Today and tomorrow : Crime Story | उसने ऐसा क्या किया कि बन गया कंस मामा, जान कर दिल कांप जाएगा
New Crime Story : उसने ऐसा क्या किया कि बन गया कंस मामा, जान कर दिल कांप जाएगा
काजोल का मोबाइल लगातार पांच दिन से बंद आ रहा था. वह न तो फेसबुक में थी और न ही किसी अन्य सोशल मीडिया पर. काजोल जैसी हाईप्रोफाइल महिला का मोबाइल वह भी लगातार पांच दिनों से बंद होना आश्चर्य की बात थी. उससे किसी भी तरह से संपर्क नहीं होने की वजह से उसकी सहेली रितु काफी परेशान थी. वह लगातार काजोल से संपर्क करने की कोशिश कर रही थी, पर उसका मोबाइल बंद बता रहा था.
वर्षाे पहले अचानक एक दिन उसके पिता की मृत्यु हो गई. उसके बाद मां ने भी उनका साथ छोड़ दिया और इस दुनिया से अलविदा हो गई. परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में माता-पिता की मृत्यु के पश्चात काजोल की मौसी ने उनका पालन-पोषण किया. मौसी के पास करोड़ों की जमीन थी लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए मरने से पहले उन्होंने अपनी सारी संपत्ति काजोल और उसकी बड़ी बहन सीमा के नाम कर दी थी.
काजोल पढ़ने में तेज थी. स्कूली शिक्षा पूरी होते ही वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गई. यहां से उच्च शिक्षा प्राप्त क रवह अमेरिका में नौकरी के लिए चली गई. अमेरिकी में नौकरी के दौरान उसकी कई नामी-गिरामी लोगों से अच्छी दोस्ती हो गई. इसी दौरान काजोल अपने साथ काम करने वाले रोहित के संपर्क में आई. और उन्होंने शादी कर ली. जितनी तेजी से उन्होंने एक-दूसरे को अपनाने का फैसला किया था, दुर्भाग्य से उतनी ही तेजी से उन्होंने एक दूसरे से अलग होने का निर्णय लिया और दोनों अलग हो गए.
इधर भारत में काजोल की बड़ी बहन सीमा का विवाह हो गया. सीमा भी अपने पति के साथ अमेरिका आ गई. अमेरिका में रहते हुए सीमा मानसिक बीमारी की शिकार हो गई. उसका अच्छे से अच्छा इलाज कराया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे हालत में उसके पति ने सीमा को लेकर भारत लौटने का निश्चय किया और सहपरिवार अपने गांव लौट आएं. काजोल भी उनके साथ भारत लौट आयी और दिल्ली में रहने लगी.
काजोल और सीमा के माता-पिता की मृत्यु तो पहले ही हो चुकी थी. अब मौसी भी जीवित नहीं थी. अपना कहने के लिए कुंदलाल जो दूर के रिश्ते में काजोल और सीमा के मामा लगते थे. वह स्वभाव से बहुत ही उदंड, मक्कार और शातिर है. कुंदलाल जानता था कि उनके घर पर कोई नहीं है जो उनकी करोड़ों की जमीन जायदाद की देखभाल कर सकेगा. इसलिए उसने चालाकी से काम लिया और जमीन का सारा काम अपने कंधों पर ले लिया.
काजोल और सीमा दोनों विदेश में रहते थे इसलिए कुंदलाल ने उस पर अपना कब्जा कर लिया. जब सीमा और काजोल अमेरिका से लौट कर आयी तो कुंदलाल को सीमा से कोई परेशानी नहीं हुई. क्योंकि सीमा मानसिक तौर पर बीमार थी लेकिन काजोल जो कि मानसिक तौर पर भी स्वस्थ थी और उसकी चाहत भी सीमा से अधिक थी.
20 अप्रैल को काजोल दिल्ली से अपने गांव आई थी. इस बार वह गांव अपनी बहन सीमा से मिलने आई थी साथ ही साथ दो-तीन दिन में अपनी जमीन संबंधी जरूरी काम भी निपटाने वाली थी. 20 अप्रैल को गांव जाने के बाद वह 29 अप्रैल तक अपने दोस्तों के संपर्क में रही. इसके बाद 29 अप्रैल की सुबह से उसका मोबाइल आॅफ हो गया. इसके बाद न तो उसका मोबाइल लगा और न ही उसने सोशल मीडिया पर किसी से संपर्क किया. उसके दोस्तों ने लगातार उससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अंत में उसकी सहेली रितु ने 4 मई को पुलिस से संपर्क किया और अपनी सहेली काजोल को लेकर चिंता जाहिर की.
किसी हाईप्रोफाइल का इस तरह से अचानक संपर्क टूट जाना पुलिस के लिए भी चिंता का विषय था. बात की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने तुरंत गांव के थाना प्रभारी को काजोल के बारे में सारी जानकारी देने के लिए कहा. एसपी द्वारा निर्देश मिलते ही थाना तुरंत काजोल के गांव पहुंचे और वहां उपस्थित उसके मामा कुंदलाल से मिले और काजोल के बारे में पूछताछ की. कुंदलाल ने बताया कि उन्हें काजोल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसके बाद कुंदलाल ने उसी दिन शाम को सीमा के साथ पुलिस स्टेशन जाकर काजोल की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. काजोल की गुमशुदगी तो दर्ज हो गई, लेकिन वहां पुलिस ने काजोल को खोजने में कोई रूचि नहीं दिखाई.
इधर काजोल के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने पर उसके दोस्त चुप बैठने वाले नहीं थे. उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू किया तब जाकर पुलिस हरकत में आई. इसके बाद पुलिस ने सबसे पहले काजोल के मोबाइल का काॅल डिटेल निकाला और इस बात का पता लगाने लगी की मोबाइल बंद होने से पहले वह कहां-कहां गई थी और उसका अंतिम लोकेशन कहां का था. इसके अलावा काजोल गांव के लिए रवाना हुई तो उसने किन-किन लोगों से संपर्क किया था. जैसे-जैसे काजोल के बारे में जानकारी एकत्र हो रही थी उससे पुलिस को समझते देर नहीं लगी की जिसे वह साधारण सी बात समझ रहे थे, असल में कितना गंभीर मामला है.
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि काजोल के नाम पर करोड़ो रूपए की जमीन है जिस पर कुंदलाल ने कई सालो से अपना कब्जा कर रखा था. उसने उस जमीन पर अपना घर भी बना लिया था. कुछ साल पहले जब काजोल को पता चला तो वह कुंदलाल के चंगुल से अपनी जमीन को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. काजोल दिल्ली से आकर दस-पंद्रह दिन परेशान होती और फिर थक हार कर वापस चली जाती थी.
काजोल के दोस्तों ने पुलिस को बताया कि काजोल गांव की कुछ जमीन बेचकर दिल्ली में अपना घर लेना चाहती थी. इस बार वह आर-पार का निर्णय करने का सोचकर आई थी. उसने राजस्व विभाग से भूमि का सीमांकन करवाने के लिए कहा. कुंदलाल को जैसे ही काजोल के द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में पता चला उसने सीमांकन का काम टलवाने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन इस बार राजस्व विभाग के अधिकारी भी उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं थे. इसके बाद 23 अप्रैल को काजोल के खेतों का सीमांकन कर दिया गया जिससे पता चला कि लगभग 15 एकड़ जमीन पर कुंदलाल ने कब्जा कर रखा है और उसे अपना बता रहा था.
काजोल अपनी जमीन पर फेसिंग करवाने के लिए मजदूरों से मिली ताकि कुंदलाल भविष्य में दोबारा फिर से कब्जा न कर सके. 25 अप्रैल को खेत की मेड़ पर मुनारे लगाने का काम काजोल ने शुरू करवा दिया. काजोल जल्द से जल्द काम खत्म करवाना चाहती थी, लेकिन एक दिन काम करने के बाद मजदूरों ने कहा कि वह तीन दिन छुटटी पर रहेंगे. आने के बाद ही आगे का काम पूरा करेंगे. काजोल द्वारा हर तरह से समझाने के बावजूद वह काम करने के लिए तैयार नहीं हुए. काजोल तीन दिन तक अपनी बहन के घर पर ही रूकी. 29 अप्रैल की सुबह वह फेसिंग का काम करवाने के लिए घर से निकली, लेकिन इसके बाद न तो वह खुद वापस आई और न ही उसकी कोई खबर मिली.
पुलिस इलाके में चारों फैली हुई थी. वे कुंदलाल के हरकतों पर भी निगाह रखे हुए थे. मिली जानकारी के आधार पर पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि काजोल के अचानक गायब होने के पीछे किसका हाथ हो सकता है. क्योंकि काजोल द्वारा की गई कार्यवाही से सबसे अधिक नुकसान कुंदलाल को ही हो रहा था. लेकिन उसे सीधे-सीधे हिरासत में नहीं लेना चाहते थे. वह चाहते थे कि खुद कुंदलाल अपनी किसी बात में फंसे और उसे हिरासत में लिया जाएं.
सीमा के साथ कुंदलाल ने काजोल की गुमशुदगी की रिर्पोट दर्ज करवाई थी.पुलिस ने जब कुंदलाल से पूछा कि उसने आखरी बार काजोल को कब देखा था तो उसने बताया कि 26 अप्रैल को एक दिन काम करने के बाद मजूदरों ने तीन दिन की छुटटी ले ली थी. इसलिए काजोल 29 अप्रैल को सफेद रंग की कार में बैठकर खेत पर आई थी, लेकिन मजदूरों के न आने के कारण उसी कार से जबलपुर जाने का बोलकर वहां से चली गई थी. इसके बाद मुझे कुछ नहीं पता.
पुलिस ने जब उससे पूछा कि काजोल के न लौटने पर फिर आपने जबलपुर में उसकी खोज नहीं की, यह बात आपने अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाते समय भी नहीं बताया था कि वह किसी सफेद रंग की कार मंे बैठ कर जबलपुर जाने का बोलकर निकली थी. पुलिस द्वारा यह सवाल पूछते ही कुंदलाल के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया. वह समझ गया कि अब वह पुलिस के घेरे में फंसने वाला है. उसने तुरंत अपने आप को संभाल लिया, पर पुलिस की आंखों में धूल नहीं झोंक सका. पुलिस तुरंत उसके बदलते रंग को भाप लिया. उन्होंने कुंदलाल की बात में कितनी सच्चाई है यह पता लगाने के लिए सफेद रंग की जिस कार मंे बैठकर काजोल घर से निकली थी उसके ड्राइवर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.
सीमा की दिमागी हालत ठीक नहीं होने की वजह से पुलिस उससे किसी तरह का पूछताछ नहीं कर पा रही थी, पुलिस को पता चला कि सीमा के घर के पीछे रहने वाली बुढ़ी महिला है जिससे काजोल की अच्छी पटती थी. काजोल जब भी गांव आती थी वह उस बुढ़ी अम्मा से जरूर मिलती थी. पुलिस ने उस महिला से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि कार तो नहीं थी, हां एक आॅटो रिक्शा था जिसमें बैठकर काजोल बिटिया निकली थी. इसका मतलब कुंदलाल झूठ बोल रहा है कि वह सफेद रंग की कार में बैठकर आयी थी. बात की सच्चाई को साबित करने के लिए उस आॅटो वाले को ढुढ़ना जरूरी था, जो काजोल को लेकर खेत तक गया था.
थोड़ा प्रयास करने पर पुलिस को वह आॅटो वाला मिल गया. आॅटो वाले ने बताया कि उस दिन वह काजोल को लेकर खेत तक आया था. वहां छोड़ने के बाद काजोल ने उससे शाम को पांच बजे वापस ले जाने के लिए बुलाया था, लेकिन शाम को उनका कोई फोन उसके पास नहीं आया था, इसलिए वह काजोल को लेने खेत पर नहीं गया था. इसका मतलब साफ था कि काजोल वहां से कहीं नहीं जाने वाली थी. उसने शाम के समय आॅटो वाले को घर ले जाने के लिए बुलाया था. बात साफ हो चुकी थी कि काजोल के साथ जो कुछ हुआ था इसी दौरान हुआ था. पूछताछ के दौरान पुलिस के हाथ एक ऐसा व्यक्ति लगा जिसने घटना वाले दिन कुंदलाल को अपने दो नौकर के साथ मिलकर काजोल के साथ मारपीट करते हुए देखा था. पुलिस द्वारा सख्ती से पूछताछ करने पर उसने बताया कि यह घटना उसके अलावा और भी बहुत से लोगों ने देखा था जो उस वक्त खेतांे में काम कर रहे थे, लेकिन सभी कुंदलाल के डर की वजह से चुप है.
अब कुंदलाल का मुंह खुलवाने के लिए पुलिस के हाथ बहुत कुछ लग चुका था. पुलिस ने घेरा डालकर कुंदलाल और उसके दोनों नौकर को हिरासत में ले लिया. शुरूशुरू में कुंदलाल अपने राजनीति का भय दिखाता रहा, लेकिन पुलिस के सवालों से वह जल्दी ही टूट गया. उसने बताया कि काजोल के नाम से करोड़ों की जमीन थी. काजोल अपनी जमीन का सीमांकन करवाना चाहती थी. हर बार वह अपना राजनैतिक प्रभाव डालकर उसके काम को रोक देता था, लेकिन इस बार जब सरकारी आदेश पर उसके जमीन का सीमांकन का काम किया जाने लगा तो वह समझ गया कि इस बार उसकी कोई चालाकी काम नहीं आएगी. इसलिए उसने काजोल का हितैषी बनकर सीमांकन के काम मंे उसका साथ दिया.
उसे लगा था कि काजोल सिर्फ जमीन का सीमांकन करवा कर चली जाएगी, लेकिन जब काजोल अपनी जमीन पर फेंसिंग लगाने लगी तो समझ गया कि अब वह वापस उस जमीन पर अपना कब्जा नहीं कर पाएगा. दूसरी बात उसे यह भी पता चल गई थी कि काजोल उस जमीन को किसी दूसरे व्यक्ति को बेचने वाली है. जमीन हाथ से न चली जाए इसलिए उसने पहले मजदूरों को डरा धमका कर काम रूकवा दिया.
गांव के लोग जहां कुंदलाल से डरते थे, वहीं काजोल उससे बेखौफ होकर बराबर की टक्कर दे रही थी. यह देखकर कुंदलाल गुस्से से पागल हो गया. वह समझ गया कि यदि उसने कुछ नहीं किया तो अब यह जमीन उसके हाथ से चली जाएगी. इतने वर्षो में गांव में उसने जो रूतवा व धाक जमा रखी है वह खाक में मिल जाएगी. वह किसी तरह से काजोल को वहां से भगाना चाहता था. इसलिए वह जमीन को लेकर काजोल से झगड़ा करने लगा. जब काजोल ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया तो वह उससे मारपीट करने लगा. काजोल अपने बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगी. यह देखकर कुंदलाल ने अपने दोनों नौकरों को इशारा कर दिया. वह उसे लाठी से पीटने लगे. घायल होकर काजोल जमीन पर गिरकर तड़पने लगी. तीनों ने मिलकर काजोल को खींचकर पास की झोपड़ी में ले गए. जहां उसके चेहरे पर भारी पत्थर पटक-पटक कर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद तीनों उसकी लाश को ले जाकर जंगल में दफना दिया. (कथा काल्पनिक है)
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