Today and tomorrow : विदेशी से शादी करने के लिए उसने ऐसा क्या किया कि करोड़ों रूपए चले गए




कंपनी की सीनियर वायस प्रेसिडेंट को लगाई करोड़ों की चपत


मुंबई के पाॅश इलाके में एक मंहगे फ्लैट में रहने वाली सुशीला एलफाॅजों (काल्पनिक नाम) अंधेरी के एक कारपोरेट कंपनी में सीनियर वायस प्रेसिडेंट के पद पर काम करती है. सुशीला काफी जानकार, समझदार लेडी है. अपने आइडिया और डिसीजन की बदौलत उसने कंपनी को कुछ ही सालों में रेपुडेटेड कंपनियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया. सुशीला ने करियर बनाने के चक्कर में शादी नहीं की थी. जब शादी की बात ध्यान आयी तब तक काफी वक्त बीत चुका था. वह 46 साल की हो चुकी थी, पर सुजाता में खास बात यह थी कि उसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि उसकी उम्र इतनी अधिक है. उसे देखकर उसे 30 से अधिक नहीं आंकता था.

इस उम्र में शादी की बात सोचकर पहले उसे अजीब लगा. सोचा, इस उम्र में शादी की क्या जरूरत है? अब तक इतनी जिंदगी काट ली है तो बची जिंदगी भी किसी तरह से कट जाएगी. इसके बावजूद एक दिन उसने मेंट्रोमोनियल साइट शादीडाॅटकाॅम खोली. उसे देखकर इस बात की हैरानी हुई की उससे भी अधिक उम्र की औरतों ने शादी के लिए अपनी फोटो व प्रोफाइल डाल रखी है. यह देखकर उसने भी साइट पर रजिस्ट्रेशन किया और अपनी आईडी बनाकर पूरे डिटेल के साथ फोटो अपलोड कर दी. डिटेल डालने के दो-तीन दिन बाद उसके पास एक मेल आया. इसकी सूचना उसे अपने स्मार्ट फोन पर मिल चुकी थी, पर आॅफिस के काम में वह दिनभर इतनी बीजी रही थी कि मेल चेक नहीं कर सकी. शाम को आॅफिस से घर लौट कर उसने मेल चेक किया.

मेल किसी डेविड वाल्टर नाम के व्यक्ति ने सुजाता की प्रोफाइल और फोटो देखकर अपनी प्रोफाइल भेंजी थी, जिसमें उसने लिखा था उसका परिवार भारत का है, पर अब हम ब्रिटेन में शिफ्ट हो गए है. लड़के ने अपनी आर्थिक हैसियत काफी अच्छी बतायी थी. उसने लिखा था, वह दिल्ली में साकेत एरिया में एक बड़ा आॅफिस लेकर सिलिब्रिटी स्टेट ब्रोकर का काम करता है. दुनिया के कई बड़े सिलिब्रिटी उसके क्लाइंट है. उसके पिता लंदन में रहते हैं. वे कैंसर की दवा पर रिसर्च कर रहे हैं.





मेल पढ़कर सुशीला की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह जैसा हसबैंड चाहती थी ठीक वैसा ही प्रपोजल उसके पास आया था. वह हमेशा से ही बड़े हैसियत वाले लड़के के साथ शादी करके विदेश में सेटल होना चाहती थी. अब उसका सपना पूरा होने वाला था. एक दिन शाम को अचानक उसका फोन बज उठा. रिसिव करने पर फोन करने वाले ने अपना नाम डेविड वाॅल्टर बताया.

नाम सुनते ही सुशीला का दिल तेजी से धड़कने लगा. खुशी के मारे उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रहे थे. सामने से डेविड हैलो..हैलो करता रहा. कुछ देर में सुशीला ने खुद को संभाला और डेविड से बात करना शुरू किया. डेविड काफी शातिर किस्म का युवक था. वह फोन पर सुशीला की आवाज से समझ चुका था कि उसके द्वारा डाले गए चारे को खाने के लालच में मछली आ चुकी है. मछली बड़ी आसानी से उसकी चंगुल में फंसने वाली है. डेविड ने सबसे पहले सुशीला की तारीफो के पुल बांधे. फिर अपनी हैसियत के बारे में बताते हुए उसे बड़ेबड़े सपने दिखाता रहा. सुशीला डेविड द्वारा दिखाएं जाने वाले सपनों के डोर में उसकी ओर खिंची चली जा रही थी. डेविड बातों की चाशनी को और मीठा करने लगा था. इतने में डेविड ने सुशीला से पूछ लिया, क्या उसे उसका प्रोफाइल पसंद आया. सुशीला ने हां में जवाब दिया.

अब तो डेविड पूरी तरह से खुल गया. वह खुद के और अपने परिवार के बारे में बड़ीबड़ी बातें बताने लगा. उसने अपने माता-पिता के बारे में बताया. उसकी मां कैंसर की मरीज है. उसका इलाज करते करते उसके पिता कैंसर पर रिसर्च करने लगे है. दोनों में देर रात तक लंबी बातें होती रही. सुशीला डेविड की बातों से काफी प्रभावित हो गई थी. उनके परिवार के बारे में जान कर वह और अधिक मुरीद हो गई थी. उसे लगने लगा था कि डेविड आज ही आ जाएं और उसे ब्याह कर ले जाएं.

इधर डेविड सुशीला को फंसाने के लिए बड़े शातिराना तरीके से काम कर रहा था. डेविड भारत में रहते हुए भी ब्रिटेन के नंबर से फोन किया करता था. कुछ दिन में डेविड ने सुशीला को फेसबुक के साथ जोड़ लिया. दोनों रातरात भर फेसबुक पर चेटिंग करने लगे. अचानक एक दिन डेविड के पिता अन्थोनी वाॅलटर का फोन आया. उसने सुशीला से हालचाल पूछा. इसके बाद सुशीला से कहा, डेविड उसे प्यार करने लगा है. उससे शादी करनी की बात कर रहा है. मैंने उसने कह दिया है, तुम एकदूसरे को अच्छे से समझ लो इसके बाद आगे बढ़ो. शादी कोई एकदो दिन का संबंध नहीं है. यह तो जन्मों जन्मों का संबंध है. जब तुम दोनों एकदुसरे पर जान समझ लोगे तो तुम्हें भविष्य में कोई परेशानी नहीं होगी.





सुशीला को डेविड के पिता की बात काफी पसंद आई. यही नहीं उनके बोलने का तरीका किसी विद्वान की तरह लगा. होता भी क्यों नहीं, वह एक वैज्ञानिक जो थे. बात करतेकरते अन्थोनी ने सुशीला से कहां, वह कैंसर पर खोज कर रहे हैं. उसकी खोज पूरी होने पर बहुत ही कम पैसों में कैंसर के मरीज ठीक हो जाएंगे. उन्होंने आगे सुशीला से कहां, उनकी खोज जल्द ही पूरी होने वाली है. वह कैंसर की दवा के लिए जिस सीड (SEED) यानी बीज की तलाश में थे वह भारत में मिलती है. वह सीड एक महिला के पास है. उन्होंने महिला का मोबाइल नंबर देते हुए कहां, यदि तुम उस महिला से सम्पर्क कर उससे कुछ बीज लेकर लंदन भेंजवाने की व्यवस्था कर सको तो मुझे बड़ी खुशी होगी.

अन्थोनी के कहने पर सुशीला ने उस महिला से सम्पर्क कर  SEED के बारे में पता किया. महिला ने उसके पास यह SEED उपलब्ध होने की बात कहीं है. उसने बताया यह 400 ग्राम के पैकेट में उसके पास उपलब्ध है जिसकी कीमत प्रति पैकेट 2500 युएस डाॅलर (भारतीय करैंसी 1,55,000 रूपए) होगी. सुशीला ने इस बारे में अन्थोनी से बात की तो उन्होंने कहां, उसके पास जितने भी पैकेट उपलब्ध हो वह ले लें. यह फायदे का सौदा होगा. जैसे वह कैंसर की दवा के बारे में घोषणा करेगा वैसे ही इन बीजों की कीमत करोड़ों में हो जाएगी. महिला के पास इस तरह के 18 पैकेट मौजूद थे. सुशीला ने सभी पैकेट का आर्डर 2 अप्रैल 2015 को दे दिया.

अन्थोनी के कहने पर सुशीला ने 39,06,000 रूपए बैंक द्वारा ट्रांसफर कर दिया. रूपये मिलते ही SEED के पैकेट सुशीला के आॅफिस के पते पर भेंजवा दिए. सुशीला ने इसकी जानकारी तुरंत अन्थोनी को दे दी. उसने कहां वह जल्दी ही रूपयों की व्यवस्था कर SEED लंदन मंगवा लेगा. इसके बाद सुशीला कंपनी के कामों में काफी बीजी हो गई. दोनों में 15 दिनों तक कोई सम्पर्क नहीं हुआ.

करीब 15 दिन के बाद अन्थोनी का सुशीला के पास फोन आया. उसने सुशीला से कहां, वह जल्द ही रूपए भेंजवा कर SEED अपने पास मंगवा लेगा. उसे ऐसे ही 122 पैकेट SEED की और जरूरत है. उसके पेमेंट भी वह भेंजवा देंगा. उसने फोन पर बताया, उसकी पत्नी के ब्रेन टयुमर में काफी तकलीफ होने की वजह से वह काफी परेशानी में है. देर होने की वजह से वह बूरा न माने. वह जल्द ही सबकुछ ठीक कर देंगा. सुशीला ने उन्हें अपनी पत्नी का ख्याल रखने के लिए कहा.

कुछ दिनों बाद सुशीला को अन्थोनी वाॅल्टर का फोन व ईमेल मिला, जिसमें उसने लिखा था कि वह पहले वाले 18 पैकेट के पैसे तथा 122 नए पैकेट लेने के लिए पैसे ब्रिटीश एअरवेज कार्गो से भेंज रहा है. ईमेल मिलने के ठीक दूसरे दिन रोजी डेवस्मित नाम के एक शख्स ने दिल्ली से सुशीला को फोन करके बताया कि आपका पार्सल आया हुआ है. इसे छुड़ाने के लिए आपको कस्टम क्लीयरेंस करना होगा. इसके लिए आप नासुद नाम के व्यक्ति के बैंक एकांउट में 1,96,000 रूपए जमा कर दें. सुशीला के 39,06000 रूपए फंसे हुए थे. अन्थोनी ने वह रूपए तथा 122 पैकेट और SEED खरीदने के लिए कार्गो से रूपए भेंजे थे. यदि वह नहीं छुड़वाएगी तो वह वापस चले जाएंगे. उसके रूपए भी डूब जाएंगे. सुशीला ने बिना कुछ सोचे समझे बताएं गए बैंक एकाउंट में रूपए जमा कर दिए.





इसके बाद दोबारा फिर से रोजी डेवीस्मित का फोन आया. उसने पूछा, ‘‘क्या आपके पास इस पार्सल का एंटी टेरेरिस्ट व ड्रग्स क्लेरेंस सार्टिफिकेट है.’’ सुशीला ने बताया, पार्सल से संबंधित कोई भी डाक्यूमेंट उसके पास नहीं है. तब उस शख्स ने कहां, इसके लिए उन्हें 3,058,000 रूपए और जमा करने होंगे. सुशीला सिर पकड़ कर बैठ गई. उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. काफी देर तक उसका जवाब फोन पर न मिलने पर रोजी ने कहां, यदि आप यह रूपए नहीं जमा करती है तो आपके खिलाफ दोनों एक्ट लगा कर कार्रवाही शुरू की जाएगी. रोजी डेवीस्मित की बात सुनकर सुशीला काफी घबरा गई. वह रूपए भेंजने के लिए तैयार हो गई. इस बार रोजी डेवीस्मित ने प्रमोद तिवारी नाम के किसी शख्स के एकाउंट में रूपए भेंजने के लिए कहां. सुशीला ने नेट बैकिंग द्वारा रूपया ट्रांसफर कर दिया. रूपए ट्रांसफर होने के बाद रोजी ने मेल द्वारा सुशीला को कस्टम, एंटी टेरेरिस्ट तथा ड्रग्स क्लीरियरेंस सार्टिफिकेट भेंज दिया.

इसके दो दिन बाद सुबह के 8 बजे के करीब एक नाइजीरियन शख्स एक छोटी सी संदूक लेकर सुशीला के घर पर पहुंचा. उसने बताया यह संदूक डेविड और उसके पिता अन्थोनी ने उसके लिए भेंजा है. कोड द्वारा उस संदूक को खोलने पर उसमें एक कांच की बोतल थी. साथ में नोट के आकर के काले कागज रखे हुए थे. यह देख कर सुशीला ने पूछा, यह सब क्या है. उस शख्स ने कहा, मन छोटा न करो. यह सब सिर्फ काले कागज नहीं है. यह करोड़ों के पौंड है. उस शख्स ने जल्दी से बोतल खोल कर रूई के फाहे को केमीकल में भीगों कर निकाला और उसे काले कागज पर लगाया. उसे लगाते ही काला कागज यूके की मुद्रा पौंड में बदल गया. सुशीला उस पौंड को हाथ में लेकर देखने लगी.

उस शख्स ने कहा, यह बिलकुल असली नोट है. इस बीच उस शख्स ने कई काले कागज पर केमीकल लगा कर नोट में बदल चुका था. नोटो को देखकर सुशीला खुश हो गई. इतने में उस शख्स ने सुशीला का ध्यान बटा कर केमीकल की बोतल को फर्श पर गिरा दिया, जिससे सारा केमीकल फर्श पर फैल गया. समस्या यह थी कि संदूक में रखे काले नोट केमीकल के बिना पौंड में नहीं बदल सकते थे. उस शख्स ने केमीकल की कीमत 20 लाख रूपए बतायी. सुशीला ने उस शख्स को वहां से जाने के लिए कहां.

उस शख्स के जाने के बाद सुशीला ने सोचा, संदूक में करोड़ो रूपए के पौंड पड़े है. यदि इसे केमीकल्स लगाकर बदलवा दिया जाए तो उसके पास मोटी रकम हो जाएगी. कई दिनों तक वह सोचती रही आखिर में उसने केमीकल मंगवाने का विचार कर लिया. सुशीला ने फोन करके उस शख्स को अपने पास बुलाया. 27 मई को शाम के वक्त वह शख्स सुशीला के घर पर पहुंचा. सुशीला ने केमीकल्स लाने के लिए उसे 20 लाख रूपए दे दिए. 28 मई को उस शख्स ने सुशीला को फोन करके बताया कि वह दिल्ली के अमेरिकन एम्बेसी से बोल रहा है. आधा लीटर केमीकल की बोतल खत्म हो गई है. एक लीटर की कीमत 47 लाख रूपए है.

यह सुनकर सुशीला ने अपना माथा पकड़ लिया. अब उसके पास रूपए नहीं थे जो वह देती. धीरेधीरे करके इस गैंग ने उससे एक करोड़ से अधिक रूपए ठग लिए थे. उसने अपने पास के जमा रूपए भी उन्हें दे चुकी थी. साथ ही उसने बैंक से कर्जा भी ले लिया था. एक करोड़ रूपए देने के बाद उनके सारे नंबर बंद हो चुके थे. कहीं से कोई जवाब नहीं मिल रहा था. उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चल रहा था. आखिर में सुशीला काफी परेशान हो गई. वह समझ गई की वह उन लोगों के ठगी का शिकार हो चुकी है. उसने अपर पुलिस आयुक्त (क्राइम ब्रांच) अतुल चंद्र कुलकर्णी के पास जाकर सारी बातें बतायी. सुशीला की बातों को सुनकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक पढ़ीलिखी समझदार औरत किस तरह से लालच में आकर ठगों के चंगुल में फंस गई. उन्होंने तुरंत क्राइम ब्रांच यूनिट-11 को मामले की जांच करने का आदेश दिया.

सपुनि सुनील देशमुख ने मामले को बड़े गौर से सुना. मामला सायबर क्राइम से भी जुड़ा हुआ था. मामले की जांच के लिए सपुनि सुनील देशमुख ने कई टीम बनाई. जिसमें हर तरह के एक्सपर्ट को शामिल किया गया. जांच शुरू करते ही पुलिस टीम ने गैंग के उन मोबाइल नंबरों को ढुढ़ना शुरू किया जिनसे सुशीला से बात की जाती थी. इसके अलावा बैंक के उन एकाउंट को टारगेट किया गया जिन में सुशीला से रूपए जमा करवाए गए थे. पुलिस को पता चला कि गैंग के सदस्य, सुशीला से जिन मोबाइल नंबरों से बात करते थे वह नंबर यूके के थे, लेकिन कुछ महीनों से ये नंबर भारत में ही चल रहे थे. इससे पुलिस समझ गई की आरोपी भारत में ही रह कर ऐसे अपराध को अंजाम दे रहे है. पुलिस टीम ने सर्विसलांश की मदद से आरोपियों के ठिकाने का पता लगा लिया. पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. तलासी में उनके पास से कई मोबाइल फोन, डेटा कार्डस, लैपटाॅप, इंडियन सिमकार्ड तथा विदेशी सिमकार्ड मिलें.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला है कि गिरोह के सदस्य अधिक उम्र की कुंवारी, तलाकशुदा, विधवा मालदार अच्छी पोस्ट पर काम करने वाली महिलाओं को टारगेट करते थे. उन्हें विदेशी लड़के से शादी का झांसा देकर ठगी करते थे. यह पिछले कुछ समय से भारत में रह कर ऐसे क्राइम कां अंजाम दे रहे थे.

इस मामले को सुलझाने में क्राइम ब्रांच यूनिट-11 के एसीपी सुनील देशमुख, वपुनि. चिमाजी आढाव, एपीआई मनोहर हरपड़े, एपीआई रहिस शेख, एपीआई शरद झेन, पीएसआई हितेंद्र विचारे, पीएसआई शिवाजी चिकने, पीआई सुनावने नवनाथ, पुना. अशोक गोले, पुना. अशोक कोंडे, पुना. राजेश सावतं, हेका. अविनाश शिंदे, पुका. बुगाडे दयानंद, पुका. शिवाजी दहिफाळे, सचिन कदम,  तथा अन्य लोगों का सहयोग रहा.

पुलिस अधिकारी एसीपी सुनील देशमुख का कहना है, कम पढ़ें लिखें व अनपढ़ लोग यदि किसी प्रलोभन में आकर उनकी चंगुल में आ जाए तो उनकी नासमझी मानी जा सकती है, पर यहां तो मामला ही बिलकुल ही उल्टा है. लालच में आकर पढ़े लिखें लोग भी इनका शिकार हो रहे हैं. ऐसे किसी भी प्रलोभन के झांसे में नहीं आना चाहिए. वर्ना ठगी का शिकार होकर पछताने के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा.  (कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

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