Crime Story in Hindi : मोनिका मेरी जान
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Crime Story in Hindi : मोनिका मेरी जान
मोनिका गांव की सबसे खूबसूरत लड़की थी. उसकी सुंदरता देखकर सहेलियां उससे कहती है, मोनिका तू तो हिरोइन की तरह लगती है. तुझे तो फिल्म की हीरोइन होना चाहिए, तु तो करीना और कैटरीना को भी पीछे छोड़ देंगी.
सहेलियों की बातें सुनकर मोनिका मुस्करा देती. उसे पता था गांव की गरीब मजदूर की बेटी कैसे हीरोइन बन सकती है.
लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. एक दिन अचानक उसके पिता को बीमार हो जाते हैं.इलाज के लिए मां के पास पैसे नहीं थे. उसकी मां ने महाजन से मदद मांगी तो वह बोला, ‘‘रूपये तो मैं दे दूंगा, लेकिन उसके बदले में कुछ तो रखना होगा.’’
‘‘हम गरीबो के पास क्या है जो गिरवी रख सकें’’.
महाजन की नजर मोनिका पर थी, उसने चालाकी से काम लिया. वह बोला, ‘‘तुम्हारी झोपड़ी किस दिन काम आएगी.’’
संपत्ति के नाम पर उनके पास एक छोटी सी झोपड़ी ही थी, लेकिन पति को बचाने के लिए उसकी मां ने दस हजार रूपये के उसे गिरवी रख दिया. मां ने मन ही मन सोचा, ‘पति है तो घर है वर्ना पति के बिना कैसा घर. ’
रूपये की व्यवस्था के बाद जब मोनिका, मां के साथ पिता को अस्पताल लेकर पहुंची तो बहुत देर हो चुकी थी. उसके पिता इस दुनिया से विदा हो चुके थे.
पिता का छाया भी उठ गया और सिर छुपाने की जगह भी हाथ से चली गई. मां बेटी मिलकर मजदूरी करने लगे, पर गांव में इतना काम भी नहीं था कि उन्हें रोज मजदूरी मिले.
महाजन तो इसी समय का इंतजार कर रहा था. उसने मांबेटी पर पैसे के लिए दवाब देने लगता है.
एक दिन मोनिका ने सोचा, क्यों न मुंबई जाकर एक बार अपनी किस्मत आजमाएं. गांव में काम भी नहीं है और ऊपर से महाजन का ब्याज दिन दुगनी रात चैगुनी बढ़ रहा था.
राहुल, मोनिका के बचपन का दोस्त था. दोनों में पटती भी खूब थी. बचपन से दोनों साथ खेले और बड़े हुए थे. वह राहुल को अपनी सभी बातें बताती थी. राहुल, मोनिका से प्यार करने लगा, लेकिन मोनिका उसे सिर्फ अपना दोस्त ही समझती थी.
एक दिन मोनिका ने पेपर में विज्ञापन देखा. नई फिल्म के लिए हीरो-हिरोइन चाहिए. विज्ञापन पढ़कर वह खुशी से उछल पड़़ी. वह इस मौके को खोना नहीं चाहती थी. वह राहुल से बोली, मैं मुंबई जा रही हूं. मां का ध्यान रखना.’’
राहुल ने उसे समझाने की कोशिश की कि फिल्म में काम करना इतना आसान नहीं है जितना की वह सोच रही है. हीरोइन बनाने के चक्कर में लोग लड़की की इज्जत से खेलते हैं, लेकिन मोनिका को इससे क्या फर्क पड़ने वाला था क्योंकि उसके एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुंआ था.
वह मुंबई जा पहुंची. वहां की चहलपहल और भीड़ देखकर उसके होश उड़ गए. कहां गांव की सड़कों पर एकादुक्का लोग कभीकभार दिखते थे और यहां सड़क खाली होने का नाम ही नहीं ले रही थी. वह किसी तरह पेपर में दिये गये पते पर पहुंची.
वहां उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई. उसने अपना परिचय प्रोड्यूसर के रूप में दिया. मोनिका ने उसे अपने आने का मकसद और सारी परेशानी बता दी.
मोनिका की खूबसूरती देखकर उसने सोचा चलो गांव की भोलीभाली लड़कियां को वश में करना ज्यादा आसान है. वह मोनिका को एक घर में ले गया और वहां उसके रहने की व्यवस्था कर दी.
वह व्यक्ति शूटिंग के लिए मोनिका को तरहतरह से एक्टिंग सिखाने के बहाने धूने की कोशिश करता रहता. मोनिका थी तो गांव की लड़की पर उसे इतना तो समझ आ ही गया कि प्रोड्यूसर क्या चाहता है. मोनिका ने जब उसका विरोध किया तो गुस्से में आकर उस व्यक्ति ने मोनिका को अपने घर से निकाल दिया.
मोनिका भी अब वहां रूकना नहीं चाहती थी पर वह गांव भी वापस नहीं लौटना चाहती थी. अब वह कहां जाएगी, यह सोचते हुए रास्ते से जा रही थी. तभी चप्पल के एक बड़े शोरूम के सामने से गुजरते समय उसकी चप्पल टुट गई. उसने इधर उधर देखा, पर वहां आसपास उसे कोई मोची नजर नहीं आता. वह बाहर से शोकेश में रखे चप्पलों को देखने लगी.
सलीम नाम का एक लड़का शोरूम के अंदर से मोनिका को देख रहा था. उसने शोरूम का दरवाजा खोलते हुए बोला, ‘‘हमारे यहां बहुत सी बेराईटी है. आप अंदर आकर देख लीजिए.’’
मोनिका शोरूम के अंदर चली आई और चप्पल देखने लगी. वह चप्पलों पर लगे टैग को देखती और रख देती. मंहगें चप्पल देखकर मोनिका वहां से लौटने लगी.
‘‘क्या हुआ?’’ सलीम ने पूछा.
‘‘बहुत मंहगी है.’’ उसने धीरे से कहा.
‘‘तो क्या हुआ, तुम इसे पहन लो.’’ सलीम उसे एक चप्पल निकाल कर दे देते हुए बोला.
‘‘मैं यह नहीं ले सकती, मेरे पास इतने रूपये नहीं है’’
‘‘ठीक है पैसे देने की जरूरत नहीं है.’’
‘‘मालिक कुल बोलेगें नहीं.’’
‘‘इस दुकान का मैं ही मालिक हूं. तुम इसे उपहार समझ कर रख लो.’’ सलीम ने चप्पल उसके पैरों में पहनाते हुए बोला.
‘‘मैं जब हीरोइन बन जाऊंगी तो तुम्हारे पैसे जरूर चुका दूंगी.’’ मोनिका खुश होते हुए बोली.
‘‘याद रखना, कहीं हीरोइन बनने के बाद मुझे मत भूल जाना.’’
मोनिका शोरूम से बाहर निकल गई. सलीम उसे जाते हुए देखता रहता. वह मोनिका की मासूमियत और खूबसूरती पर मरमिटा था.
वह मोनिका के ख्यालों में ही खोया हुआ था तभी उसका मालिक वहां आ गया.
‘‘इतनी महंगी चप्पल उसे फ्री में क्यों दे दी. अब उसका पैसा कौन देंगा.’’ मालिक ने डांटते हुए कहा.
‘‘जब देखों आपको पैसों की पड़ी रहती है. मेरे वेतन से काट लेना.’’ सलीम ने ताव में कहा.
‘‘चप्पल है पांच हजार की और तेरा वेतन है मात्र दो हजार रूपये. कितने महिने में चुकाएगा.’’
‘‘जब तक आपका मन चाहे.’’
‘‘जेब में दो कोड़ी नहीं बातें करता है बड़ीबड़ी. जाकर ग्राहकों को देख.’’
शाम को सलीम जब घर लौटा तो उसके पड़ोसी ने बताता है कि उसकी मां की तबीयत बहुत खराब है. उसकी मां को अस्पताल में भर्ती करवाया दिया हैं.
सलीम तुरंत अस्पताल पहुंचा. डाक्टर ने ऑपरेशन के लिए तुरन्त पचास हजार रूपये जमा करने के लिए कहा.
सलीम दौड़ादौड़ा अपने मालिक के पास पहुंचा. उसने कहा, ‘‘मालिक मेरी मां बहुत बीमार है. उसके आॅपरेशन के लिए पचास हजार रूपये चाहिए.’’
‘‘पांच हजार अभी दिए नहीं आ गया पचास हजार मांगने. रूपये क्या पेड़ पर उगते हैं.’’ मालिक ने डांट कर उसे भगा दिया.
वह रूपये की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है. तभी एक आदमी उसके पास आकर बोला, ‘‘मेरा एक करेगा, तो मैं तुझे पचास हजार रूपये दूंगा.’’
‘‘क्या काम?’’
‘‘तुझे रूपये चाहिए कि नहीं.’’
‘‘काम बोलो.’’ पचास हजार रूपये के लिए सलीम काम करने के लिए तैयार हो जाता है.
‘‘यह पैकेट इस पते पर पहुंचाना है.’’ उस व्यक्ति ने एक पैकेट देते हुए बोला,
सलीम पैकेट पहुंचा देता है और उस व्यक्ति से रूपये लेकर अस्पताल पहुंचता है, लेकिन उसे रूपये लेकर पहुंचने में देरी हो जाती है.
‘‘सौरी, हम तुम्हारी मां को नहीं बचा सके.’’ डाक्टर इतना बोलकर वहा से चला गया.
सलीम अपनी मां से लिपटकर रो पड़ा. उसने सोचा, दुनिया में रूपया ही सब कुछ है. यदि आज उसके पास रूपये होते तो वह अपनी मां को बचा सकता था.
उसने मन ही मन फैसला किया, आज से मैं भी पैसा कमाऊंगा. वह रूपये देने वाले व्यक्ति के पास पहुंचा.
सलीम ने उससे कहा, ‘‘मुझे रूपये कमाना है. इसके लिए तुम जो भी काम दोगे में करने के लिए तैयार हूं.’’
धीरे-धीरे सलीम जुर्म की दुनिया का बादशाह बन गया. वह लगभग मोनिका को भूल ही चुका था. लेकिन एक दिन अचानक उसकी मुलाकात मोनिका से होती है.
‘‘पहचाना मुझे.’’ सलीम उसे पहचानते हुए बोला.
‘‘हां, तुम तो वही चप्पल उपहार देने वाले....’’
‘‘हां, मेरा नाम सलीम है और तुम्हारा.’’
‘‘मोनिका.’’
‘‘फिल्म में काम मिला.’’
‘‘नहीं ...’’
‘‘क्यों...’’
‘‘सभी की फमाईशें है.....’’ कहते हुए मोनिका की आंखों में आंसू आ गए.
‘‘तुम मेरे साथ चलो.’’ सलीम उसे अपने साथ घर ले आता है.
उसके आलीशान घर और ठाठबाठ को देखकर मोनिका बहुत प्रभावित होती है. मोनिका को खुश करने के लिए सलीम मंहगे कपड़े और जेवर मंगवाता है.
मोनिका बोली, ‘‘मुझे इन सब चीजों की जरूरत नहीं है. मुझे तो रूपये चाहिए.’’
‘‘कितने रूपये चाहिए तुम्हे.’’ कहते हुए सलीम उसके सामने तिजौरी खोल देता है.
तिजोरी मंे ढ़ेर रूपये देखकर मोनिका घबरा जाती है. वह बोली, ‘‘मुझे तो महाजन को देने के लिए केवल बीस हजार रूपये ही चाहिए.’’
सलीम उसकी मासुमियत पर हंस देता है. ‘‘यह लो चाबी, जितने चाहिए लेकर तिजोरी बंद कर देना.’’
सलीम के कहने पर प्रोड्यूसर मोनिका को लेकर फिल्म बनाने के लिए तैयार हो जाते है. लेकिन बदकिस्मती यहां भी मोनिका का पीछा नहीं छोड़ती है.
सलीम से दुश्मनी की वजह से एक नेता पुलिस को तुरंत पकड़ने का आदेश देता है. पुलिस सलीम के पीछे पड़ जाती है. सलीम वहां से गायब हो जाता है.
सलीम से मन ही मन बदला लेने वाले प्रोड्यूसर जिनकी मोनिका पर बुरी नजर थी, पुलिस को बताते है कि सलीम का मोनिका के साथ संबंध है.
पुलिस मोनिका को गिरफ्तार करके थाने ले आती है और उससे सलीम के कारोबार व उसके अड्डे के बारे में पूछताछ करती है.
मोनिका को सलीम के बारे में कुछ नहीं पता है वह तो उसे शोरूम का मालिक समझती थी. पुलिस के अत्याचार करने पर भी वह कुछ नहीं बता पाती.
सलीम की हकीकत जानकर मोनिका उससे नफरत करने लगती है और अपने ऊपर होने वाले अत्याचार के लिए सलीम को दोषी मानती है.
टी.वी. व पेपर में मोनिका की गिरफ्तारी की खबर जब गांव में राहुल को पता चली तो वह उसे छुड़ाने के लिए मुंबई आता है.
मुंबई पहुंचकर राहुल बड़ी मसकत के बाद मोनिका से मिलता है. राहुल को देखकर मोनिका रो पड़ती है और उसे अपने साथ गांव वापस ले चलने के लिए कहती है.
इधर सलीम को जब पता चलता है कि पुलिस मोनिका पर अत्याचार कर रही है तो उसे बचाने के लिए अपने आप को पुलिस के हवाले कर देता है और पुलिस को बयान देता है कि मोनिका को उसके बारेे में कुछ नहीं पता है. वह निर्दोष है.
सलीम के बयान के आधार पर मोनिका को जमानत हो जाती है. वह राहुल के साथ अपने गावं लौट जाती है.
सलीम को जब पता चला कि मोनिका उसे छोड़कर गांव चली गयी है तो उसे बहुत दुख होता है. वह जेल से फरार हो जाता है और सीधे मोनिका से मिलने उसके गांव पहुंचता है.
गांव में मोनिका और राहुल की शादी देखकर वह वापस लौट आता है अपने आप को पुलिस के हवाले कर देता है.
(कहानी और पात्रों के नाम काल्पनिक है. फोटो का कहानी से कोई संबंध नहीं है.)
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