Smoking is injurious to health : धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

Smoking is injurious to health : धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
Smoking is injurious to health : धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
Smoking is injurious to health : धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक - सिगरेट पीने वाले अधिकांश व्यक्ति यह मानते है कि सिगरेट के पीने से उनके अंदर स्फूर्ति आती है. मस्तिष्क खुलकर काम करने लगता है. काम के प्रति अधिक सजग और एकाग्र हो जाते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार सिगरेट का इस्तेमाल करने से इस तरह कोई लाभ नहीं मिलता बल्कि सिगरेट का धुआं मस्तिष्क में पहुंच कर विपरित प्रभाव डालता है. सिगरेट का पहला कश लेते ही इसके धुएं मे ंपाया जाने वाला खतरनाक निकोटिन रक्त में पहुंच जाता है और  मस्तिष्क में प्रभाव डालना शुरू कर देता है.

निकोटिन के अणु मस्तिष्क के तंत्र कोशिकाओं पर पूरी तरह से चिपक जाते है और मस्तिष्क के सबसे महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर को तहसनहस करना शुरू कर देते है. जिसकी वज़ह से मस्तिष्क के तरंगों के क्रम में परिवर्तन शुरू हो जाता है.
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विशेषज्ञों ने धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के सिर पर इलैक्ट्रोएन्सेफैल्सेग्राम लगाकर मस्तिष्क के तंरगों में होने वाले बदलाव का पता लगाया. सिगरेट के धुएं से मस्तिष्क की अल्फा तरंगे तेजी से प्रवाहित होने लगती है. जिसके चलते मनोवेगों, रचनात्मकता, कल्पना और गहन विचारों में मंदी आ जाती है.

किन्तु बीटा तरंगों की दृष्टि बढ़ जाती है, जो अत्यधिक मानसिक एकाग्रता पैदा करती है. इससे ऐसा लगने लगता है दिमाग की शक्ति खुल गयी है, पर यह स्थिति अधिक देर तक नहीं रहती है. हाॅपकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि निकोटिन का प्रभाव 10 से 30 मिनट बाद खत्म हो जाता है.


शरीर की शक्ति घट कर शून्य हो जाती है. ऐसे में अनुभव होने लगता है जैसे शरीर की सारी शक्ति खत्म हो गई. उसका काम से ध्यान बटने लगता है. हाथ बारबार सिगरेट के पैकेट की ओर जाने लगता है. सिगरेट पीने वालों के अंदर निकोटिन की ललक महसूस होने लगती है.


धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

 मस्तिष्क की कोशिकाएं निकोटिन की बढ़ौत्तरी के लिए प्रेरित करती है. निकोटिन मस्तिष्कि की कोशिकाओं में ऐसा प्रभाव कर देती है कि निकोटीन कम होने पर बेचैनी होने लगती है.

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अमेरिका के वैज्ञानिक डा. जौर्ज स्पिलिक ने सिगरेट पीने पर काम के प्रति रूचि, स्फूर्ति, एकाग्रता मिलती है या नहीं इस विषय पर एक शोध किया. डा. स्पिलिक ने सिगरेट पीने वाले, सिगरेट न पीने वाले व सिगरेट छोड़ने वालों पर यह परीक्षण किया.

तीनों को कंप्यूटर स्क्रिन के सामने बैठा कर अक्षर पहचानने के कई प्रयोग किए. जैसे अक्षरों को गिनना, अक्षरों को क्रम से लिखना, अक्षरों को ढुढ़ना और पुस्तक के अंश को पढ़ कर लिखना. इस परीक्षण में सिगरेट न पीने वालों का प्रदर्शन श्रेष्ठ रहा,

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सिगरेट छोड़ने वालों का प्रदर्शन सामान्य रहा वहीं सिगरेट पीने वालों का प्रदर्शन घटिया रहा. इससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला सिगरेट पीने वालों की एकाग्रता किसी भी रूप में ठीक नहीं रहती.

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सिगरेट पीने से स्फूर्ति आती है इस बात की जांच करने के लिए ब्रिटेन के शोधकर्ता डा. एनेड्र होर्न में जिम में सिगरेट पीने, न पीने व छोड़ने वालों की जांच की. उन्होंने तीनों को अलगअलग तरह के एक्सरसाइज करवाएं. इसके बाद उनके दिल की धड़कन, रक्तचाप, श्वास की गति आदि की जांच की तो

उन्होंने देखा सिगरेट पीने वाले अधिक थके हुए थे. न पीने वालों में स्फूर्ति थी. वहीं सिगरेट छोड़ने वालों का प्रतिशत ठीकठाक था.

इसी तरह उन्होंने किसी काम में रूचि के बारे में परीक्षण किया. जिसमें तीनों को अपनेअपने रूचि वाले काम सौंपा. उन्होंने इस बात को चेक किया कौन कितनी लगन और जुनून के साथ अपने काम को करता है. इस परीक्षण में भी सिगरेट पीने वाले बूरी तरह से फेल रहे.

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 उन्हें अपने मन पसंद काम करने के प्रति रूचि का अभाव रहा. सिगरेट न पीने वालें अपने काम को अधिक लगन व जुनून के साथ किया. वहीं सिगरेट छोड़ने वालों में काम के प्रति रूचि 67 प्रतिशत रहा. सिगरेट छोड़ने वालों को जब सिगरेट पिला कर काम करवाया गया. तो उनके काम के प्रति  रूचि का स्तर काफी गिर गया.

उन्होंने काम को बेमन से किया. अनुसंधान की पूरी रिपोर्ट यह बताती है कि सिगरेट पीने से न स्फूर्ति, एकाग्रता या रूचि नहीं आती है

अनेक वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान में पता चला है कि सिगरेट के धुएं में अनेक प्रकार के घातक रसायनिक तत्व पाएं जाते हैं जो शरीर के अंगों पर घातक असर डालते हैं.

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फेफड़ों
हर सिगरेट में 10 से 20 मिलीग्राम कार्बन मोनो आक्साइड फेफड़ों में पहुंचती है. कार्बन मोनो आक्साइड रक्त में मौजूद हीमोग्लेाबिन को आक्सीजन को सोक लेते है. जिससे रक्त में हीमोग्लोबिन की संख्या में गिरावट आती जाती है. सिगरेट का धुआ फेफड़े की कूवत को कम कर देता है, जिससे मानसिक जागरूकता घट जाती है.

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मस्तिष्क
सिगरेट में पाया जाने वाला कार्बन मोनोआक्साइड रक्त में उपस्थित आक्सीजन को सोखकर मस्तिष्क को आक्सीजन की आपूर्ति घटा देता है. जिससे मनुष्य की स्मरण शक्ति कम होती जाती है. धीरे-धीरे मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं.

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रक्तवाहनी
कार्बन मोनो आक्साइड रक्त वाहनियों की भीतरी सतह पर वसा के जमाव को बढ़ा देती है. जिसकी वजह से रक्त वाहनियों का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है, जिसकी वज़ह से हृदयघात होने का खतरा बढ़ जाता है. रक्त वाहनियों के सिकुड़ जाने से रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है.

आंख
धूम्रपान करने से आंखों की कोशिकाओं पर घातक प्रभाव पड़ता है. जिससे मोतिया बिंदु होने की आशंका बढ़ जाती है. अमेरिका के होपकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, धूम्रपान से आंखों के लेंस पर धुंधला सा छा जाता है, जिसकी वज़ह से मोतियां बिंदु होने की संभावना होती है.

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आंत
धूम्रपान से पेट में एसिड की मात्रा अधिक तैयार होने लगती है. जिससे आंतों का अल्सर होने की संभावना रहती है.

मुख
धूम्रपान से मुख के अनेकों विकार उत्पन्न हो जाते है. आंतों का पीलापन या कालापन, मसूढ़ों में सूजन व दर्द, पायरिया, मसूड़ों से रक्त आना, मुख में दुर्गंध, जीभ की स्वाद ग्रंथियों का नष्ट हो जाना. मुख का कैंसर आदि की संभावना होकर मुख दुर्गंध भरी रहती है.

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श्वासनलिका
धुएं में हाईड्रोजन सिनाइड नामक हानिकारक पदार्थ होता है जो श्वासनलिका को मोटी कर  देता है, जिससे दमें की शिकायत उत्पन्न हो जाती है.

रक्त
धूम्रपान से रक्त में सोडियम थियोसाइनाइड की सांद्रता बढ़ जाती है. जिससे रक्त कैंसर ल्यूकैमिया की संभावना काफी हद तक होती है. धूम्रपान से रक्त में शूगर की मात्रा भी बढ़ जाती है जो धीरे-धीरे मधुमेह के रूप में सामने आता है.

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स्वरतंत्र
धूम्रपान स्वरतंत्र व स्वर रज्यु कोशों पर विपरीत प्रभाव डालता है, जिससे स्वरतंत्र का कैंसर हो सकता है.

नासिका
धूम्रपान से नाक में श्लेष्मा अधिक मात्रा में बनने लगता है जो वायु मार्ग को सफ रखने में बाधा डालती है. नियमित धूम्रपान से सूंघने की शक्ति भी कम होती जाती हैं.

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फेफड़ा
धूम्रपान में पाये जाने वाला पायरिन फेफड़े के कैंसर उत्पन्न करता है. सिगरेट का धुंआ फेफड़े में पहुंचकर फेफड़े की कार्य प्रणाली को अनियंत्रित कर देता है. धुएं में पाया जाने वाला टार एलविचोली में श्लेष्म अधिक पैदा करता है.

फेफड़े का संक्रमण, फेफड़े में सूजन, श्वास रोग आदि उत्पन्न हो जाता है. टार की वजह से फेफड़े काले पड़ जाते है. स्मोकर्स ब्राॅन्कायटिस इंकाइसीमा और फेफड़े कैंसर की आशंका बनी रहती है.

हृदय
धूम्रपान हृदय पर काफी घातक प्रभाव डालता है. कार्बन मोनोआॅक्साइड हीमोग्लोबिन की मात्रा को कम कर देता है. हृदय को आक्सीजन की मात्रा कम हो जाने से हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है. निकोटिन हृदय की गति को बड़ा देता है.

सिर
धूम्रपान से सिरदर्द होने लगता है तथा सुबह-सुबह सिर भारी रहने की शिकायत हो जाती है.

त्वचा
च्ेहरे पर झुर्रिया, त्वचा में सिकुड़न मुंहासे उत्पन्न होते है. नियमित धूम्रपान करने वाले के चेहरे पर स्मोकर्ष फेस, महिलाओं में धूम्रपान से रक्त में एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है. जिससे त्वचा पर सूखापन आने लगता है.

नियमित धूम्रपान से त्वचा को मिलने वाला आक्सीजन कम मिलता है. जिसे त्वचा के मुख्य अवयव कोलेजन का निर्माण कम हो जाता है और त्वचा पर झुर्रिया पड़ने लगती है.

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पैर
धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के पैर में अक्सर दर्द रहता है. धूम्रपान से रक्त का संचालन ठीक से नहीं होता है, जिसकी वजह से पांव में सड़ने की बीमारी बर्जर्स डीजीज की समस्या उत्पन्न हो सकती है. जिससे पांव पाव काटने की आवश्यकता हो जाती है.

ब्लडप्रेशर
धूम्रपान और ब्लडप्रेशर का काफी गहरा संबंध है. नियमित धूम्रपान से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है. घुएं और आग की वजह से ब्लड सर्कुलेशन में गड़बड़ी आ जाती है.

गर्भ
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ चाइल्ड हेल्थ एण्ड हूमन डेवलपमेंट की विशेषज्ञ डा. पेटी शियानोनो के अनुसार धूम्रपान से गर्भवती महिलाओं में अविकसित या विकृत बच्चे पैदा होने की आशंका अधिक रहती है.

महिला प्रजनन अंग
धूम्रपान में पाये जाने वाला निकोटिन गर्भाशय के रक्त प्रवाह की गति को मंद कर देता है जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को मिलने वाली लौह तत्व की मात्रा कम हो जाती है. बच्चा समय से पूर्व या वजन में कम होता है.

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मासिक स्त्राव
धूम्रपान की आदि महिलाओं में मासिक रक्तस्त्राव ठीक से नहीं होता है, जिसकी वजह से उसे कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है.
धूम्रपान करने वाली महिला का नवजात शिशु को दमा के लक्षण दिखने लगते हैं.

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जीभ 
नियमित धूम्रपान से जीभ की स्वादग्रन्थियां नष्ट होती जाती है. किसी चीज के खाने का स्वाद नहीं मिलता है. इसलिए व्यक्ति खाने के स्वाद का आनंद नहीं ले पता है. न ही ठीक से खाना खा पाता है.

पुरूष के प्रजनन अंग
धूम्रपान से रक्त नलिकाओं में संकुचन का खामियाजा काफी लोगों को नपुंसकता के रूप में झेलना पड़ता है. नियमित धूम्रपान से शिशन की रक्त नलिकाआंे में संकुचन से रक्त की आपूर्ति घट जाने से ठीक से उत्तेजीत हो पाता है. धीरे-धीरे पुरूष नपुंसक हो जाता है.

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