Crime Story in Hindi || कार्पोरेट कल्चर
पार्क किनारे भीड़ भाड़ वाली जगह पर सिपाही की नजर एक युवक पर गई. वह युवक कुछ लोगों के ग्रुप को घेरा बनाकर मोबाइल फोन पर कुछ दिखा रहा था. लगातार एक ही नजारा देखकर उसका माथा ठनका। माथा ठनकने के पीछे खास बात तो यह थी कि हर बार भीड़ में शामिल युवकों के चेहरे बदल रहे थे, लेकिन उनमें एक कामन बात यह थी कि एक ही युवक दूसरे युवकों को अपने मोबाइल पर कुछ दिखा रहा था। वह पांचवां मौका था, जब सिपाही ने यह नजारा देखा।
मोबाइल में बीएफ लोड रखने का चलन आजकल कम नहीं है। इसलिए उसने जब पहली बार इन लोगों को देखा तो उसेे यही शक हुआ था कि यह ऐसा ही कुछ मामला होगा, लेकिन जब ऐसा चैथी या पांचवी बार हुआ तो उसे लगा कि मामला कुछ और ही है। क्योंकि हर बार गु्रप में युवकों की शक्ल बदल रही थी। सिपाही ने यह बात इंस्पेक्टर मनोज को बतायी, इंस्पेक्टर मनोज ने बात पर गौर किया तो उन्हें लगा कि मामला कुछ गड़बड़ है. अगर इस तरफ ध्यान दिया जाए तो निश्चित ही किसी गंभीर अपराध का खुलासा हो सकता है। इसलिए उन्होंने पीसीएस के दो जवानांे को मामले की तह तक जाने की जिम्मेदारी सौंप दी।
उन दोनों ने काम की कमान संभाल ली और अपने अंदाज से यह पता लगाने में जुट गये कि आखिर उस युवक के मोाबइल में है क्या? मुखबिरों में लगे दोनों जवानों ने पहले तो उस युवक की नजदीक हासिल की और फिर एक दिन उन दोनों को उसके मोबाइल का पूरा राज पता चल गया। इस राज का भेद जब इंस्पेक्टर मनोज तक पहंुचा तो वे भी हतप्रभ रह गये। शहर में इन दिनों यह व्यापार अब इतने हाईटेक अंदाज में उनके अपने इलाके में किया जा रहा होगा इस बात का इल्म उन्हें न था।
इंस्पेक्टर मनोज ने आगे की योजना समझाते हुए पुनः दोनों सिपाहियों को मोर्चे पर लगा दिया तो दोनों फिर उस युवक को घेरने में जुट गये।
उस युवक का नाम रंजीत था, जो इस पूरे मामले के मूल में था। पुलिस अब तक उसके बारे में जो जानकारी जुटा पाई थी उसके अनुसार रंजीत देह व्यापार की मंडी मंे लड़कियों का बड़ा सप्लायर था। पुलिस को उसके क्रिया कलापों से यह भी शक था कि उसके ग्राहकों में कुछ नामी नाम भी शुमार हो सकते है, लेकिन इसके बावजूद यह तय था कि रंजीत की यह दुकान अब बंद होने थी, क्योंकि पुलिस ने उसे कानून के घेरे में लेने के लिए उसके चारों ओर ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया था।
दोनों आरक्षक सिविल डेªस में रोज सुबह शाम रंजीत से मिलने लगे और जब भी मिलते घुमा फिराकर अपनी चर्चा का विषय हाल ही में शहर में देह व्यापार करते पकड़ी गयी लड़कियों पर ले आते और फिर ठंडी सांसे लेकर कहते, क्या यार हमें नहीं मिलता ऐसा कोई ठिकाना जो चाहे तो हमारी सारी जायदाद हमसे ले लें, लेकिन पल भर के लिए दिल के लिए सच्चा सुख तो दे दे।
ऐसी बातों पर रंजीत ध्यान तो देता था, लेकिन वह भी कच्चा खिलाड़ी न था कि इतनी जल्दी इन लोगों के सामने अपने पत्ते खोल देता। इधर इंस्पेक्टर मनोज इन दोनों से रोज के घटनाक्रम की रिपोर्ट ले रहे थे। उन्हें विश्वास था कि आज नहीं तो कल मछली चारा निगलेगी ही जरूर। हुआ भी यही, दस -पन्द्रह दिन के बाद जब रंजीत का विश्वास इन दोनों पर जमने लगा तो रंजीत धीरे-धीरे इन लोगों के सामने अपने पत्ते खोलने लगा। फिर एक दिन उसने अपनी जेब से एक मोबाइल निकालकर दोनों के सामने बढ़ाते हुए कहा कि यार ये लो तुम लोगों को लड़कियों से मिलने की बड़ी चाहत है तो इसमें से देख लो, जो पसंद आए उसे अभी बुला देता हूं।
‘‘क्या कह रहे हो यार।’’ चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए एक सिपाही ने कहां।
‘‘सच कह रहा हूं तुम लोगों की बातें सुन-सुन कर पागल हो गया हूं मैं।’’
दोनों बेवकूफों की तरह उसका मुंह देख रहे थे। जैसे उन्हें कुछ मालूम ही नहीं है।
रंजीत ने उन्हें इस तरह से देखते हुए कहां, ‘‘साला, आजकल रूपयें से क्या नहीं खरीदा जा सकता है। एक खोजों, हजार मिलती है और एक तुम दोनों हो जो इतने बड़े शहर में एक लड़की नहीं खोज पाएं अब तक।’’ कहते हुए रंजीत ने अपने मोबाइल में वीडियों क्लीपिंग प्ले करके उनके सामने कर दिया।
दोनों सिपाही की आंखे खुली की खुली रह गयी। मोबाइल स्क्रीन पर एक के बाद एक कैट वाॅक करते हुए युवतियां दिखाई देने लगी। जिनकी खासियत यह थी कि इनमें से कुछ युवतियों ने कपड़ों के नाम पर कुछ भी नहीं पहन रखा था तथा इनमें से कुछ युवतियों को तो बेडरूम में युवकों के साथ दिखाया गया था। उन ब्लू फिल्मों को देखकर दोनों सिपाहियों की कनपटियों पर सीटी सी बजने लगी। उन्होंनंे इस बात की तो कल्पना भी नहीं कि थी कि रंजीत के पास सेक्स का ऐसा खजाना होगा। सचमुच यह नजरा देखकर दोनों की बोलती बंद हो गयी।
दोनों को चुपचाप खड़ा देखकर रंजीत बोला, ‘‘क्यों हो गयी जवानी ठंडी, बड़े लड़की-लड़की करते थे, अब जब लड़कियों के दर्शन हो गये तो सांप क्यों सूंघ गया।’’
‘‘नहीं-नहीं यह बात नहीं....’’, थूक गटकते हुए एक सिपाही ने कहा, दरअसल बात यह हैं कि ऐसा नजारा मैंने पहले कभी देखा नहीं है न इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं क्या न करूं।’’
‘‘कुछ न करो, जेब हल्की करो और ऐश करो।’’ रंजीत ने कंधे पर हाथ मारते हुए कहां।
‘‘पुलिस का कोई लफड़ा तो नहीं होगा न....।’’ एक सिपाही ने पूछा।
‘‘अरे यार नहीं, इसमें पुलिस का कोई लफड़ा नहीं है। यह एकदम सैफ जगह है जहां कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है तो पुलिस क्या चीज है। वैसे तुम दोनों को मैं बता दूं कि मैं खुद सीबीआई में हूं, इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। हां, तुम्हारे पास अपनी कोई जगह हो तो लड़की को वहां ले जाओ... जैसा तुम्हें अच्छा लगे.... बोलो, कितनी भेंज दूं....एक, दो या चार, छह...।’’
नहीं, हमारे पास ऐसी कोई जगह नहीं है जहां हम लड़कियों को बुला सके। तुम जहां कहोगें वहीं ठीक रहेगा.... क्यों ठीक है न...।’’ एक सिपाही ने दूसरे की तरफ देखते हुए पूछा।
तो चलो अभी बुलाए देता हूं। उनकी बात सुनकर रंजीत ने कहां तो उन लोगों ने पैसे न होने की बात कहकर सौदा कल पर टाल दिया। दोनों कल मिलने का वादा करके रंजीत से विदा ली।
रंजीत से सौदा तय हो जाने के बाद दोनों सिपाही पूरी उत्साह के साथ सीधे इंस्पेक्टर मनोज के पास पहुंचे। दोनों ने उन्हें रंजीत की पूरी जानकारी दे दी।
रंजीत के बारे में पूरी जानकारी सुनकर इंस्पेक्टर मनोज आश्चर्य में पड़ गये कि रंजीत जैसा व्यक्ति कितने संगठित रूप से यह व्यापार उनके इलाके में चला रहा है और उन्हें इस बात की भनक तक लगने नहीं दी थी।
उन्होंने तत्काल अपने सभी साथियों को बुलाया और उन्हें पूरी बात बताते हुए उन्हें इस बात की ताकीद दी कि हमें केवल एक दो लोगों को ही नहीं, पूरे रैकेट को उजागर करना है। इसके लिए पूरी योजना बनाकर काम को अंजाम देने की जरूरत है। उन्होंने कार्य को अंजाम देने के लिए एक योजना बनाई और निश्चित होकर कल का इंतजार करने लगे।
दूसरे दिन तय समय पर दोनों सिपाही नकली ग्राहक बनकर आपरेशन पर जाने के लिए तैयार हो गये। सबसे पहले उन्होंने रंजीत को फोन करके कहां कि वे दोनों तैयार हैं, बताओं कहां आना है।
कौन-सा माल चाहिए दो, पांच या दस हजार वाला।
पांच वाला ही लाओ यार।
ओके तुम दोनों पहुंचों मैं तुम्हारे दिल की दवा लेकर पहुंचता हूं।
ओके जल्दी आना यार अब सहन नहीं होता, हंसते हुए ग्राहक बने सिपाही ने रंजीत से कहा और फोन काटकर इंस्पेक्टर मनोज की ओर देखने लगा।
ठीक है तुम दोनों वहां पहंुच जाओ, हमारी टीम थोड़ी दूर रहेगी। इशारा कब और कैसे करना इस बारे में होशियारी से काम लेना ताकि किसी को शक न हो। ओके एवरी थिंग इज क्लीयर?
यस सर, कहते हुए दोनों सिपाहियों ने सेल्यूट मारा और एक मोटरसाइकिल लेकर रवाना हो गये। रंजीत के मोबाइल में रंगीनियां दोनों देख चुके थे, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लग रहा था कि ऐसा न हो कि रंजीत लड़कियों को लेकर वहां पहुंचे ही नहीं, लेकिन उनका सोचना गलत था। दोनों जब मौके पर पहुंचे उसके कुछ ही देर बाद रंजीत मोटरसाइकिल पर एक बीस साल की लड़की को लेकर वहां पहुंच गया। स्किन टाइट लो वेस्ट जींस और उसके ऊपर छोटी सी टीशर्ट पहने वह युवती किसी भले घर की पढ़ी-लिखी लड़की लग रही थी। उसने अपनी मांग में हल्का सा सिंदूर भी लगा रखा था।
जब यही सब करना है तो मांग भरने का ढोंग क्यों, ऐसा सोचकर सिपाही ने उस युवती को मन ही मन एक भद्दी से गाली दी और फिर मुस्कराते हुए रंजीत से कहा, मान गये दोस्त तुम्हें, बहुत बड़े खिलाड़ी हो, लेकिन हम दो हैं यार, एक और ले आते तो जल्दी से फ्री हो जाते, रंजीत के साथ केवल एक लड़की को देखकर उसने कहा तो रंजीत बोला तुम सामने वाले क्वाटर में इसे लेकर चलो मेरा दोस्त एक और को लेकर आता ही होगा। अभी रंजीत ने इतना ही कहां था कि एक अन्य युवक भी एक लड़की को लेकर वहां आ गया। उस लड़की की उम्र बमुश्किल 15-16 साल की थी। इतनी मासूम लड़की को दहे व्यापार में शामिल देखकर दोनों चैंक गये, लेकिन उन्होंने अपने आश्चर्य को मन में ही दबाए रखा.
एक सिपाही रंजीत को पैसा देते हुए बोला, तुम लोग यहीं ठहरना वर्ना कोई आ न जाए।
डोंट वरी, बेफ्रिक होकर ऐश करो, हम दोनों यहीं हैं कोई नहीं आएगा। वैसे भी तुम्हें मालूम है कि मैं सीबीआई में हूं, पुलिस मेरा कुछ नहीं कर सकती है।
दोनों उन लड़कियों को लेकर अंदर चले गये जहां से मौका पाकर इंस्पेक्टर मनोज को छापा मारने का इशारा कर दिया। पुलिस के आने और कहानी के खत्म होने में कुछ ही पलों की देर थी, लेकिन उन लड़कियों को कुछ ज्यादा ही जल्दी थी इसलिए जाहं लोकेन्द्र और रामगोपाल उन दोनों को धीरे-धीरे आगे बढ़ने की हिदायत देने में लगे थे
वहीं इसके विपरीत दोनों लड़कियां जल्द से जल्द डील फिनिश करना चाहती थी इसलिए उन दोनों की
आपत्तिजनक स्थिति में आने में देर नहीं लगी। दोनों लड़कियों को इस हालत में देखकर दोनों सिपाहियों को पसीना आ गया। उन्हें लगा, अगर पुलिस को आने में थोड़ी देर और होती हैं तो न जाने आज उन लोगों के साथ क्या होने वाला है। लेकिन संयोग से दोनों की इज्जत बचाने के लिए इंस्पेक्टर मनोज अपने साथियों के साथ वहां पहुंच गए।
पुलिस को देखकर रंजीत और उसके साथी ने मौके से भागने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। पकड़ी गयी दोनों लड़कियां और रंजीत व उसके साथ युवक पकड़े गए. रंजीत की तलाशी लेने पर पुलिस को निशान लगे वह रूपये तो मिल ही गये जो सिपाहियों ने उन्हें दिये थे। इसके अलावा रंजीत के पास से पांच मोबाइल फोन और लड़कियों के पास से उनके अपने मोबाइल के अलावा कंडोम तथा दूसरी अश्लील सामग्री का जखीरा भी बरामद हुआ।
आरोपियों से पूछताछ की गयी तो चारों अपने आप को बेकसूर बताते रहे, लेकिन जब रंजीत के मोबाइल वीडियों क्लीपिंग प्ले की तो सभी बगले झांकने लगे। क्या तुम अब भी अपने आपको निर्दोष बतलाना चाहते हो। इस बात के जबाव में रंजीत ने अपना चेहरा झूका लिया। रंजीत टूट गया तो उसके दूसरे साथी और पकड़ी गयी लड़कियों को टूटने में देर ही लगी।
रंजीत ने बताया कि उसका यह देह व्यापार केवल शहर में ही नहीं पूरे देश में फैला हुआ है। अन्य शहरों की लड़कियां भी उसके नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं। इनमें से कई हाउस वाइफ है तो कई काॅलेज और स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं।
रंजीत ने इस राज पर से भी पर्दा उठा दिया कि शालू और परवीन नाम की दो महिलाएं एक बड़ा सेक्स रैकेट चला रही हैं, जिसमें दर्जनों शामिल हैं। रंजीत ने उन युवतियों के नाम पते भी पुलिस के सामने उजागर कर दिए.
चूंकि पुलिस को जानकारी मिल चुकी थी कि परवीन न केवल उसके अड्डे पर आने वाले ग्राहकों को लेकर उसके पास जाती है उन्हें वह मोटे दाम पर घंटे के हिसाब से जगह भी उपलब्ध कराती हैं इसलिए उसके अड्डे पर रोज रात को देह बालाओं का मेला लगता हैं. इसलिए इंस्पेक्टर मनोज ने परवीन के अड्डे पर रात में छापा मारने की योजना बनाई.
इंस्पेक्टर मनोज जब अपने सहयोगियों के साथ परवीन के अड्डे पर पहुंची उस वक्त वहां कई लड़कियों और लोग मौजूद थे. पुलिस के अनुसार पकड़ी गयी लड़कियों और सरगनाओं से मिली जानकारी के अनुसार इस धंधे में कई काॅलेज की लड़कियों और हाई सोसाइटी की लड़कियां भी थी.
(कथा पुलिस सूत्रों के अनुसार)
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