के लिए जो मिलता था, उसी से मैं सुनील को दे देती थी. धीरे-धीरे उसके पैसे की मांग बढ़ने लगी, तब मैंने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उसे तो सिर्फ पैसे से मतलब था. वह पैसे मैं कहां से लाती हूं, कैसे लाती हूं इससे उसे कोई मतलब नहीं था.
इस बीच मेरी मुलाकात सुनील के कुछ दोस्तों से हुई. वे भी अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड से पैसे लेते रहते थे. जब मुझे इस बात का पता चला तो सुनील पर कुछ-कुछ शक होने लगा. अब मैं उसकी गतिविधियों पर नजर देने लगी. एक दिन मैंने उसके पास एक फार्म देखा. फार्म ओपन स्कूल का था जिससे पता चला कि खुद को बीई का स्टुडें बताने वाला सुनील 12वीं पास भी नहीं है. वह ओपन स्कूल से 12 वीं की परीक्षा का फार्म भर रहा था. यह सुनील का पहला झूठ था जो अब मेरे सामने खुल चुका था. इसका मतलब उसने अपने बारे में जो कुछ मुझे बताया था, उसमें एक भी शब्द सच नहीं था. उसका नकाब चेहरे से उतर चुका था. नकाब के पीछे छिपा उसका घिनौना चेहरा देखकर में डर गई. वह इतना शातिर था कि यदि उसे पता चल जाता था कि मुझे उसके बारे में सबकुछ पता चल गया है तो वह शायद मेरी जान भी ले लेता इसलिए मैंने उससे दूर होने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. मैंने सबसे पहले मौका देखकर उसके मोबाइल से सिम निकाल ली और नष्ट कर दिया, जिसमें मेरे फोटो सेव करके रखे थे.
इस बात से सुनील समझ गया कि अब मैं उसके झांसे में नहीं आने वाली. इसलिए उसने भी अनजान बनते हुए पहले मुझसे नाराज होने का नाटक किया. जब मैं उसके इस नाटक से नहीं डरी तो वह दूसरे हथकंडे अपनाने लगा. चार महीने पहले मैंने स्वयं को पूरी तरह से उससे दूर कर लिया. इसके बाद वह चैबीसों घंटे अपने दोस्तों के साथ मेरे पीछे लगा रहता. वह मुझे हर जगह बदनाम करने की कोशिश भी करने लगा, लेकिन मैं उसकी हरकतों से डरी नहीं. इसके बाद मैं अपनी एक सहेली के पिता जो पुलिस में है उनसे मिली और पूरी बात बताई. उन्होंने सुनील को फोन पर समझाया भी था, लेकिन सुनील पर उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ. इसके बाद सुनील ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मेरे अपहरण की कोशिश की.
घटना वाले दिन जब वह आठ बजे के करीब हाॅस्टल पहुंची तो वहां हाॅस्टल के गेट पर सुनील और उसका दोस्त गफ्फर को खड़े देखा. मैं सुनील और उसके दोस्तों के आपराधिक चरित्र से बाखिफ थी इसलिए उनसे बचकर हाॅस्टल के अंदर जाने की कोशिश की तो सुनील ने झटके से उसे पकड़ लिया और कार में गिरा दिया. मेरे कार में गिरते ही उसके दोस्त ने कार स्टार्ट कर दी और कार वहां से भगा दी. उनके चंगुल में अपने आप को जानकर में डर गई. एक ही पल में मेरे सामने साफ हो गया कि सुनील और उसके दोस्त मेरे साथ क्या करने वाले हैं. मैंने अपने आप को बचाने के लिए पूरी ताकत से कार के दरवाजे पर लात मारी. कार का दरवाजा खुल गया और मैं चलती कार से कूद पड़ी. किसी तरह से उठ कर अपने आप को बचाने के लिए मैं हाॅस्टल की तरफ भागी.
सुनील ने दौड़कर फिर से मुझे पकड़ने की कोशिश की, पर तब तक वहां काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. भीड़ में मौजुद लोग जैसे ही लड़की की मदद के लिए आगे बढ़े सुनील और उसके दोस्त कार में बैठ कर भाग गए. उसके कुछ दोस्त मोटर साइकिल पर आए थे वह भी उसकी मदद कर रहे थे.
जासमीन की पूरी बात सुनकर पुलिस अधिकारियों ने तुरंत पुलिस टीम गठित की और आरोपियों को शीध्र पकड़ने के निर्देश दे दिए.
पुलिस ने आरोपियों पर शिकंजा कसते हुए उनकी लोकेशन तलाशने के लिए उनके मोबाइल नंबर ट्रेकिंग पर लगाएं तो उन सभी के लोकेशनों का पता चल गया. पुलिस ने चारों आरोपियों को अपहरण की कोशिश और मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
दोस्तों इस क्राइम स्टोरी को सुनाने का मेरा उद्धेश्य है कि आप भी स्टोरी से सबक लें कि जाने व अनजाने में कभी भी किसी अनजान व्यक्ति से फेसबुक पर दोस्ती ना करें. यह खतरनाक ही, बल्कि जानलेनवा भी हो सकता है.
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