Crime Story Hindi : Judgment | Today India News

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उस दिन सत्र न्यायालय के चेम्बर नंबर 29 में काफी गहमागहमी थी क्योंकि 9 जुलाई 2014 को वडाला स्थित हिमालय हाईट्स में हुए पल्लवी मर्डर केस का फैसला होने वाला था. उस वक्त वहां वकिलों, मीडियाकर्मियों तथा प्रबुद्ध लोगों की भीड़ जमा थी. वहां उपस्थित लोग आपस में खुसर फुसर कर रहे थे. थोड़ी ही देर में माननीय न्यायधीश महोदया, वैशाली दोषी वहां उपस्थित हो गयी. न्यायाधीश के उपस्थित होते ही वहां सन्नाटा छा गया.
‘आर्डर... आर्डर! आज की कार्यवाही शुरू की जाएं.

न्यायालय के पीपी (पब्लिक प्रौस्क्रिटर) उज्जवल निकम ने फाइल निकाल कर मामले को पेश किया.

जब तक मुकदमें की कार्यवाही शुरू होती है, तब तक आप इस हत्याकांड के बारे में जान लें.

पल्लवी पिछले कुछ समय से मुंबई के प्लाट नंबर 1601, बी बिंग, हिमालय हाईट्स, भक्ति पार्क, वडाला, मुंबई में रह रही थी. पल्लवी के मातापिता दिल्ली में आईएस अधिकारी है. पल्लवी को कानून से काफी लगाव था. उसने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने स्वयं का काम शुरू करने के लिए दिल्ली की बजाएं मुंबई को चुना था. हालांकि उसके मातापिता को यह बात पसंद नहीं आयी थी. वे चाहते थे कि पल्लवी मुंबई न जाकर दिल्ली में ही रहकर प्रैक्टिस शुरू करें. पल्लवी के जिद्द के आगे उनकी नहीं चली.


पल्लवी काफी समझदार और हिम्मती लड़की थी. मुंबई अकेले पहुंच कर उसने बिना किसी की मदद के वडाला में फ्लैट किराए से लिया और लाॅ कंसरटेंट के रूप में अपना काम शुरू कर दिया. इस बीच उसे फिल्म स्टार फरहान अख्तर के कंपनी का लीगर एडवाइजर के रूप में काम मिल गया. उसे काम ही नहीं मिला बल्कि अपने काम की बदौलत फिल्म इंस्ट्रीज में अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया.

पल्लवी जितनी इंटलीजेंट थी उतनी ही मिलन सार भी थी. उसके आसपास के लोगों से भी काफी अच्छे संबंध थे. वह अपने ड्राइवर, वाॅचमैन यहां तक सब्जीवाले, पेपर वाले व सफाईकर्मी से भी काफी शालीनता से मिलती और बातें करती थी. आम लोगों के सामने वह कभी यह दिखावा नहीं करती थी कि वह एक बहुत बड़ी वकील है और उसके मातापिता उच्च अधिकारी है. वह अपने व्यवहार की वजह से पूरे अपार्टमेंट में फेमस थी.

हिमालय हाईट्स में सिक्युरिटी गार्ड के रूप में कई लोग काम करते थे. उनकी डियुटी बदलती रहती थी. पिछले कुछ समय से सज्जाद उर्फ पठाण नाम का व्यक्ति वहां सिक्युरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहा था. वह कश्मीर के सलामाबाद जम्मू का रहने वाला था. वह अधिक पढ़ा लिखा नहीं था. उसे फिल्मों से काफी लगाव था. फिल्मों में काम की तलाश में वह कश्मीर से मुंबई पहुंच गया.

पास में जब तक पैसे थे तब तक फिल्मों के लिए स्ट्रगल करता रहा, जब उसके पास के पैसे खत्म हो गए तो उसके बाद दो ही रास्ते बचे थे. एक, घर लौट जाएं या फिर कोई जाॅब ढुढ़ लें. घर लौटने की बजाए उसने मुंबई में ही रूकने का इरादा बना लिया और जाॅब की तलाश करने लगा. अधिक पढ़ालिखा न होने की वजह से कोई अच्छा काम तो उसे मिल नहीं सकता था. ऐसे मंे उसने सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी ज्वाइन कर ली.


सज्जाद खुद को बड़ा स्मार्ट समझता था. वह हर किसी के सामने हीरो की तरह पेश आने की कोशिश करता था. हिमालय हाईट्स में हाई सोसायटी के लोग रहते थे. ऐसे में सज्जाद को कोई भाव नहीं देता था. इसके बावजूद वह अपने हावभाव द्वारा वहां की लड़कियों और महिलाओं को इम्पे्रस करने की कोशिश करता था, पर उसकी एक नही चलती थी.

एक दिन उसने पल्लवी को देखा तो देखता ही रह गया. वह उसकी खूबसूरती पर मरमीटा.
पल्लवी को किसी बात का घंमड़ नहीं था. वह हर किसी से आम लोगों की तरह मिलती थी, सो आते जाते वह सज्जाद से भी उसका हालचाल पूछ लेती थी. पल्लवी के इस सादगी को सज्जाद ने गलत अंदाजा लगा लिया.

उसने अनुमान लगाया कि इस अपार्टमेंट में रहने वाले हाई सोसाइटी के लोगों में से कोई भी उसे लिफ्ट नहीं देता है. सिर्फ एक पल्लवी मैडम ही है जो आते जाते उसका हालचाल पूछती है. उससे हंस कर बात करती है, इसका मतलब पल्लवी मैडम को उससे प्यार हो गया है. उसने मन ही मन सोचा, हो सकता है लड़की होने की वजह से वह उससे खुल कर बात नहीं कर पा रही है. उसे खुद ही आगे बढ़कर पल्लवी मैडम को प्रपोज करना चाहिए.

यह बात उसने अपने दिल में तो बसा ली, पर हिम्मत करके पल्लवी मैडम से कुछ नहीं कह पा रहा था. उसे कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था कि वह बात कैसे करें. पल्लवी मैडम कार से आती जाती थी. गेट खुलने तक वह रूकती थी. इसी बीच वह उससे हालचाल पूछ लेती थी. कभीकभी उसे देखकर मुस्करा भी देती थी.

सज्जाद ने पल्लवी को लेकर दिल में जो बात बैठा ली थी, वह उससे निकल नहीं पा रही थी. उसकी सोच यहां तक पहुंच चुकी थी कि उसे पाने के लिए वह कुछ भी कर सकता था. एक दिन उसने मन ही मन सोचा, वह पल्लवी के फ्लैट पर पहुंच कर उसे अपने दिल की बात करेगा. वह खुद ही कह देगा कि वह उससे प्यार करता है.


8 जुलाई 2012 की बात है. शाम का वक्त था. पल्लवी अपने काम से घर लौट कर रात के डिनर की तैयारी कर रही थी. उसी वक्त दरवाजे की बेल बजी. बेल की आवाज सुनकर पल्लवी को अजीब लगा. उसने इस वक्त कोई अपाइमेंट भी नहीं दिया था. आसपास के लोग इस समय नहीं रहते हैं. ऐसे में उसके यहां कौन आया है?


उसने आई मैजिक में आंख लगा कर देखा. सामने सिक्युरिटी गार्ड सज्जाद खड़ा था. सज्जाद को देखकर उसने दरवाजा खोल दिया. जैसे ही पल्लवी ने दरवाजा खोला, सज्जाद कमरे के अंदर चला आया, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला. पल्लवी सामने टेबल पर रखी सब्जी काटने लगी और सज्जाद से पूछा क्या बात है? उसने बेधड़क होकर कहा, मैडम मैं, तुमसे प्यार करने लगा हूं. तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं.

यह सुनकर पल्लवी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. हमेशा चुप और शांत रहने वाली पल्लवी ने जोर से चीख कर सज्जाद को कमरे से निकल जाने के लिए कहा. सज्जाद पर उसकी बात का कोई असर नहीं हुआ. वह अपनी जगह पर खड़ा पल्लवी को गौर से देखता रहा. उसकी निगाह पल्लवी के सीने पर थी.

सज्जाद की हालत देखकर पल्लवी समझ गई की वह आज कुछ भी कर सकता है. वह काफी हिम्मती लड़की थी. उसने खुद को संभाला और सज्जाद के पास पहुंच कर उसे धक्के मार कर दरवाजे से बाहर करना चाहा, पर वह कर नहीं सकी क्योंकि सज्जाद पहले से तैयार था.

वह जान रहा था कि पल्लवी उसे धक्के मार कर निकालेगी. उसने अपने शरीर को मजबूत करके वहीं खड़ा रहा. उसने दरवाजे को धक्का देकर बंद कर दिया और अपनी जेब में रखा चाकू निकाल कर पल्लवी को डराने लगा. वह उससे अपना प्यार कबूल करने के लिए कह रहा था.

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पल्लवी काफी गुस्से में थी, पर वह समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करें? इतने में सज्जाद, पल्लवी के नजदीक आ गया. पल्लवी अपना बचाव करने के लिए उससे दूर जाने लगी. इसी बीच सज्जाद ने अपना हाथ पल्लवी की ओर चला दिया. उसने हाथ चलाया तो था पल्लवी को डराने के लिए पर चाकू उसके गले से जा लगा. उसके गले में गहरा घाव हो गया, तेजी से खून बहने लगा. सज्जाद खून देखकर घबरा गया. वह पल्लवी की तरफ बढ़ा. अपनी ओर आता देख पल्लवी कमरे में भागने लगी. सज्जाद, पल्लवी को पकड़ कर जान से मार देना चाहता था. उसे इस बात का डर था कि यदि पल्लवी ने पुलिस को यह बता दिया कि सज्जाद ने चाकू से उस पर वार किया है तो उसे सजा हो जाएगी.
कुछ देर तक पल्लवी कमरे में इधरउधर भागती रही, फिर गिर गई और वहीं शांत हो गई. पल्लवी के शांत होकर गिरते ही सज्जाद वहां से निकल भागा. सज्जाद अपने कमरे पर पहुंच कर ड्रेस चेंज किया और बैग लेकर मुंबई से फरार होने के लिए बीटी स्टेशन की ओर चल दिया.
पल्लवी का फ्लैट खुला हुआ था. अपार्टमेंट में आतेजाते किसी का ध्यान पल्लवी के खुले फ्लैट की ओर गया. उसने अंदर झांक कर देखा तो घबरा गया. अंदर पल्लवी खून से सनी पड़ी थी. उसने जल्दी से 100 नंबर पर फोन करके पुलिस को सूचना दे दी. वडाला पुलिस तुरंत वहां पहुंच गई. पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना करके अपराध क्रमांक 79ध्12 आईपीसी की धारा 302ध्449ध्354 भादवि सह 37(1) अ सह 135 म.पो. कायदा के तहत मामला दर्ज कर लिया. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेंज दिया गया. मामला काफी गंभीर था. एक हाईसोसाइटी बिल्डिंग में दिन दहाड़े किसी युवती की हत्या हो जाना काफी गंभीर मामला था. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने क्राइम ब्रांच की टीम को भी जांच के लिए लगा दिया.

क्राइम ब्रांच यूनिट-4 के एसीपी प्रफुल्ल भोसले वपुनि शिरीष सावंत, पुनि महेश तावड़े, सपुनि विनायक वेताळ, सपुनि संजय निकम, पो.ह. भास्कर माने, अनिल जंगम, दयानंद कांबले, बबन जाधव, संदीप कांबले, संदीप केलकर, सुनील लिंभाडे आदि की टीम बनाई.

पुनि महेश तावड़े की टीम ने सज्जाद को वीटी स्टेशन पर पकड़ लिया. उसके बैग में से खून से रंगे हुए कपड़े और चाकू बरामद कर लिए. कपड़े और चाकू में लगे खून की फोरेंसिक जांच करवाने पर वे पल्लवी के खून से मेल खा रहे थे. सज्जाद ने पुलिस के सामने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था. इस मामले में केस के आईओ पुनि महेश तावड़े ने 70 लोगों से बयान दर्ज किए थे. जिनमें से 42 लोगों के बयान अदालत में जज के सामने प्रस्तुत किए गए थे.

न्यायालय की वही कार्यवाही शुरू हो चुकी थी. पुलिस की ओर से पीपी उज्जवल निकम द्वारा दिए गए दलील को सुनने के बाद माननीय न्यायाधीस ने अगले दिन के लिए कार्यवाही रोक दी. अगले दिन माननीय न्यायाधीश महोदया दोषी ने सबूतों और बयानों को सही ठहराते हुए, सज्जाद को आईपीसी की धारा 302/449/354 भादवि सह 37(1) अ सह 135 म.पो. कायदा के अन्तर्गत ताउम्र सजा सुनाई, यानी न्यायधीश ने सज्जाद को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई. (Copyright:All Rights dr. mk mazumdar)



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