Crime Stories : farji sting operation | Crime Story in Hindi

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Crime Stories : farji sting operation | Crime Story in Hindi 

Crime Story in Hindi | farji sting operation | फर्जी स्टिंग ऑपरेशन

दो सितंबर का सूरज ढलने को था. शाम के लगभग 6 बजे थे. आसमान में अपने-अपने बसेरों को लौट रहे परिंदो की और सड़क पर नौकरीपेशा लोगों की भीड़ अधिक थी, जो कि दिन भर आॅफिस में खपने के बाद थके हारे चेहरे लिए अपने अपने घरों को लौट रहे थे. ऐसे में एक फाइव स्टार होटल से दो युवतियां बाहर निकली.

एक साथ होटल से बाहर आने वाली इन दोनों युवतियों के न केवल पहनावे में बल्कि चेहरे के हाव भाव में भी खासा अंतर था. किसी माॅडल की तरह छरहरी काया वाली युवती ने ‘लो वेस्ट’ जींस के ऊपर नाभि दर्शाता टाॅप पहन रखा था. जबकि उसके साथ वाली घबराई हुई युवती कुछ भरे बदन की थी, उसने सलवार कुर्ते के ऊपर कायदे से चुन्नी ओढ़ रखी थी, दोनों होटल से बाहर निकलकर वहां खड़ी एक काले रंग की आल्टो कार में बैठकर चली गई.

इन दोनों के जाने के लगभग एक घंटे बाद होटल से पांच लोग भी शान के साथ निकले और एक गाड़ी में बैठकर चले गए. अब तक अंधेरा फैलने लगा था. ऐसे मे इन लोगों के जाने के बाद अपने हाथों में सामान लिए होटल से दो व्यक्ति और बाहर निकलें. इन दोनों के चेहरे पर मुर्दानी छाई हुई थी. वे बाहर खड़ी काले रंग की क्वालिस में सवार होकर वहां से चले गए.

मोटे तौर पर लगभग दो ढाई घंटे के अंतराल में होटल से अलग-अलग तीन गु्रप में बाहर निकले इन लोगों का आपस में कोई संबंध नजर नहीं आ रहा था, पर इन सब में कितना गहरा संबंध था इस बात का खुलासा दो दिन बाद चार सिंतबर को हुआ. जब होटल से सबसे बाद में निकलकर काले रंग की क्वालिस में रवाना हुए दो लोग जैसे अपने  घरों के लिए निकले थे वैसे ही लौठकर थाने में जाकर खड़े हो गये.


उस वक्त थाने में इंस्पेक्टर मनोज मौजूद थे. मनोज ने दोनों से वहां आने का मकसद पूछा तो उनमें से एक ने बताया कि उसका नाम राजेश पवार है. उसके साथ आया व्यक्ति युनूस उसका दोस्त है. उसने आगे बताया कि दो दिन पहले वे दोनों राजस्थान से मुंबई आए थे. उस समय वे होटल में ठहरे थे तभी उनके साथ लूटपाट की घटना हो गई.

‘‘क्या तुम लुटेरे को पहचान सकते हो?’’ इंस्पेक्टर मनोज ने पूछा.
‘‘हां हम लुटेरे को पहचानते है. उसका नाम मुन्ना राव है.’’

मुन्ना राव का नाम सुनकर इंस्पेक्टर मनोज चैंक गए. वे इस नाम से वाकिफ थे. मुन्ना राव नगर का सम्मानित नाम था और वह एक स्थानीय समाचार पत्र का संपादक भी था. एक संपादक द्वारा किसी के साथ लूटपाट करेगा. इस बात पर इंस्पेक्टर मनोज को विश्वास नहीं हुआ.
इंस्पेक्टर मनोज ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि एक सम्मानित व्यक्ति ऐसा कर सकता है. आप मुझे पूरी बात विस्तार से बताये.’’



पवार ने बताना शुरू किया. उस दिन जब वे मुंबई रोड से आ रहे थे तो रास्ते में दो युवतियों ने उनसे लिफ्ट मांगी. उनमें से एक जींस और टाॅप पहने हुए थी, जबकि दूसरी सलवार कुत्र्ता में बिलकुल        साधारण थी. उनके पास अपनी कार भी थी जो सड़क किनारे खड़ी थी.

जींस पहने हुई लड़की ने हाथ देकर उनकी कार को रोकने का इशारा किया. कार के रूकते ही उसने कहा, ‘‘मेरी कार खराब हो गयी है. उन्हें शहर तक जाना है. क्या वे उन्हें अपनी कार में लिफ्ट दे सकते है.’’

हमने उनकी बात पर भरोसा करते हुए दोनों को अपनी कार में लिफ्ट दे दिया. हम नहीं चाहते थे कि सूनसान सड़क पर दो लड़कियां इस तरह अकेली खड़ी रहे. यही सोच कर हमने उन्हें अपनी कार में बैठा लिया. इसके बाद दोनों लड़कियां फ्रेश होने के लिए हमारे साथ ही होटल में आ गई. जब दोनों लड़कियां होटल के कमरे में थी तभी अचानक पांच छः लोग उनके कमरे में धड़धड़ा कर घूस आए.उन्होंने अपने आप को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया.


उन्होनें कहा कि हम लोग लड़कियों के साथ गलत हरकत कर रहे थे. उनके साथ आए कैमरामैन ने हम लोगों की शूटिंग करना शुरू कर दिया. उसके बाद उन लोगों ने हम दोनों के साथ मारपीट की और कुछ समय बाद लड़कियों को तो जाने दिया लेकिन हमारे साथ मारपीठ करते हुए उन लोगों ने हमारे पास से छब्बीस हजार तीन सौ रूपए नगद लगभग तीस ग्राम सोना, दो मोबाइल सबकुछ छीन लिया और हमें धमकाते हुए वहां से चले गये.
मारपीठ के दौरान ही हमें पता चल गया कि वे क्राइम ब्रांच के लोग नहीं है. उनमें से एक पत्रकार है जिसका नाम मुन्ना राव है.

‘‘तुम लोगों ने उसी वक्त यहां आकर उनके खिलाफ शिकायत क्यों नहीं की?’’ इंस्पेक्टर मनोज
साहब हम लोग उस वक्त बहुत डर गये थे. हमारे पास कुछ भी नहीं बचा था. इसीलिए हम लोग चुपचाप घर लौट गये. घर जाकर जब हमने इस घटना पर गौर किया था हमे लगा कि उन सभी लोगों ने पूरी योजना के साथ हमारे साथ लूटपाट की है.

सड़क पर खड़ी वे दोनों लड़कियां भी उनके साथ मिली हुई है. वास्तव में उन दोनांे लड़कियों की कार खराब नहीं हुई थी. उन्होंने केवल हमें अपने जाल में फासने के लिए यह चाल चली थी. तब हमने उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला किया और सीधे राजस्थान से यहां आपके पास आए है.


इंस्पेक्टर मनोज को भले ही उनकी बात पर यकीन न हो, लेकिन वे पूरी तरह से उनकी बातों को झुठला भी नहीं सकते थे. क्योंकि कोई व्यक्ति किसी सम्मानित व्यक्ति वह भी स्थानीय समाचार पत्र के संपादक के खिलाफ शिकायत कर रहा था. उनकी बातों में कहीं न कहीं सचाई तो जरूर थी. मामला काफी गंभीर था. इसलिए उन्होंने तत्काल इस बात की सूचना एसपी को देना उचित समझा.

इंस्पेक्टर मनोज ने तुरंत एसपी को घटना से अवगत कराते हुए कहा, ‘‘सर पिछले कुछ दिनों से इस तरह की शिकायतें आ रही थी कि कुछ लोग कालगर्ल का सहारा लेकर लोगों को लूट रहे है. हो सकता है शिकायतकर्ता पवार कि बात में सच्चाई हो.’’



‘‘शिकायत में सच्चाई है या नहीं यह बाद की बात है. अभी तो हमारे सामने जो व्यक्ति अपनी शिकायत कर रहा है उसकी शिकायत की जांच करना जरूरी है. इसीलिए तत्काल मामले की जांच करो और मुझे तुरंत इसकी रिपोर्ट भेंजो.’’ एसपी ने आदेश देते हुए कहा.
आदेश मिलते ही इंस्पेक्टर मनोज तुरंत अपने काम पर लग गये. उन्होंने पवार को अपने साथ लेकर होटल की ओर रवाना हो गये.

होटल में जाकर इंस्पेक्टर मनोज को पता चला कि दोनों फरियादी उस दिन होटल में कमरा नंबर 101 तथा 102 में रूके हुए थे और उसी दिन शाम को लगभग सात बजे दोनांे होटल छोड़कर चले गये थे. इंस्पेक्टर मनोज ने जब बारीकी से पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि उस दिन उनके साथ दो लड़कियां भी साथ आई थी. इनके आने के कुछ देर बाद ही पत्रकार मुन्ना राव अपने चार-पांच साथियों के साथ होटल में आया था. इसके कुछ समय बाद पहले दोनों लड़कियां होटल से बाहर निकली थी. इसके बाद पत्रकारों के होटल से जाने के बाद उन दोनों फरियादी भी होटल छोड़कर चले गये. होटल के कमरे में क्या हुआ इसके बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम था.

इंस्पेक्टर मनोज को पवार की होटल वाली बात में सच्चाई तो लग रही थी, लेकिन लड़कियों को लिफ्ट देने और फिर फ्रेश होने के बहाने होटल के कमरे तक उनके साथ आने वाली बात पूरी तरह से गले नहीं उतर रही थी.
पुलिस को शक था कि पूरी कहानी में राजेश पवार भी कुछ छुपा रहा है. क्योंकि राजेश पवार और उसका दोस्त दोनों यहां घुमने आए है और यहां दोनों ने ठहरने के लिए अलग-अलग कमरे बुक करवाये थे.

दोनों के द्वारा लड़कियों को लेकर होटल में आना और अलग-अलग कमरे लेना किसी ओर बात की ओर इशारा कर रहे थे. बहरहाल रात में ही इंस्पेक्टर मनोज ने अपनी जांच रिपोर्ट से एसपी को अवगत करा दिया तो उनके आदेश पर उसी दिन मुन्ना राव और उसके पांच साथियों और दो अज्ञात लड़कियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया.



दूसरे दिन इस घटना की खबर जैसे ही मीडिया में पहुंची तो चारों और हड़कपं मच गया. पत्रकारिता जैसे पेशे पर लगे आरोप की सच्चाई को जानने के लिए सभी व्यक्ति उत्सुक थे. दूसरी तरफ पुलिस जब मुन्ना राव के समाचार पत्र के कार्यालय पहुंची तो वह गायब मिला. इसी बीच एक और मजेदार बात यह हुई कि इस मामल में केवल मुन्ना राव ही नामजद किया गया था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से शहर के चारों पत्रकार तथा दो कैमरामैन भी गायब हो गए.

इस घटना से शक की सुई इन गायब हुए लोगों की ओर घुम गयी. इतना ही नहीं ये लोग अपने मोबाइल से फोन करके अपने दूसरे साथियों और पुलिस को अपनी सफाई भी देने लगे. इसका नतीजा यह हुआ कि एक तरह से बाकी के आरोपी भी खुद चलकर पुलिस के सामने एक एक करके आने लगे. लेकिन पुलिस के पास अभी ऐसा कोई ठोस आधार नहीं था जिसके तहत वे मुन्ना राव के अलावा किसी के खिलाफ कानूनी कारवाई करते.

ये सबके सब भूमिगत थे. धीरे-धीरे लगभग एक हफ्ते बीत गया. पुलिस ने मुन्ना राव को पकड़ने के लिए उसके ठिकानों पर दबिश दी लेकिन वह हाथ नहीं आया. वैसे तो पुलिस मुन्ना के बारे में बहुत कुछ पहले से ही जानती थी. इस घटना के बाद एसपी के आदेश पर फिर एक बार सिलसिलेवार उसके बारे में जानकारी एकत्रित की जाने लगी.



मुन्ना राव पत्रकार बनने से पहले भी उसका पुलिस से नजदीक का रिश्ता था. उसके पिता पुलिस में सर्विस करते थे और वह थाने का निगरानी शुदा बदमाश रह चुका है. काम के नाम पर पान की दुकान लगाने से लेकर ट्रक चलाने तक का काम कर चुका मुन्ना अचानक पत्रकार बन गया. पेशे की ओट में उसके द्वारा लोगों पर अड़ी डालने की कई शिकायते पहले भी पुलिस को मिल चुकी थी. लेकिन अपने ऊंचे संबंधों के कारण वह अब तक कानून से बचता रहा था.

इस बीच पुलिस को उसके पुना में होने की सूचना मिल रही थी. जहां वह कुछ लोगों से मिलकर मामले को रफादफा कराने की फिराक में धूम रहा था. लेकिन चूंकि मामला पूरी तरह से मीडिया जगत में हाईलाइट हो चुका था और इसमें लड़कियों के जुड़े होने की कारण कोई भी नेता इस समय उसे हाथ लगाने को तैयार नहीं था.

इसी बीच मुन्ना और उसके अन्य साथियों ने अपने बचाव में यह कहा कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है. वे तो स्टिंग आपरेशन कर रहे थे और इस घटना की एक एडिट की हुई सीडी भी पुलिस को भेंज दी. जिसमें दोनों फरियादियों को उन लड़कियांे के साथ होटल के अलग अलग कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था. यह सीडी कथित रूप से आरोपियों ने अपने बचाव में भेजी थी. लेकिन यही सीडी उलटे उनके गले की फांस बन गई.

क्योंकि स्टिंग आपरेशन की सूचना एक तो अपने चैनल को पहले देनी होती है, दूसरे आपरेशन के 48 घंटे बाद घटना को समाचार पत्रों में प्रकाशित करना अथवा चैनल पर दिखाना जरूरी होता है. जबकि यह दोनों काम इन लोगों ने नहीं किए थे. इस सीडी के माध्यम से पुलिस के सामने न केवल घटना में शामिल सभी पत्रकारों और कैमरामैन के नाम साफ हो गये, बल्कि इसके लिए उपयोग की गई कालगर्ल की पहचान भी हो गई.

पुलिस एसपी ने कहा, सीडी को देखने के बाद आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया और कहा कि वे इस मामले में अपनी सफाई दें. पहले नोटिस पर कोई अपनी सफाई देने नहीं आया तो पुलिस ने उन सभी को एक मौका और दिया, लेकिन इसके बाद भी कोई पुलिस के सामने नहीं आया. इस पर पुलिस ने सभी को फरार अपराधी घोषित कर दिया और सीडी देखने के बाद इन लोगों पर डकैती का मामला भी दर्ज कर लिया.

दूसरी तरफ सीडी में एक कालगर्ल सोनम (बदला हुआ नाम) की पहचान हो चुकी थी. शहर के एक नामी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत सोनम शहर पाॅश इलाके रेसीडेंसी क्षेत्र में रहती थी. पुलिस को उसके बारे में जानकारी थी कि वह न केवल खुद देह व्यापार करती है बल्कि देह व्यापार का गिरोह भी संचालित करती है. सोनम को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस थाने में पहले तो सोनम ने इस घटना के बारे में कुछ भी जानने से इंकार किया, लेकिन जब पुलिस ने उसे सीडी दिखायी, जिसमें वह नाम मात्र के वस्त्र पहने हुए फरियादी पवार के साथ बिस्तर पर थी. सीडी देखने के बाद सोनम की बोलती बंद हो गयी. उसने न केवल अपना अपराध स्वीकार किया बल्कि  इस डकैती में शामिल सभी लोगों के नाम भी पुलिस को बता दिए. 

सोनम ने पुलिस को घटना की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि वह अपने मंहगे शौक और फिजूल खर्ची की पूर्ति के लिए वह यह काम करती थी. मुख्य आरोपी मुन्ना राव को वह लगभग सात साल से जानती है. मुन्ना  से उसकी मुलाकात अकसर होती रहती थी. मुन्ना ने उससे अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था.

सोनम काफी उच्च स्तरीय जीवन व्यतीत करती थी. जिसके लिए उसका वेतन काफी नहीं था. इसलिए वह समय के साथ देह व्यापार में उतर आई. वह अपने ग्राहकों से साथ देने के एवज मंे बड़ी रकम लेती थी. अपना स्टेटस बनाए रखने के लिए उसने जून में नई मारूति आल्टो कार खरीदी थी, जिसका साठ हजार रूपया उसने चुका दिया था. बाकी की रकम वह किस्त के रूप में भर रही थी.

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सोनम को रूपयों की काफी जरूरत थी. उसने पैसों के लिए मुन्ना से बात की तो उसने कहा, कोई बड़ा मुर्गा फंसे तो मुझे खबर कर देना. तुम्हारे रूपये का इंतजाम हो जाएगा. मुन्ना के कहने पर उस दिन जब वह होटल पहुंची तो उसने फोन पर पहले ही मुन्ना  को सूचना दे दी थी. सोनम के सूचना पर ही मुन्ना  पूरी तैयारी के साथ होटल में आया था और जैसे ही ग्राहक ने अपने कपड़े उतारे उसने मुन्ना को खबर कर दी.

सूचना मिलते ही मुन्ना  क्राइम ब्रांच का अधिकारी बन कर अपनी टीम के साथ होटल के कमरे में पहुंच गया. कुछ देर शूटिंग करने के बाद मुन्ना ने उसे और उसके साथ एक और लड़की को वहां से भगा दिया. उसे यह तो पता था कि मुन्ना क्या करने वाला है पर वह मारपीट करेगा और इतनी बड़ी रकम लूट लेगा इस बात की जानकारी उसे नहीं थी. उसे केवल इस काम के पांच हजार रूपए मिलना थे, जो अब तक नहीं मिले.



सोनम से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने घटना के समय दुसरे कमरे में यूनुस के साथ रिकी (बदला हुआ नाम) थी. पुलिस ने रिकी को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के समय रिकी ने पुलिस को बताया कि उसको उसके पति ने छोड़ दिया था. तब उसे जिस व्यक्ति ने आसरा दिया उसी ने उसे इस धंधे पर उतार दिया. घटना वाले दिन सोनम ने ही उसे एक ग्राहक का साथ देने के लिए होटल बुलाया था. जब वह ग्राहक के साथ होटल के कमरे में थी तभी वहां पुलिस ने रेट मारा.

पुलिस ने ग्राहक और उसके साथ काफी मारपीट की. काफी हाथ पैर जोड़ने के बाद पुलिस ने उसे और सोनम को छोड़ दिया था. ग्राहकों के साथ किया हुआ इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. पुलिस के रेट पड़ने से वह काफी डर गयी थी. इसलिए पुलिस ने जब उन्हें जाने के लिए कहा तो वह तुंरत वहां से निकल भागी थी.

पुलिस को रिकी की बातों में सच्चाई नजर आ रही थी. क्योंकि सीडी में भी साफ दिखाई दे रहा था कि पुलिस के वहां आ जाने से और अपने पकड़े जाने के भय से रिकी काफी परेशान नजर आ रही थी. जबकि सोनम पलंग पर आराम से बैठी हुई थी. इस बात का सोनम ने भी समर्थन किया कि इस घटना के बारे में रिकी को कोई जानकारी नहीं थी और रिकी मुन्ना  और उसके साथियों को वास्तविक पुलिस ही समझ रही थी. सोनम के बयान के आधार पर पुलिस ने रिकी को आरोपी न बनाकर सरकारी गवाह बना लिया.

अब पुलिस के सामने पूरे आरोपियों की तस्वीर साफ हो चुकी थी. उसने तमाम आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई टीमे बनायी और कई जगहों पर दबिश दी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इस बीच पुलिस को सूचना मिली की सभी आरोपियों शहर के अलग अलग जगह पर छुपे हुए है. सूचना मिलते ही पुलिस ने पुरी तैयारी के साथ मिलकर आरोपियों के ठिकानों पर दबिश दी. पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेंज दिया. (Copyright:All Rights dr. mk mazumdar)


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