Crime Story in Hindi : मामी का दीवाना

Crime Story in Hindi : मामी का दीवाना
Crime Story in Hindi : मामी का दीवाना

Crime Story in Hindi : मामी का दीवाना

मई माह में गर्मी सुबह से ही सूरज आग उगल रहा था. लोगों का घरों से निकालना मुहाल था। चारों ओर आहाकार मचा हुआ था. सुबह के साढ़े 8 बजे का वक्त था. भोपाल के मिसरौद थाना प्रभारी कंुवर सिंह मुकाती को कलियासौत नदी पर बने पुल के नीचे किसी युवक की सिर कुचली लाश पड़ी होने की सूचना मिली. सिर कुचली लाश की सुनकर थाना प्रभारी श्री कंुवर सिंह मुकाती के कान खड़े हो गए. उन्होंनेे तुरंत इसकी सूचना अपने अधिकारी एसडीओपी मिसरोद अतीक अहमद खान और एसपी अंशुमान सिंह को दे दी. पुलिस के अधिकारियों उन्हें फोन पर कुछ आवश्यक निर्देश दिए और घटनास्थल पर पहुंच कर जांच करने का आदेश दिया.

आग उगलती गर्मी की परवाह किए बगैर टीआई कंुवर सिंह मुकाती अपने साथ एसआई प्रकाश राजपूत, आरक्षक सुरेश सहारे, शेखर, कोडर सिंह को लेकर घटनास्थल पर पहुंचे गए. वह इलाका एकदम सूनसान था। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. घटनास्थल पर उन्होंने देखा लगभग 26-27 साल के एक युवकी लाश पड़ी थी. लाश का मुआयना करने पर पता चला की युवक के पेट और पीठ पर चाकूओं के गहरे घाव थे. हत्यारे ने बड़ी बेरहमी से युवक की हत्या की थी. चेहरा पहचाना न जा सके इसलिए हत्यारे ने  किसी भारी चीज से कुचला दिया था. हत्या करने के बाद लाश को कचरे के ढेर के नीचे छुपाने की कोशिश की थी. लाश से हल्की बदबू आने लगी थी जिससे यह साफ था कि लाश एक-दो दिन पुरानी हो सकती है.

लाश के पास एक पुरानी पल्सर मोटर साइकिल पड़ी थी. लाश का चेहरा कुचला हुआ था इसलिए उसकी शिनाख्त नहीं की जा सकती थी. पुलिस ने सबसे पहले मोटर साइकिल के नंबर द्वारा आरटीओ से उसके मालिक के बारे में पता करने की कोशिश की. मोटसाइकिल पर नंबर स्पष्ट न होने की वजह से इस बारे में आरटीओ से कुछ पता नहीं चला.

इसी बीच पुलिस के अधिकारी एसडीओपी मिसरोद अतीक अहमद खान और एसपी अंशुमान सिंह वहां पहुंच गए. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. इतने में एसएफएल की टीम के अधिकारी गुप्ता अपनी टीम को लेकर पहुंच गए. टीम तुरंत जांच का काम शुरू कर दिया.


लाश के जेबांे की तलाशी लेने पर उसके पैंट की जेब से एक कागज का टुकड़ा मिला, जिस पर एक फोन नंबर लिखा हुआ था. टीआई मुकाती ने तुरंत उस फोन नंबर पर फोन किया. फोन पर आकाश लोधी नाम के व्यक्ति ने बात की. मृकत का हुलिया बताने पर उसने मृतक की पहचान अमित कुमार  का हो सकता है. उसे होशंगाबाद का रहने वाला बताया. आगे जांच करने पर पता, 26 वर्षीय अमित कुमार तीन माह पहले ही होशंगाबाद से काम की तलाश में आया था. वह यहां पर स्टेशन रोड, वार्ड नंबर एक में रहता था. किसी ग्लास फैक्ट्री में वह काम करता था. अमित कुमार

मृतक के बारे में जानकारी मिलने पर पुलिस ने मृतक के परिजनों को भी घटना की सूचना दे दी. खबर मिलते ही मृतक के माता-पिता शाम होने से पहले ही मिसरोद थाने पहुंच गए. अमित कुमार के पिता रायसेन में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते हैं, जबकि उसकी मां होशंगाबाद में रहती है.

पुलिस अमित कुमार के बारे में जानकारी लेने वहां पहुंची जहां अमित कुमार रहता था. वहां पता चला अमित कुमार का घर उसके ठीक सामने रहने वाले रामप्रसाद  के यहां अधिक आना-जाना था. पुलिस रामप्रसाद  के यहां पहुंची. वहां रामप्रसाद की पत्नी साक्षी (बदला हुआ नाम) मिली. अमित कुमार के हत्या की जानकारी मिलने पर वह जोरजोर से रोने लगी. कंुवर सिंह  ने पुलिस को बताया, अमित कुमार मीना उर्फ नब्बू की मां और वह एक ही गांव नीम सराय जिला-हरदा के रहने वाले हैं. रिश्ते में गुरूभाई हूॅ. अमित कुमार की मां उसे राखी भी बांधती है. अमित कुमार प्रसाद, रामप्रसाद  को मामा कह कर बुलाता था.

पुलिस को पता चला. अमित कुमार अपने मामा के कहने पर ही होशंगाबाद से मंडीदीप काम के लिए आया था. रामप्रसाद ने उसे मंडीदीप के एक ग्लास फैक्टरी में नौकरी लगवा दी थी. रहने के लिए उसे अपने घर के पास एक कमरा किराए से दिलाया था. मामा-भांजे का रिश्ता और आमने-सामने घर होने की वजह से अमित कुमार ज्यादातर वक्त रामप्रसाद के घर पर ही रहता था.

रामप्रसाद  का एक छोटा भाई राहुल भी वहीं उनके साथ रहता है. राहुल और अमित कुमार हमउम्र के थे इसलिए उन दोनों की खुब पटने लगी थी. पुलिस द्वारा राहुल से की गई पूछताछ में अमित कुमार के किसी प्रेम प्रसंग या रंजिश के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

टीआई मुकाती ने मृतक के माता-पिता, मामा रामप्रसाद  और रिश्तेदारों से मिलकर अमित कुमार के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने में लगे थे. इसी सिलसिले में पूछताछ के दौरान मृतक की मां ने पुलिस के सामने एक ऐसी बात का जिक्र किया जिसे सुनकर टीआई श्री मुकाती को अंधेरे में एक रोशनी की किरण दिखाई दी. उन्होंने तुरंत पूछताछ के लिए रामप्रसाद, राहुल सिंहए साक्षी तथा संतोष को उठवा लिया.


थाना प्रभारी श्री मुकाती को मृतक की मां ने पूछताछ के दौरान बताया था कि घटना से एक दिन पहले अमित कुमार अपनी बाइक पर राहुल और संतोष को लेकर घूमने के इरादे होशंगाबाद लेकर आया था. उसी दिन शाम को तीनों मंडीदीप वापस लौट गए थे. राहुल ने यह बात अपने बयान में पुलिस को यह नहीं बताया था.

इसकी वजह से शक की सुई राहुल की ओर हो गया था. राहुल ने अमित कुमार के साथ होशंगाबाद जाने की बात पुलिस से क्यों छुपाई? इस बारे में जब संतोष और राहुल से सख्ती से पूछताछ की तो कुछ देर तक दोनों इधर-उधर की बात करके घुमाने लगे पर ज्यादा देर तक पुलिस के सवालों के आगे टिक नहीं सके. दोनों टूट गए और उन्होंने अमित कुमार की हत्या की बात कबूल ली. राहुल और संतोष ने अपने बयान में पुलिस को जो कुछ बताया उसके आधार कहानी कुछ इस प्रकार थी.


मृतक अमित कुमार की मां होशंगाबाद में रहती थी. अमित कुमार कुछ समय पहले भोपाल के गोविंदपुरा में काम करता था. पिछले कुछ समय से बेरोजगार था. उसकी मां हरदा की रहने वाली है. रामप्रसाद भी वहीं का रहने वाले हंै. कुछ सालों पहले दोनों एक साथ एक ही गुरू से दीक्षा ली थी. इसी वजह से दोनों एक-दूसरे के गुरूभाई-गुरूबहन हो गए थे. अमित कुमार की मां रामप्रसाद को राखी भी बांधती थी. तीज-त्यौहार पर एक-दूसरे यहां आना-जाना था. अमित कुमार, रामप्रसाद को मामा कहकर बुलाता था. वह उसे अपने भंजे जैसा प्यार देते थे. कुंवर प्रसाद लंबे समय से मंडीदीप में रहता था. वह फैक्ट्री में काम करता था. एक दिन की बात है. रामप्रसाद अमित कुमार के घर गया तो बेरोजगार अमित कुमार ने उनसे कहीं काम दिलवाने की बात कहीं.

रामप्रसाद ने उससे कहां, जैसे कोई नौकरी के बारे में उसे पता चलेगा उसे बुला लेगा. लगभग तीन माह पहले रामप्रसाद ने अमित कुमार को मंडीदीप बुलाकर उसे एक ग्लास फैक्ट्ररी में काम दिलवा दिया. साथ ही मंडीदीप मोहल्ला वार्ड नंबर एक में किराए का घर दिलवाकर उसके रहने की व्यवस्था ठीक अपने घर के सामने करवा दी.

रामप्रसाद की शादी मंडीदीप निवासी साक्षी से लगभग बारह साल पहले हुई थी. साक्षी से उसके तीन बच्चे हंै. रामप्रसाद अपना घर खर्च पूरा करने के लिए दिन के समय एक फैक्ट्री में काम करता था और शाम के समय चाट का ठेला लगाता था. इसी तरह उसका अधिकतर समय काम के सिलसिले में बाहर ही बीतता था.

 अमित कुमार की आठ घंटे की डियुटी थी. इसके बाद वह फ्री रहता था. वह समय काटने के लिए अक्सर रामप्रसाद के घर पर चला जाता था. जहां बच्चे, मामी और राहुल के साथ बात करके समय कट जाता था. इन सबसे उसे अपनी मामी के साथ समय बीताना ज्यादा अच्छा लगता था। वह मन ही मन मामी को चाहने लगा था.

उसकी मामी साक्षी तीन बच्चों की मां बन चुकी थी लेकिन उसका सौंदय अभी भी बरकरार था. उसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता था. वह तीन बच्चों की मां है. साक्षी बाहर से दिखती खुश जरूर थी, पर अंदर से काफी दुखी थी. क्योंकि उसे अपने पति का भरपूर साथ नहीं मिल रहा था.  दिनभर तो जैसे-तैसे समय बीत जाता था, लेकिन रात उसे नागिन की तरह डंसने लगती थी.

उसका पति दिन भर की जी-तोड़ मेहनत के बाद इतना थक जाता था कि रात को घर लौटने के बाद कर जैसे तैसे अपनी भूख शांत करता और बिस्तर खर्राटा लेने लगता. उसे इतना भी ध्यान नहीं रहता कि पास लेटी उसकी पत्नी की भी अपनी कुछ जरूरत है. साक्षी बिस्तर पर रात भर जल बिन मछली की तरह तड़पती रहती. उसकी इच्छाएं अभी भी जवान थी, वह अपने पति का भरपूर प्यार चाहती थी. उसने कई बार अपने पति को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसका कहना था कि अब बहुत हो चुका, घर पर तीन-तीन बच्चे हैं. उनकी जिम्मेदारियां है. अभी काम नहीं करूंगा तो फिर कब पैसे कमाउंगा. अपने पति की बात सुन कर उसे चुप रहना पड़ता.

कहते है आग और पेट्रोल कभी भी पास पास नहीं रखना चाहिए. कभी भी आग लग सकती है. यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. अमित कुमार का अधिकतर समय कंुवर सिंह के घर पर ही बीतता था. जब घर पर कोई नहीं रहता उस वक्त बैठे-बैठे साक्षी की खूबसूरती को निहारता रहता था. साक्षी अपने काम में लगी रहती थी. एक दिन साक्षी का ध्यान अमित कुमार की तरफ गया. वह प्यार भरी नजरों से ऐसे देख रहा था. किसी जवान मर्द द्वारा उसे इस तरह से निहारते देख उसके मन में हलचल होने लगी. उसका मन हट्टे-कट्टे अविवाहित अमित कुमार की ओर डोलने लगा.


दोनों का रिश्ता मामी-भांजे का था. साक्षी कुछ समय तक अपने आप को संभालने की कोशिश की. पर वह खुद को संभाल कर नहीं सकी. उसकी ओर बहती चली गई. एक दिन उन दोनों ने अपनी सभी मर्यादों को तोड़ दी. फिर क्या था दोनों दलदल में ऐसे गिरे की गिरते ही चले गए. अमित कुमार अपनी मामी का ऐसा दीवाना हो चुका था कि काम से लौटते ही सीधे अपने मामा के घर पहुंच जाता जहां दोनों अपनी प्यास बुझाते. साक्षी ने कुछ ही दिनों में कामसूत्र का ऐसा पाठ पढ़ाया की अमित कुमार उसे लेकर साथ-साथ जीने-मरने की कसमें तक खा ली. दोनों यहां भाग कर कहीं दूर जाकर अपना नया घर बसाने की तैयारी कर ली. साक्षी अमित कुमार के प्यार में इतनी दीवानी हो गई थी कि वह अपने तीन बच्चों को छोड़ कर उसके साथ भागने के लिए तैयार थी. यह नहीं तीन बच्चों के बाद साक्षी ने नसबंदी करवा लिया था. वह अमित कुमार के बच्चे की मां बनने के लिए नसबंदी को खुलवाने के लिए तैयार थी.

अमित कुमार और साक्षी के बीच क्या चल रहा है. इसे लेकर किसी कोई शक भी नहीं हो रहा था. उसकी वजह थी। दोनों बीच रिश्ता मामी-भांजे का था. दोनों के बीच उम्र का भी लंबा फासला था. रामप्रसाद जब काम से लौटकर आता तो को अपने घर पर देखकर उसकी नीयत पर कभी शक नहीं हुआ. वह तो उसे अपने सगे भांजे जैसा समझता था. उसे क्या पता था कि उसके पीठ पीछे उसका भांजा उसकी पत्नी क्या खेल खेल रहे हंै.

घटना से पहले दिन अमित कुमार प्रसाद, राहुल और संतोष को होशंगाबाद घुमाने ले गया. शाम को लौटते समय तीनों ने औबेदुल्लागंज में बैठकर शराब पी. शराब के नशे में अमित कुमार बहक गया. उसने राहुल और संतोष के सामने अपनी और साक्षी के अवैध संबंधों के बारे में बक दिया. उसने यह भी बताया कि जल्दी वह साक्षी को लेकर वहां से भागने वाला है.

अपनी भाभी के बारे में ऐसी बातें सुनकर राहुल का खून खौल उठा, लेकिन उस वक्त उसने उसे कुछ नहीं कहा. पहले वह अमित कुमार की बातों पर यकीन कर लेना चाहता था.  सच्चाई जानने के लिए अगले दिन दोपहर के घर पर गया. उस वक्त घर का दरवाजा बंद था. उसने खिड़की से अंदर झांक कर जो कुछ देखा उसे देख कर उसका खून खैल उठा. अमित कुमार और उसकी भाभी वासना का गंदा खेल खेल रहे थे. राहुल ने उसी वक्त अमित कुमार को जान से मारने का निश्चय कर लिया.

राहुल ने संतोष के साथ मिलकर अमित कुमार की हत्या की पूरी योजना बनाई. राहुल और संतोष शराब पिलाने के बहाने अमित कुमार को कलियासौत पुल के पास लेकर पहुंचे.  जहां दोनों ने मिल कर अमित कुमार का जमकर शराब पिलाई. शराब पीते ही अमित कुमार बहक गया, साक्षी के साथ किस तरह से मजा लेता है. वह सैक्स के लिए किस तरह से उसका साथ देती है जैसी उटपटांग बातें करने लगा. राहुल और संतोष पहले ही उसे पिटाने के लिए यहां लेकर आएं थे.  दोनों उसे पुल के नीचे ले गए, जहां चाकू से दोनों उस कई वार किए. अमित कुमार बूरी तरह से नशे की हालात में था. वह अपना बचाव नहीं कर सका. वहीं गिर कर शांत हो गया. आखिर में उन्होंने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर राहुल के  सिर पर दे मारा ताकि उसकी पहचान न हो सके.इसके बाद लाश को वहीं कचरे से ढाक कर चले आए.

लाश मिलने के बाद दोनों पुलिस के साथ इस तरह से पेश आ रहे थे, मानो वह पुलिस की मदद कर रहे है. मिसरोद टीआई मुकाती के सामने उनकी चालाकी ज्यादा देर तक नहीं चल सकी. 24 घंटे के अंदर इस मामले का खुलासा कर दो आरोपियों को सालाखों के पीछे पहुंचा दिया. (कथा के पात्रों के नाम, स्थान काल्पनिक हैण् फोटो का कहानी से कोई संबंध नहीं है)

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