Health Ke Liye Laptop Nuksandayak | Laptop loss for health

Health Ke Liye Laptop Nuksandayak
Health Ke Liye Laptop Nuksandayak


सेहत के लिए लैपटौप से जरा बच के health ke liye laptop nuksandayak | Laptop loss for health


डेस्कटौप की बजाय आज लैपटौप के इस्तेमाल करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. नोटबुक आकार का यह कंप्यूटर भले ही डेस्कटौप से अधिक सुविधाजनक हो पर इसके इस्तेमाल से सेहत पर काफी विपरीत प्रभाव (Laptop loss for health) पड़ता है.

लैपटौप के इस्तेमाल करने वाले खिंचाव, अंदरूनी चोट, बाॅयोलाॅजिकल प्रभाव, कैंसर, सेक्स के प्रति अरूचि जैसी समस्याओं के शिकार हो जाते हैं. बर्न यूनिवर्सिटी के निर्देशक ऐलन हेज का कहना है, डेस्कटौप की बजाय लैपटौप पर लंबे समय तक काम करना शारीरिक और मानसिक नुकसानदायक (Laptop loss for health) होता है.

लैपटौप में स्क्रीन और की-बोर्ड बहुत नजदीक होते हैं. जिसकी वजह से इस पर काम करते वक्त कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लैपटौप पर काम करने के दौरान हाथों को पर्याप्त रूप से आराम नहीं मिल पाता है. इस पर लगातार टाइप करने से ऊंगलियों में रेपिटेटिव स्टेªस इंजरी (आरएसआई) हो जाती है. जिसे काॅरपल टनल सिंड्रोम भी कहते है.


इसमें ऊंगलियों में दर्द कंपन, खिचांव होता है. ऊंगलियों का सुन्न हो जाना, ऊंगलियों में कमजोरी, किसी वस्तु को पकड़ने में दिक्कत, मोटर स्किल (लिखने में परेशानी होना) जैसी समस्या देखी जाती है.

लैपटौप के की-बोर्ड काफी छोटे होते हंै. इन पर ऊंगलियांे को ठीक से रखा नहीं जा सकता है. इससे ऊंगलियांे के साथ कलाई पर खिंचाव उत्पन्न होने लगता है. यह खिंचाव कलाई से गर्दन, पीठ और रीढ़ तक भी पहुंचता है, जो काफी परेशानी पैदा करता है. इससे गर्दन, पीठ और कमर दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है.
लैपटौप पर काम करते वक्त गलत मुद्रा में बैठना पड़ता है. गर्दन को झुका कर रखना पड़ता है. जिससे गर्दन दर्द, खिंचाव, पीठ, रीढ़ व कमर में दर्द, सवाईकल स्पाॅडिलाइटिस की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

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लैपटौप का स्क्रिन काफी छोटा होता है. इस पर देर तक काम करने से आंखों पर अधिक जोर पड़ता है. जिससे आंखों में जलन, खुजली, थकान, पानी आना जैसी समस्या दिखाई देने लगती है. इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है. यात्रा के वक्त लैपटौप बैग को लगातार लटकाने पर गर्दन, हाथ, कमर की मांसपेशियों में दर्द, खिंचाव भी पैदा होने लगती है.

मानसिक रोग विशेषज्ञ डाॅ. आदित्य गौरव का कहना है कि लैपटौप पर लगातार काम करने से कई प्रकार की मानसिक समस्या भी दिखाई देने लगती है. सिरदर्द, तेज हृदय गति, नींद में परेशानी, गुस्सा, सुस्ती, तनाव, आलस्य जैसी परेशानी उत्पन्न हो जाती है.

जो लोग लंबे समय तक अपनी टांगों पर रखकर इसका इस्तेमाल करते हैं, उन्हें प्रजनन संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती है. लैपटौप के चलने से उसमें से निकलने वाली गर्मी और चुंबकीय विकिरण से पुरूष नपुंसक व स्त्री बांझ भी बन सकती है.  डाॅ. आदित्य गौरव कहते है, लैपटौप से इलेक्ट्रानिक तरंग निकलते है, जो पुरूष और स्त्री के नाजुक अंगों पर घातक प्रभाव डालते है. जिससे जंनाग के कार्य क्षमता प्रभावित होते हैं.

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सेक्स रोग विशेषज्ञ का कहना है, लैपटौप के इस्तेमाल से लोगों के दिनचर्या पर काफी प्रभाव पड़ता है. इससे युवा शीघ्रपतन व नामर्दी का शिकार हो जाता है. लैपटौप आंखों के लिए भी काफी खतरनाक होता हैं. लैपटौप को गोद पर रखकर काम करने से आंखों के कोण कम हो जाता है. जिसकी प्रभाव आंखों की आंखों की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है. इससे आंखों की रोशनी चले जाने का भय रहता है.

अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि डेस्कटौप की तुलना में लैपटौप से अधिक उष्मा पैदा होती है. न्यूयाॅर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग गोद में रखकर लैपटौप का इस्तेमाल करते है. उनके अंडकोष का तापमान 2.6 से 2.8 डिग्री तक बढ़ जाता है. इससे स्पर्म बनने की संख्या मंे कमी आ जाती है. इसी तरह स्त्री यदि पैरों पर लैपटौप रखकर का इसका इस्तेमाल करती है तो उन्हें बांझपन की समस्या उत्पन्न होने का 70 प्रतिशत भय होता है.

लैपटौप के आस-पास कम आवृत्ति वाला चुंबकीय क्षेत्र तैयार होता है. इससे बाॅयोलाॅजिकल प्रभाव होते हैं जो कि विकसित होते ऊतकों को प्रभावित करते है. इससे सपन दोष, कैंसर, सेल्स ग्रोथ की प्राब्लम उत्पन्न हो जाती है. यही नहीं इसेस न्यूरोलाॅलिकल फंक्शन में भी बदलाव आ जाता है. कम आवृत्ति वाले चुंबकीय क्षेत्र के विकिरण के कारण ही लिंफो साइट की क्षमता को बिगाड़ कर रख देती है. जिसके कारण कैंसर जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है.

इन बातों पर ध्यान दें:-


  • लैपटौप को अधिक समय तक गोद में रखकर काम न करें।
  • स्क्रीन को गलत एंगल में रखकर काम न कर इसे सीधा रखें.
  • टेक्स साइज को बढ़ा करके काम करें.
  • लंबे समय तक आंखें गढ़ा कर काम न करें. इसके लिए 20-20 का नियम अपनाए. 20 मिनट काम के बाद 20 सेकेण्ड का ब्रेक लें.


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