Crime Story (Hindi) : दूसरी चाबी Part-1



दूसरी चाबी

दिल्ली से कुछ दूरी पर बसा एक छोटा सा कस्बा है डोंगर गांव। इस कस्बे के आनंद नगर में लगभग पचास वर्षीया रूकमणी देवी अपनी इकलौती बेटी मोहनी  के साथ रहती थी।
मोहनी  के पिता की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब वह बहुत छोटी थी। मोहनी  की मां रूकमणी देवी चाहती तो दूसरी शादी कर सकती थी, पर उन्होंने शादी नहीं की। उन्हें पता था कि उन्हें पति तो मिल जाएगें लेकिन उसकी बेटी को पिता कभी नहीं मिल सकता था।

रूकमणी देवी के परिवार वाले चाहते थे कि उसकी दोबारा शादी हो जाएं ताकि उनके न रहने पर उसे किसी का सहारा मिल सकें। रूकमणी देवी अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी। वह उसके पति की एकमात्र निशानी थी। शादी करके वह अपनी बेटी को नहीं खोना चाहती थी। इसीलिए परिवार के लाख दबाव के बावजूद उसने शादी नहीं की।
रूकमणी देवी ने अकेले ही मोहनी  का पालनपोषण किया। अब मोहनी  की उम्र लगभग 22 वर्ष की हो चुकी थी। वह छोटी सी बच्ची अब एक खूबसूरत युवती बन चुकी थी।
मोहनी  पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गई। उसकी पढ़ाई पूरी होते ही रूकमणी देवी उसकी शादी कर देना चाहती थी। दरअसल उन्होंने दुनिया देखी थी, कल को उन्हें कुछ हो गया तो अकेली बेटी किसके भरोसे रहेगी। दामाद के रूप में उनकी इच्छा घरजमाई खोजने की थी। क्योंकि डोंगर गांव में आलीशान मकान के अलावा काफी संपत्ति थी जो उनकी मौत के बाद मोहनी  की ही थी।
रूकमणी देवी ने पूरी जवानी विधवा के रूप में अकेले बिताई थी इसलिए मर्दो की नीयत का ज्ञान उन्हें खूब था। इसलिए पढ़ाई के दौरान उन्होंने मोहनी को हाॅस्टल में रखना उचित नहीं समझा। ऐसे भी दिल्ली से डांेगर गांव तक का सफर बमुश्किल आधा घंटे में पूरा हो जाता है। साधन भी खूब है इसलिए मोहनी अपडाउन करने लगी थी।

रोज सुबह वह दिल्ली आ जाती और शाम होते होते डोंगर गांव वापस अपने घर लौट आती थी। 26 नवंबर की शाम को जब मोहनी दिल्ली से अपने घर वापस आई तो वह पहले अपने मामा कन्हैया सिंह के घर चली गई। उसने मामा को बताया कि आज सुबह से वह मां को फोन लगा रही हूं, लेकिन मां फोन रिसीव नहीं कर रही है, इसलिए मुझे डर लग रहा है।
अपनी भांजी मोहनी का डर देखकर तुरन्त तैयार होकर लगभग दस मिनट में कन्हैया सिंह मोहनी के साथ अपनी बहन रूकमणी देवी के घर पहुंच गए। घर पास में ही था। वहां पहुंचने में अधिक देर नहीं लगी। वहां देखा बाहर चैनल गेट पर ताला लगा था। पहले तो सोच में पड़ गए। उनकी बहन कहा गई। फिर सोचा यहीं आसपास मार्केट गई होगी। मकान की दो चाबी थी। एक चाबी मोहनी के पास और दूसरी चाबी उसकी मां के पास रहती थी।
मोहनी  ने गेट की चाबी मामा को निकाल कर दे दी। कन्हैया सिंह ने चाबी लेकर गेट पर लगा ताला खोल दिया और दोनों ने अंदर प्रवेश किया। दोनों जैसे ही कमरे के अंदर प्रवेश किया, तो वहां का दृश्य देखकर दोनों चैंक गए।

कमरे के अंदर मोहनी की मां रूकमणी देवी की लाश पड़ी थी। रूकमणी देवी के सिर पर चोट लगी थी। उसके सिर से ढे़र सारा खून निकलकर फर्श पर बहकर सूख गया था। रूकमणी देवी के हाथों की नसें भी कटी हुई थी। उससे भी खून बहकर सूख गया था।
कमरे में रूकमणी देवी की लाश देखकर दोनों घबरा गए। कैलाश चंद्र ने तुरन्त डोंगर गांव पुलिस चैकी पहुंचकर चैकी प्रभारी को घटना के बारे में जानकारी दी। हत्या की खबर मिलते ही चैकी प्रभारी तुरन्त सिपाही को लेकर घटनास्थल पर पहुंच गए।
चैकी प्रभारी को पहली ही नजर में रूकमणी देवी देवी की हत्या दिखाई दे रही थी। वहां पड़े खून के सूख जाने और रूकमणी देवी देवी की लाश देखकर यह अनुमान लगाया कि हत्या कम से कम दो दिन पहले हुई होगी।
पुलिस ने बारीकी से पूरे कमरे की तलाशी ली। घर का सारा सामान ज्यों का त्यों यथा स्थान रखा हुआ था। घर से कोई कीमती सामान भी गायब नहीं हुआ था। इससे स्पष्ट था कि हत्यारा घर में किसी चोरी के मकसद नहीं आया था। बल्कि उसका उद्धेश्य केवल रूकमणी देवी की हत्या करना ही था।
लेकिन एक विधवा स्त्री से किसकी दुश्मनी हो सकती है। ऐसा कौन सा इंसान है जिसे रूकमणी देवी देवी से इतनी नफरत हो गई की उसने उसकी हत्या कर दी। आखिर हत्या करने वाले का हत्या करने के पीछे क्या मकसद था।
पुलिस ने आगे की कार्यवाही करते हुए आसपास में लोगों से पूछताछ की। मोहल्ले वालों के अनुसार रूकमणी देवी देवी बहुत ही मिलनसार थी। उनका मोहल्ले में कभी किसी से कोई झगड़ा नहीं हुआ था। ऐसे में एक विधवा से किसी को क्या रंजिश हो सकती है।

प्राथमिक पूछताछ के दौरान पुलिस को यह जरूर जानकारी मिली के दो दिन पहले ही 25 नवंबर की रात में रूकमणी देवी और उनकी बेटी मोहनी के बीच किसी बात को लेकर काफी झगड़ा हुआ था। झगड़ा इतना तेज था कि उनकी आवाज घर से बाहर तक आ रही थी।
झगड़े की बात सुनकर पुलिस सोच में पड़ गये क्योंकि एक बेटी अपनी मां की हत्या कैसे कर सकती है। वह भी उस मां की जिसने बचपन से उसे अपने सीने से लगाकर पाल-पोश कर बड़ा किया था। एक अकेली औरत को अपनी बेटी की परवरिश में कितनी परेशानी हुई होगी वह उसकी बेटी अच्छी तरह से समझ सकती है। किसी ने जायदाद के लिए उनकी हत्या की हो ऐसा भी नहीं था। क्योंकि रूकमणी देवी देवी की मृत्यु के पश्चात वैसे भी उनकी सारी संपत्ति मोहनी की थी।
पुलिस रूकमणी देवी देवी की हत्या के बारे में जितना सोचती जा रही थी उतना ही उलझ जा रही थी। आखिर में उन्होंने मोहल्ले वालों की बातों के आधार पर मोहनी से पूछताछ करने का निश्चय किया। मोहनी से पूछताछ के पहले चैकी प्रभारी ने अपने मुखबिरों को मोहनी की पूरी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा। वह कहां जाती है, किससे मिलती है, उसे किसी बूरी लत तो नहीं है आदि।
मुखबिरों ने कुछ ही दिन में मोहनी की पूरी जानकारी पुलिस को सौंप दी। पुलिस जानना चाहती थी कि उस रात रूकमणी देवी देवी और मोहनी में झगड़ा हुआ था कि नहीं। यदि हुआ था तो किस बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था। उन्होंने जब मोहनी को उसकी मां की हत्या से पहले हुई झगड़े के सिलसिलें में पूछताछ आरम्भ की।
25 नवंबर की रात को तुम्हारा और तुम्हारी मां रूकमणी देवी की किस बात पर बहस हुई थी?’’
‘‘वह हमारा पारिवारिक मामला था।’’ मोहनी ने जवाब दिया।
‘‘अभी तुम्हारा कोई पारिवारिक मामला नहीं रहा। क्योंकि उस झगड़े के बाद तुम्हारी मां की हत्या हो चुकी है। इसलिए पुलिस को जानने का यह हक बनता है कि उस रात किस बात को लेकर तुम दोनों में बहस हुई थी। कहीं उसका उनकी हत्या से कोई संबंध तो नहीं।’’ पुलिस ने पूछा।
मोहनी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें। कुछ देर तक वह गोल मटोल जवाब देकर पुलिस को टालने की कोशिश करती रही।
मोहनी की बातों से पुलिस का शक अब यकीन में बदलने लगा था कि कहीं न कहीं मोहनी का उसकी मां की हत्या से कोई संबंध है। उन्होंने सोचा यदि मोहनी पर थोड़ा सा सख्ती किया जाएं तो वह सबकुछ सचसच बता देंगी।
पुलिस ने सख्ती से पूछा, ‘‘तुमसे आखरी बार पूछ रहे हैं उस रात तुम्हारा अपनी मां से झगड़ा क्यों हुआ था?’’
मोहनी और उसकी मां में झगड़ा क्यों हुआ था?
रूकमणी देवी की हत्या किसने और क्यों की?
यह जानने के लिए दूसरी चाबी का भाग-2 जरूर पढ़े.

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