Crime Story in Hindi ‘Stock Guru’ की जालसाजी

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Crime Story in Hindi  ‘Stock Guru’ की जालसाजी | ‘स्टॉक गुरु’ की जालसाजी


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प्रकाश मेहरा और उसकी पत्नी सीमा मेहरा मात्र कुछ ही महीने में सात राज्यों में दो लाख से अधिक लोगों से लगभग ग्यारह सौ करोड़ रूपये ठग कर जनता की ही नहीं प्रशासन की नींद भी हराम कर दी। प्रकाश मेहरा ने अपनी पत्नी सीमा मेहरा के साथ मिलकर स्टॉक गुरु इंडिया कंपनी खोली। प्रकाश की योजना के अनुसार कंपनी में कम से कम दस हजार रूपये का इंवेस्ट किया जा सकता था। उसकी योजना के अनुसार सातवें महीने में कुल बत्तीस हजार हो जाता है, यानी दस हजार पर सात माह में 22 हजार का लाभ। ऐसा लगता है जैसे यह योजना किसी नासमझ इंसान ने बनाई है, लेकिन इसके बावजूद भी इस असंभव से लगने वाले योजना पर 2 लाख से अधिक लोगों ने भरोसा किया और एक के तीन करने के चक्कर में अपने बारह हजार करोड़ रूपये डूबो दिए।

प्रकाश मेहरा और उसकी पत्नी सीमा मेहरा के खिलाफ दिल्ली में सबसे पहले धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया था। इसके बाद देखते ही देखते उनके खिलाफ शिकायतों की गिनती बढ़ने लगी। यह देखकर यह मामला आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया। एमपी ईओडब्ल्यू में प्रकाश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। कंपनी की वेबसाइट पर निवेश की योजना से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश के हजारों निवेशकों ने करीब ढाई करोड़ का निवेश किया था। प्रदेश में व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए प्रकाश और सीमा ने दो सेमिनार भी किए थे।


लगभग साढ़े चैदह हजार लोगों ने प्रकाश और सीमा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला आर्थिक अपराध ब्यूरों में दर्ज कराया। इतने अधिक संख्या में शिकायत को देखते हुए अनुमान लगाया गया कि प्रकाश और सीमा की ठगी का कुल आंकड़ा बारह हजार करोड़ के आसपास का हो सकता है। पुलिस प्रकाश और सीमा के बारे में जानकारी जुटाने में जुट गई।

प्रकाश मेहरा का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। वह अधिक पढ़ा लिखा नहीं था। उसका पढ़ने में मन नहीं लगता था। मुश्किल से उसने दसवीं की परीक्षा पास की और काम धन्धे में लग गया। उसने अपने एक साथी के साथ मिलकर पार्टनरिशिप में ठेकेदारी का काम शुरू किया। कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने लगते हैं।

प्रकाश ने छोटी सी उम्र में ही सबसे पहले अपने ही पार्टनर को चूना लगा दिया था। उसके पार्टनर ने इसकी शिकायत पुलिस में कर दी और प्रकाश को धोखाघड़ी के आरोप में जेल जाना पड़ा। कुछ समय बाद उसे जमानत मिल गई। जमानत मिलते ही वह शहर से फरार हो गया। इसके बाद लौट कर वहां कभी नहीं गया। यही से उसके महाठग बनने के सफर की शुरूआत हो गई।

प्रकाश सीधा बेंगलुरू चला गया। यहां उसने एक काॅल सेंटर में नौकरी कर ली। उसी काल सेंटर में सीमा भी काम करती थी। वह बहुत ही महत्वाकांक्षी थी और जल्द से जल्द रईस बनना चाहती थी। प्रकाश की मुलाकात जब सीमा से हुई तो दोनों एक दूसरे से काफी प्रभावित हुए। दोनों के सोच काफी मिलते जुलते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।

धीरेधीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी कर ली। दोनों के विचार बहुत मिलते थे। ऐसा लगता था मानो ठगी की दुनिया का सरताज बनने के लिए दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे। एक कहावत है ‘जब मिर्याबीबी राजी तो क्या करेगा काजी’ ठीक वैसा ही हाल था इन दोनों का। दोनों जल्द से जल्द पैसा कमाना चाहते थे चाहे वह किसी भी तरीके से आएं।


प्रकाश और सीमा ने मिलकर फर्जी नाम से क्रेडिट कार्ड बनाया। उन कार्ड की मदद से दोनों लाखों रूपये की खरीददारी करके लोगों को चूना लगाने लगे। इस काम को दर्जनों शहर में सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद दोनों किसी बड़े माल पर हाथ मारने की योजना बनाने लगे। अपनी योजना को अंजाम देने के लिए दोनों देहरादून आ गए।

देहरादून में प्रकाश और सीमा ने अपना नाम बदल दिया। प्रकाश ने डाॅ. राकेश और सीमा ने प्राची माहेश्वरी नाम रख लिया। बड़ा काम करने के लिए खुद को भी बड़ा होना पड़ता है। तभी तो लोग उनकी बातों पर विश्वास करते हैं। इसीलिए प्रकाश ने अपने को करोड़पति दिखाने के लिए देहरादून में रहने के लिए न्यायाधीश का बंगला किराए पर ले लिया। यहां लोगों को उसने अपना परिचय ओड़िसा के कोयला मंत्री के बेटे के रूप में दिया, जिनकी नक्सलियों ने कुछ समय पहले ही हत्या कर दी थी।

इससे स्थानीय लोगों की सहानुभूति जीतने में उसे सफलता मिल गई। उसने लोगों को बताया कि पिता की हत्या के बाद नक्सली अब उसकी और उसकी पत्नी प्राची की हत्या करना चाहते थे। इसलिए वह अपने परिवार की जान बचाने के लिए ओड़िसा से बचकर भाग आएं है। अब वह अपने परिवार को लेकर उनसे छुप कर रहना चाहते हैं।


प्रकाश और सीमा जब दोनों देहरादून पहुंचे उस समय सीमा को चार माह का गर्भ था। इसलिए लोगों की सहानुभूति के साथ साथ दोनों को लोगों पर विश्वास जमाने में भी सफलता मिली।

प्रकाश ने देहरादून में यूनिवर्सिटी खोलने का विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित करवा दिया। एडमीशन लेने के लिए लड़के लड़कियों की लाइन लग गई। प्रकाश ने सबको प्रवेश दिया भी और लाखों रूपऐ फीस के रूप मे जमा भी करवा लिए। जनवरी में प्राची (सीमा) की डिलेवरी का समय नजदीक था। ऐसे में उसने अपने परिचितों और छात्रों को एसएमएस कर बताया कि बच्चे के जन्म में मुश्किल आने के कारण वह पत्नी को साथ लेकर कुछ दिनों के लिए दिल्ली जा रहा है।

लोगों को उसकी बात पर भरोसा हो गया। सभी कुछ दिनों तक उसके लौटने का इंतजार करने लगे। कई दिन बीत जाने पर जब प्रकाश और सीमा की कोई खबर नहीं आई तो लोगों ने उसके मोबाइल पर नंबर डायल किया। लोगों को प्रकाश के मोबाइल का स्वीच आॅफ का संकेत मिलता रहा। तब लोगों ने प्रकाश और सीमा के खिलाफ धोखाघड़ी का मामला दर्ज करवाया लेकिन तब तक प्रकाश और सीमा पुलिस की पहुंच से काफी दूर निकल चुके थे।

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प्रकाश और सीमा देहरादून में केवल पांच माह ही रूके थे। पर इन पांच माह में उन्होंने उत्तराखंड के हजारो युवक युवतियों को करोड़ों रूपये का चूना लगा चूके थे। दोनों वहां से फुर्र हो गए। इसके बाद दोबारा कभी देहरादून का रूख नहीं किया।

इस घटना के बाद दो साल तक दोनों अंडरगाउण्ड हो गए। इस बीच सीमा एक बेटे की मां बन गई। देहरादून में कमाया पैसा जब खत्म हो गया तो दोनों एक बार फिर नई योजना बनाने लगे। दोनों इस बार लाख दो लाख की कमाई का नहीं बल्कि करोड़ों रूपये कमाने की फिराक में थे। इस काम के लिए उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली को चूना।

प्रकाश और सीमा दोनों ने दिल्ली में अपना जाल बिछाना शुरू किया। प्रकाश ने अपना नाम बदलकर इस बार लोकेश्वर देव और सीमा ने प्रियंका देव रख लिया। उन्होंने इंडिया नाम से अपनी एक कंपनी खोली। इस कंपनी के माध्यम से प्रकाश ने लोगों को सात माह में अपनी रकम को तीन गुने से अधिक करने का लालच दिया। प्रकाश ने बताया कि कंपनी की योजना के अनुसार कम से कम दस हजार का इन्वेस्ट किया जा सकता था। जिसमें छह माह तक प्रति माह जमा धन का बीस प्रतिशत इन्वेस्टर को रिटर्न मिलने के साथ ही सावतें महिने में पूरी रकम भी वापस देने का वादा किया गया था।

दिल्ली में शुरू की गई इस कंपनी की ओर ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया। क्योंकि शुरू-शुरू मंे लोगों ने उसकी योजना पर भरोसा नहीं किया, लेकिन प्रकाश जानता था कि लालच प्रत्येक व्यक्ति के अंदर है। बस उसे व्यक्ति के अंदर के लालच को जगाना था। इसमें थोड़ा सा समय और मेहनत की जरूरत थी।

प्रकाश और सीमा ने करोड़ों रूपये कमाने के लिए अपना लाखों रूपया भी खर्च किया। उन्होंने लोगों को लालच देने के लिए खुद का पैसा भी कंपनी में लगाया था। प्रकाश और सीमा लोगों को दिखाने के लिए मंहगी से मंहगी गाड़ी में घूमा करते थे। इतना ही नहीं प्रकाश तो पूरे तामझाम के साथ आफिस आया करता था। उसके साथ मंहगी गाड़ियांे का काफिला चलता था। उसके चारों ओर बाॅडीगार्डो की एक टीम रहती थी जो प्रकाश और सीमा को अपने सुसीमा में घेरे में लेकर चलते थे। ऐसा लगता था मानो वह किसी देश का राष्ट्राति हो। उसके इस तामझाम की वजह से वह जल्दी ही लोगों की नजरों में आने लगा।

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यही नहीं वह सप्ताह में दो बार अपने इंवेस्टर्स की फाइव स्टार होटल में पार्टी भी देता था। जिसमें वह कई सेलिब्रिटीज को भी बुलाता था। इसके अलावा उसकी खुद स्टाॅक एक्सचेंज के मामलों में अच्छी पकड़ थी, इसलिए वह इन पार्टी में अपनी बातों से लोगों को ऐसा प्रभावित करता कि लोग सबकुछ भूलकर उसकी कंपनी में अपना पैसा लगा देते थे।

दिल्ली में काम फैला तो उसने स्टाक गुरू इंडिया नाम से अपना करोबार मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र सहित सात राज्यों में भी फैला लिया। प्रकाश और सीमा ने देश के कोने-कोने में 20 विभिन्न बैकों में अपने खाते खोले। इसके लिए उसने कंपनी का काम देखने के लिए कई एजेन्ट भी नियुक्त किए। प्रकाश द्वारा नियुक्त किए गए एजेन्ट दिनरात उसकी कंपनी के लिए काम करने लगे। जिनके माध्यम से लगभग 94 बैंक खातों में रूपयों की बाढ़ सी आ गई।

सबसे मजेदार बात तो यह थी कि जिन लोगों ने स्टाक गुरू इंडिया नामक कंपनी में अपना पैसा लगाया था उन्हें पहले माह के बाद जो 20 प्रतिशत रिटर्न मिलना था वह तो उन्हें नहीं मिला, इसके बाद भी वह सभी लोग चुपचाप थे। आखिर प्रकाश ने उन्हें ऐसा क्या कहा था जो इसके बाद भी न केवल उसके साथ जुड़े थे, बल्कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को पकड़ पकड़ कर स्टाक गुरू इंडिया में अपना रूपया इंवेस्ट करने के लिए जोर दे रहे थे।

इसका यह नतीजा हुआ कि देखते ही देखते कुल 2 लाख 5 हजार 62 लोगों का लगभग 5 सौ करोड़ रूपया प्रकाश और सीमा के खातों में आ गया। इतना रूपया जमा हो जाने के बाद दोनों एक बार फिर गायब हो गए ठीक उसी तरह जैसे देहरादून से हुए थे। इस बार उन्होंने लोगों को चकमा देने के लिए नकली रेड का नाटक किया।

एक दिन प्रकाश की कंपनी और घर व अन्य ठिकानों पर एक साथ इनकम टैक्स वालो की रेड पड़ी। यह रेड तो थी नकली, पर देखने वालों को यह बिलकुल असली जैसा ही लगा। इस रेड के बाद दोनों अचानक गायब हो गए। लोगों को कुछ समझ में ही नहीं आया कि दोनों गायब हुए है अथवा पुलिस पकड़ कर ले गई।

जब तीन चार माह तक उनका कोई पता नहीं चला तो लोगों ने दोनों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की। इसके बाद देखते ही देखते शिकायतों का आकड़ा इतना बढ़ गया की इस मामले को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दिया गया।

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मामला आर्थिक अपराध शाखा के हाथ में आते ही ज्वाइंट कमिश्नर संदीप गोयल की टीम प्रकाश और सीमा की खोज में लग गई। जिसके लिए सबसे पहले एलओसी खोल दी गई ताकि ठकराज और उसकी बीवी देश छोड़कर बाहर न जा सकें।

श्री संदीप गोयल को भरोसा था कि प्रकाश ज्यादा समय तक शांत नहीं बैठेगा। वह देश के किसी न किसी हिस्से में फिर से ऐसी ही वारदात करने की कोशिश जरूर करेगा। उन्होंने अपनी टीम को देश के एक दो हिस्से पर नहीं बल्कि पूरे देश पर नजर रखने के लिए कहा।

श्री संदीप गोयल का सोचना सही निकला। क्योंकि लोगों को ठगना एक तरह से शराब के नशे जैसा ही है। जब तक वह दो चार लोगों को ठग न लें उन्हें मानसिक शांति नहीं मिलती है। उनका दिमाग लोगों को ठगने के लिए कुलबुलाते रहता है। प्रकाश व सीमा का भी वही हाल था। दोनों ज्यादा दिनों तक चुप नहीं बैठ सकें।

श्री संदीप गोयल को पता चला कि रत्नागिरी, महाराष्ट्र में कुछ दिनों से इसी तरह का मिलता जुलता विज्ञापन किसी कंपनी द्वारा वहा के अखबारों में प्रकाशित किया जा रहा है, जिसमें इन्वेस्टर्स को कम समय में ज्यादा पैसा लौटाने का सब्जबाग दिखाया जा रहा है। यह जानकारी मिलते ही श्री गोयल अपनी टीम के साथ रत्नागिरी के लिए रवाना हो गए।
श्री गोयल ने प्रकाशित विज्ञापन वाले अखबार के कार्यलाय में जाकर विज्ञापन देने वाले व्यक्ति के बारे में पूछताछ की। वहां उन्हें पता चला कि यह विज्ञापन किसी सिद्धार्थ नामक व्यक्ति ने बुक करवाया है। ईओडब्ल्यू की टीम ने सिद्धार्थ नामक व्यक्ति की जानकारी एकत्र करनी शुरू की।

उन्हें जल्दी ही पता चला कि सिद्धार्थ अकेला नहीं है, बल्कि उसके साथ उसकी पत्नी माया भी है। दोनों मिलकर इस कंपनी का संचालन कर रहे हैं। पुलिस के पास प्रकाश और सीमा का हुलिया था। उससे सिद्धार्थ और माया का चेहरा तो नहीं मिलता था लेकिन कदकाठी से वह बहुत कुछ प्रकाश और सीमा से मेल खाते थे।

श्री गोयल को पूरा यकीन था कि सिद्धार्थ ही प्रकाश मेहरा और माया ही सीमा मेहरा हैं। क्योंकि जिस तरीके से यहां कंपनी का विज्ञापन दिया गया था वह पहले दिए गए विज्ञापन जैसा ही था। श्री गोयल को यह समझते देर नहीं लगी कि प्रकाश और सीमा ने अपने नाम के साथ-साथ चेहरे भी बदल लिए थे।

श्री गोयल ने अपनी टीम के साथ सिद्धार्थ और माया के ठिकाने पर पहंुचे। पुलिस को देखकर सिद्धार्थ उर्फ प्रकाश और माया उर्फ सीमा के चेहरे पर कोई भी शिकन नजर नहीं आई। सिद्धार्थ ने पूरे विश्वास के साथ श्री गोयल के सवालों के जवाब दिए। इतना ही नहीं उसने उन्हंे बरगलाने की भी कोशिश की। उसने श्री गोयल से कहा कि आप लोग उसे पहचानने में गलती कर रहे हैं। वह किसी प्रकाश नाम के व्यक्ति को जानता तक नहीं है और न ही कभी उसका नाम सुना है।

लेकिन पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी और उसके घर की तलाशी लेने लगी। पुलिस को उसके घर से सिद्धार्थ और माया के नाम का राशनकार्ड, इसी नाम से दोनों के आधार कार्ड, 18 पेनकार्ड, 4 डेबिट कार्ड, 2 इंटरनेशनल डेबिड कार्ड, 75 क्रेडिट कार्ड, 30 मोबाइल सिम, 20 अलगअलग कलर के कांटेक्ट लैंस, 131 चेक बुक तथा अलग अलग नाम के 19 बैंकों के पासबुक, लगभग 15 लाख रूपये की सोने के गहने, दो कीमती मोटरसाइकिल और सात मंहगी कार मिली।

पुलिस द्वारा ली गई तलाशी से साफ जाहिर हो चुका था कि सिद्धार्थ और माया ही प्रकाश और सीमा है। यदि ईओडब्लू की टीम समय पर पहुंच कर प्रकाश और सीमा पर कार्यवाही नहीं करती तो दोनों जल्दी ही रत्नागिरी के लाखों लोगों को चूना लगाने की तैयारी कर चुके थे। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
सिद्धार्थ का असली नाम प्रकाश मेहरा और माया का सीमा मेहरा है। इन दोनांे ने मिलकर पहले भी लाखों लोगों को ठग चुके थे। देश के कई राज्यों में उनके खिलाफ धोखाघड़ी और ठगी के मामले दर्ज है।

दुनिया में लोगों को ठगने वाला प्रकाश अपनी मां की ममता को भी ठगने से बाज नहीं आया था। धोखाघंडी के एक मामले में जब उसे जमानत मिली तो उसने हमेशा हमेशा के लिए अपना शहर छोड़ दिया। उसके बाद वह कभी लौट कर अपनी मां के पास नहीं गया और न ही अपने किसी परिजन व रिश्तेदारों से संपर्क रखा। कुछ साल बाद उसने अपनी पत्नी के हवाले से एक ईमेल द्वारा खुद के मरने की सूचना भेंजवा दी।

प्रकाश के जिंदा होने की बात सुनकर उसकी मां को यकीन ही नहीं हुआ कि उसका बेटा जिंदा है। ठग के रूप में ही सही अपने बेटे को जीवित पाकर वह बहुत खुश है। उन्होंने पुलिस को बताया कि उसके जाने के लगभग पांच साल बाद प्रकाश की पत्नी ने ईमेल द्वारा खबर भेंजी थी कि एक सड़क दुर्घटना में प्रकाश की मृत्यु हो गई हैं। पुलिस ने प्रकाश के दोनों बच्चों को उसकी दादी को सौंप दिया।

पुलिस ने जब प्रकाश और सीमा से पूछताछ शुरू की। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि प्रकाश ने अपना कारोबार लगभग आधे देश में फैला लिया था। उसने महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान से लेकर सिक्किम तक में दो लाख से अधिक लोगों को स्टाक गुरू इंडिया के माध्यम से ठगी का शिकार बनाया है।

पुलिस ने प्रकाश और सीमा के अलग अलग ठिकानों से अब तक लगभग 85 करोड़ रूपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है। विभिन्न बैंकों में लगभग 24 करोड़ नगद के अलावा 21 करोड़ के अनपेड डीडी मिली है। प्रकाश और सीमा के नाम से दिल्ली और मुरादाबाद में कई मकानों के अलावा गोवा में एक बंगला है। उनके पास से एक दर्जन से अधिक महंगी कारें भी मिली है। प्रकाश के बीस बैंकों में अलग अलग नाम से 94 बैंक खांतों की जानकारी पुलिस को मिली है।

प्रकाश न केवल महंगी गाड़ियों के काफिले के साथ बाॅडीगाड्र्स की सुसीमा घेरे में चलता था, बल्कि अपनी कलाई में 19 लाख रूपए कीमत की रोलेक्स घंड़ी पहनता था। पुलिस को उसके पास से 60 महंगी घड़िया मिली है, जिनकी कीमत 50 लाख रूपये है।

प्रकाश अपने ग्राहकों को प्रभावित करने के लिए फाइव स्टार होटल में पार्टी के लिए बुलाता था। जिसमें बाॅलीवुड के सेलिब्रिटी को भी शामिल करता था। पार्टी में ग्राहकों और साथ में उनके दोस्तों को बुलाता था, वे उसकी चकाचैंध देखकर उससे प्रभावित हो जाते थे और अगले ही दिन उसकी तिजोरी में नए इंवेस्टर्स के करोड़ों रूपए आ जाते थे।

पुलिस के अनुसार प्रकाश खरे और सीमा मेहरा को पकड़ने में इसलिए अधिक समय लगा क्योंकि दोनों हर बाद नई जगह पर जाकर अपना नाम बदल लेते थे। इतना ही नहीं नाम के साथ-साथ वे दोनों अपना चेहरा भी बदल लेते थे। इसलिए उन्हें आसानी से पहचान पाना मुश्किल था। देहरादून में दोनों ने डाॅ. राकेश और प्राची माहेश्वरी बनकर लोगों को ठगा था तो दिल्ली में लोकेश्वर देव जैन तथा प्रियंका देव जैन बनकर, बंगलुरू में प्रकाश उर्फ रोहित, गोवा में लोकेश्वर वीर देव तथा मुंबई में सिद्धार्थ और माया मराठे के नाम से अपने कारनामे को अंजाम दिया था।

पुलिस का कहना है कि रूप बदलने के लिए दोनों ने प्लास्टिक सर्जरी कभी नहीं कराई लेकिन जिस शहर में जाते अपने आप में इतना परिवर्तन कर लेते थे कि उनकी पहचान पूरी तरह से बदल जाती थी। यहां तक कि उसके पास विभिन्न रंग के 20 कान्टेक्ट लैंस भी मिले है। इसके अलावा प्रकाश एक सिम से केवल एक बार ही फोन करता था। अपने घर से उसने कभी कोई फोन नहीं किया न ही अटैंड किया। वह अपने घर से लगभग 20 किलोमीटर दूर जाकर ही फोन करता था। पुलिस अभी भी उसके और ठिकानों का पता लगा रही है। (कथा काल्पनिकता पर आधारित)

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