Story Of Aspirin | कहानी एस्प्रिन की

Story Of Aspirin | कहानी एस्प्रीन की
Story Of Aspirin 


कहानी एस्प्रिन की | Story Of Aspirin  

कहानी Aspirin (एस्प्रिन) की यानी एसिटाइल सेलिसिलिक एसिड मूल रूप से दर्द निवारक औषधि है. सर्दी, जुकाम, सिरदर्द आदि के लिए सामान्य दवा के रूप में Aspirin (एस्प्रिन) का इस्तेमाल किया जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि अनेक नए दर्द निवारक औषधियों की खोज के बाद भी दर्द निवारक औषधि के रूप में Aspirin (एस्प्रिन) ही सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.

Aspirin (एस्प्रिन) के विस्तार की कहानी काफी आश्चर्यजनक और रोचक है. दो हजार साल पहले भी एसिटाइल संलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल बुनियादी रसायनिक विशेषताओं के बिना ही किया जाता था. आज एस्प्रिन दुनिया की सबसे अधिक बिकने वाली औषधि है.

Aspirin (एस्प्रिन) के बारे में लिखित जानकारी 460-377 ईसा पूर्व से मिलता है. प्रसद्धि चिकित्सक हिप्पोक्रिटस ने विलो (सैलिक्स अल्बा बल्गेरिज-वैज्ञानिक नाम) के तने की छाल के रस में दर्द निवारक गुण का उल्ललेख किया है. इसके बाद डाक्टरों द्वाारा इस छाल के इस्तेमाल के बारे में कोई लिखित जानकारी नहीं मिलती. हांलाकि आम लोगों द्वारा विलो की छाल को दवा के रूप में इस्तेमाल की जानकारी मिलती है.


इसके बाद सन् 1763 में ब्रिटेन के एक पादरी एस. स्टोर द्वारा विलो वृक्ष के जादुई शक्ति के बारे में उल्लेख मिलता है. जिसके बारे में कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं दिया था. सन् 1800 में इग्लैंड के रेवरेण्ड एडमण्ड ने बुखार के इलाज के लिए विलो वृक्ष की छाल के बारे में बताया. विलो वृक्ष के छाल द्वारा बुखार के इलाज की लोकप्रियता इतनी बढ़ी की यह आशंका पैदा होने लगी कहीं विलो वृक्ष लुप्त न हो जाएं. इसके लिए उस समय विलो वृक्ष की छाल उतारना दंडणीय अपराध घोषित किया गया.

उसी समय से विलो वृक्ष के लाभ के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बड़े-बड़े रसायन शास्त्री लग गए. सन् 1820 में अनेक रसायन शास्त्रियों ने माना कि विलो वृक्ष की छाल में ऐसा कोई रसायनिक पदार्थ है जो बुखार के लिए लाभदायक होता है.

सन् 1827 में लीरो नाम के एक युवा वैज्ञानिक ने विलो वृक्ष मंे पाए जाने वाले कड़वे पदार्थ को सैलिसिन बताया. इसके दस साल बाद पिरिया नामक वैज्ञानिक ने सन् 1637 में सैलिसिन को नमक के साथ मिला कर सेलिसिलिक एसिड प्राप्त किया. सन् 1853 में स्ट्रेसबर्ग के वैज्ञानिक फ्रेडरिक जेरार्ड ने पहली बार सैलिसिलिक एसिड का एसिटाइल यौगिक बनाया.

Read This :-


सन् 1860 हर्मेन कोल्बे तथा लाउटमैन नामक वैज्ञानिक ने फीनाॅल नामक पदार्थ से कृत्रिम रूप में सैलिसिलिक एसिड बनाने में सफलता प्राप्त की. अलबत्ता यह यौगिक काफी अशुद्ध था. सन् 1862 में बुश नामक एक चिकित्सक ने सैलिसिलक एसिड का उपयोग रूमेटिक फीवर के लिए किया, जो काफी लाभदायक रहा.

उसी समय बर्लिन के चेरिटी अस्पताल में जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल किया जाने लगा. कड़वे स्वाद वाली इस दवा की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी. सन् 1863 में इस बात का पता चला की कृत्रिम सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल करने से मुुंह, गले व पेट में जल्द होती है. रसायन शास्त्री इसके दुष्प्रभावों को दूर करने के उपाय खोजने लगे.

सन् 1866 में एक रंग बनाने वाली कंपनी  फ्रेब्रिकन वोर्म फ्रायडर बाॅथर एंड कंपनी ने इस पर विशेष शोध के लिए एक प्रयोगशाला की स्थापना की. यहीं पर एक युवा रसायन शास्त्री फेलिक्स हाॅफमैन ने 10 अगस्त 1867 को सैलिसिलिक एसिड को पहली बार शुद्ध और स्थायी रूप में तैयार किया. इसके बाद तो सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल जम कर किया जाने लगा. रसायन शास्त्री फेलिक्स हाॅफमैन ने कभी सोचा नहीं होगा कि एक दिन यह दवा दुनिया की सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाली दवा बन जाएगी.

6 मार्च 1886 बर्लिन के इम्पीरियल पेटेंट कार्यालय में सैलिसिलिक एसिड को Aspirin (एस्प्रिन) नाम से पेटेंट करवाया गया. उसके बाद कभी न खत्म होने वाली कहानी शुरू हो गयी. एस्प्रीन विश्व के 70 देशों में बेची जाती है. प्रति वर्ष 50 हजार टन सैलिसिलिक  पाउडर का उत्पादन किया जाता है. प्रति वर्ष 11करोड़ एस्प्रिन की गोलियां पूरे विश्व में बिकती है. इतनी बड़ी मात्रा में कोई दुसरी दवा की बिक्री नहीं होती है.

Aspirin (एस्प्रिन) यानी सेलीसाइलिक एसिड सुईनुमा रवे के आकार की गंधहीन सफेद पाउडर की तरह  होती है. हवा की नमी के सम्पर्क में आकर एसिटिक एसिड बन जाती है. इसकी वजह से इसमें सिरके की गंध आती है. तब यह असरहीन हो जाती है.

Read This :-


यह दवा पहले पाउडर के रूप में बाजार में बिकती थी. जो पानी में घुलती नहीं थी. इससे निपटने के लिए माइक्रोनाइज्ड (सूक्ष्मकर्णो) के रूप में लाया गया. यह पाउडर पानी में घुलनशील था और इसके झाग आंतों में पड़ने वाले प्रतिकुल असर को कम कर देते है.

Aspirin (एस्प्रिन) वह पहली दवा थी जिसे टेबलेट के रूप में बाजार में लाया गया था. आगे चल कर इसमें स्टार्च मिला कर डिस्पोजल रूप में लाया गया जो पानी में टूटकर जल्दी घुल जाती थी. जिससे रोगी को जल्दी लाभ मिलता है. सन् 1900में डाफमैन कंपनी को सैलिसिलिक एसिड उत्पादन के लिए अमेरिकी पेटेंट मिला. उसके अगले साल अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस दवा का प्रचार - प्रसार शुरू किया गया.

Aspirin (एस्प्रिन) में पाया जाने वाला तत्व विभिन्न बीमारियों में कैसे लाभ पहुंचता है इस बारे में वैज्ञानिकों द्वारा लगातार खोज जारी रहा. डाक्टरों द्वारा सिरदर्द, दांत दर्द, रूमेटिक पेन, खांसी, सर्दी, गठिया आदि बीमारियों में एस्प्रीन का इस्तेमाल किया जाता है.

वैज्ञानिकों द्वारा किये गए शोध में Aspirin (एस्प्रिन) के चैंकाने वाले लाभ के बारे में पता चला. जिनमें हार्ट अटैक, लकवा, खून का थक्का जमना, गुर्दे का दर्द, रेटिना के रक्त प्रवाह में गड़बड़ी, भ्रूण में धमनियों की गड़बड़ी आदि है.

सन् 1971 में लंदन के राॅयल कालेज आफ फिजिशियन के ब्रिटिश फार्मा कोलीजिस्ट जाॅन आर वेन ने Aspirin (एस्प्रिन) पर विशेष अन्वेषण किया. वेन ने सेलीसाइलिक एसिड के रसायनिक प्रभाव और शरीर पर होने वाले प्रभाव और लाभ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में प्रोस्टेग्लैंडिन्स नामक एक रसायन ऊतक का निर्माण होता है. यह रसायन शरीर की पाचन क्रिया, रक्त संचार, चोट के कारण रक्त निकलने पर थक्के बनाना, मांसपेशियों मंे हरकत करना जैसे जैविक क्रिया में संलग्न रहता है. यदि प्रोस्टेग्लैंडिन्स का शरीर में  अधिक मात्रा में निर्माण होने लगे तो बुखार सूजन तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाती है.

Read This :-

वेन ने अपने अनुंसंधान में पाया Aspirin (एस्प्रिन) प्रोस्टेग्लैंडिन्स की मात्रा को कम कर देता है. वेन का यह महत्वपूर्ण खोज एस्प्रीन के लाभ के बारे में एक मील का पत्थर साबित हुई. इस महत्वपूर्ण खोज के लिए वेन को सन् 1982 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

Aspirin (एस्प्रिन) के लाभ के बारे में आज भी लगातार शोध जारी है. इस पुरानी दवा से अन्य बीमारियों के इलाज की संभावनाओं का पता लगाने के लिए पूरे विश्व में अनेक वैज्ञानिक लगे हुए है. आक्सफोर्ट विश्वविद्यालय में शोध करने वाली एक टीम ने खोज कर बताया, Aspirin (एस्प्रिन) दिल के दौरे के लिए काफी लाभदायक हो सकती है. चिकित्सकों की एक टीम ने 17 हजार हृदय रोगियों पर परीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला कि यह दवा रक्त के थक्का बनने से रोकने के क्षमता रखता है. जिससे दिल का दौरा टाला जा सकता है.

वैज्ञानिकों का कहना है पूरे विश्व में कार्डियोवेस्कुलर बीमारी से सबसे अधिक मौतें होती है. Aspirin (एस्प्रिन) के इस्तेमाल से एक लाख से अधिक मौतों को रोका जा सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कार्डियोवेस्कुलर, केरेब्रोवेस्कुलर तथा मायोकाडिर्यल इन्फ्रेक्शन से पीड़ित रोगी एस्प्रीन का नियमित इस्तेमाल करने से रोगियों की जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है.

Aspirin (एस्प्रिन) रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित करता है. हाल ही में किए गये एक अनुसंधान से पता चला है कि रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाने पर आंखों की रक्तवाहनियों को नुकसान पहुंचाता है. जिसक वजह से मोतियां बिंदु की शिकायत उत्पन्न हो जाती है. मोतियांबिंदु जो आंखों के अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है. एस्प्रीन इसकी रोकथाम में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकता है.

Read This :-


इतने अधिक और महत्वपूर्ण होने के बावजूद Aspirin (एस्प्रिन) अनेक समय विवादों में भी रहा. आज एस्प्रीन को दिल के रोगियों को लाभदायक बताया जा रहा है. एक समय ऐसा था जब एस्प्रीन को डाक्टरों ने दिल के मरीजों के लिए खतरनाक बताया था. Aspirin (एस्प्रिन) के इस्तेमाल से पेट की जलन, अल्सर, रक्तस्त्राव की समस्या के चलते अनेक डाक्टरों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया था. बाद में खोज में पता चला कि Aspirin (एस्प्रिन) की अनियमित खुराक के कारण रोगी को ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाती थी. डाक्टरों द्वारा एस्प्रीन को ब्रेन टूयमर, ब्रेन कैंसर, ब्लड कैंसर जैसे बीमारियों का जन्मदाता भी बताया गया था.

जो भी हो Aspirin (एस्प्रिन) की खोज के 100 साल से अधिक हो गये है. 22 हजार से अधिक वैज्ञानिक Aspirin (एस्प्रिन) के गुण के बारे में खोज कर चुके है. लाखों डाक्टर Aspirin (एस्प्रिन) को आजमा चुके है. आज भी Aspirin (एस्प्रिन) के गुण के बारे में लगातार अनुसंधान जारी है. जर्नलआॅफ मेडिसीन, इंग्लैण्ड में छपी Aspirin (एस्प्रिन) के सबसे नवीनतम खोज में पता चला है कि शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद देने में एस्प्रीन काफी क्षमता होती है. रिर्पाट के अनुसार यह खोज इतिहास की सबसे चैंका देने वाली खोज है. (Copyright “Today India News 24”)

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

cyber crime : Beware of online offers | ऑनलाइन ऑफर से सावधान

How to overcome the halitosis problem | सांस की बदबू इसे हल्के में ना लें

Hindi Crime Story : दसवीं पास युवक के शोभराज बनने की रोमांचक कथा