Crime Story : Psycho killer | साइको किलर, खूबसूरत युवती को देखते ही उस पर हो जाता था मर्डर का जुनून #2

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#2 साइको रेपिस्ट किलर, खूबसूरत युवती को देखते ही उस पर हो जाता था मर्डर का जुनून



पिछले अंक में आपने पढ़ा टांडा जब भी किसी खूबसूरत युवती को देखता उसकी रगो में खून दौड़ने लगता था. उस युवती को जब तक वह पा नहीं लेता उसका गर्म खून ठंडा नहीं होता. इसके लिए उसे कुछ भी क्यों ना करना पड़े. इसी चक्कर में वह पांच जनों की हत्या कर चुका था. छठवे मर्डर की जांच के लिए एक वृध्द महिला द्वारा आवेदन दिया था.



उस वक्त तक पुलिस ने टांडा को कोर्ट में पेश कर जेल भेंज दिया था. इस आवेदन को पढ़कर पुलिस को बात सही लगी थी. उसे अनुमान था, साइको किलर टांडा ने पांच मर्डर के अलावा भी और भी मर्डर किए होंगे.



कोर्ट में टांडा की रिमांड के लिए आवेदन दिया गया. कोर्ट द्वारा इसे रिजेक्ट कर दिया गया. एसपी. मनोज चुप नहीं बैठे. वे आवेदन पर आवेदन देते रहे. पांचवीं बार में जाकर उनको अनुमति मिल गई. अब आगे..........




टांडा दूर गांव से इस शहर में आकर रह रहा था. उसकी उम्र 30 साल की हो चुकी थी. उसकी अभी शादी नहीं हुई थी. पिछले कुछ सालो से इसी शहर में रह कर वह गार्ड की नौकरी कर रहा था. पुलिस द्वारा जांच में पता चला कि टांडा बचपन से ही काफी बदमाशा और शातिर किस्म का था. उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. वह आवारो की तरह इधर उधर घुमता रहता था. लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने की उसकी आदत बन गई थी. पिता उसकी इस आदत से परेशान थे. उसके पिता ने मार-मार कर उसे सुधारने की कोशिश की पर उसे सुधार नहीं सकें. जब भी उसकी शिकायत मिलती उसके पिता उसकी खूब पिटाई करते. आखिर में टांडा एक दिन घर छोड़कर भाग गया. वह काफी दिनों तक यहां वहां कई छोटे बड़े शहरों में घुमता रहा. पिछले कुछ समय से वह इस शहर में रह रहा था. उसकी उम्र हो चली थी. उसकी शादी नहीं हुई थी.



जब भी वह कोई रोमांटिक फिल्म देखता उसकी नसों में गर्म लावा बहने लगता. वह अपने आप को किसी तरह से संभालता. उस वक्त उसके रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो जाता थी. गांव से दूर अकेला रह रहा था. वह शादी कैसे करें. यहां उसका कोई नहीं था. धीरे-धीरे उसे सब कुछ बेकार लगने लगा था. किसी काम में मन नहीं लग रहा था. वह कुछ दिन काम पर जाता और कुछ दिन नहीं जाता था. उसकी हरकतों की वजह से उसे काम से निकाल दिया गया.



इस बीच उसने एक दिन पारी को देखा तो देखता ही रह गया. उस वक्त उसकी नसों में गरम खून दौड़ने लगा था. वह उसके आसपास मंडराने लगा. मार्केट में होने की वजह से उसे ऐसा कोई मौका नहीं मिला. वह उसका पीछा करता रहा. पारी शाम होने के पहले घर पहुंच चुकी थी. टांडा वहीं आसपास रात होने का इंतजार करने लगा.



पारी इस सरकरी बंगले में अकेली रहती थी. मौका मिलते ही वह पीछे की बाउंडरी लांघ कर बंगले के अंदर घुस गया. पीछे का दरवाजा खुला हुआ था. पारी अपना काम कर रही थी. नजर बचा कर टांडा पारी के कमरे के अंदर घुस गया. पारी ने खाना बनाया, खाना खाया. सोने की तैयारी करने लगी. मोबाइल पर गाना सुनते हुए वह सो गई. अचानक उसने महसूस किया कि कमरे के अंदर कोई है. लाइट जला कर देखा. उसके कमरे में एक युवक खड़ा था. डर के मारे उसके मुंह से चीख निकल आयी. चीख बाहर निकल पाती टांडा ने मुंह दबा दिया. टांडा ने उससे कहां अगर उसने कहां नहीं माना तो वह कुछ भी कर सकता है. पारी ने उसकी एक ना सुनी. वह अपने मुंह पर से टांडा के पंजों को हटाने का प्रयास करती. साथ में चीखने की कोशिश भी कर रही थी.


टाडा उसे समझा रहा था. पर वह मान नहीं रही थी. टांडा समझ चुका था. उसने यदि पारी का मुंह छोड़ा तो वह चीख-चीख कर आसपास के लोगों को जमा कर लेगी. ऐसे में उसके लिए आफत है. टांडा ने उसके गर्दन पर दवाब देकर उसकी हत्या कर दी. पारी का शरीर ठंडा हो चुका था. पर टांडा के अंदर का लावा अभी पिघला नहीं था. उसने पारी के ठंडे शरीर से अपनी वासना को शान्त किया और वहां से चला गया.



अगले दिन पुलिस आयी. जांच करने के बाद उसके हाथ कोई भी क्लू नहीं लगा. कई दिन बीत गए. शहर में पुलिस के खिलाफ आवाज उठने लगी. पुलिस पाखी के हत्यारे की तलाश में दिनरात एक कर दिया था. हत्यारा उसकी गिरफ्त से दूर था. पांचवे दिन शहर के लोगों ने पुलिस के खिलाफ जुलूस निकाला. इस जुलूस में टांडा भी शामिल था. पारी का हत्यारा पुलिस की नाक के नीचे घुम रहा था. पर पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी.



पुलिस को जब कुछ समझ में नहीं आया तो उसने दसवें दिन पारी के बाॅयफ्रेंड को गिरफ्तार कर जेल भेंज दिया. पारी के बाॅयफ्रेंड को जेल भेंज कर पुलिस दूसरी मुसीबत में फंस गई. क्योंकि पारी का बाॅयफ्रेंड शहर में काफी लोकप्रिय था. वह सोशल काम में आगे रहता था. शहर में पुलिस का लगातार विरोध हो रहा था. आखिर में पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले को शान्त करने के लिए स्थानीय पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया उसके स्थान पर तेज तर्रार पुलिस अधिकारी मनोज को भेंज दिया.


पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पहले वह कृषि अधिकारी युवती की हत्या का बात नकारता रहा पर पुलिस पूछताछ के आगे उसकी नहीं चली आखिर में उसने हत्या की बात स्वीकार कर ली. उसने बताया सभी हत्याएं अपनी पसंद की युवती से संबंध बनाने के लिए किया था. उसने जब इन युवतियों को देखा था, उसकी नसों में गरम लावा बहना शुरू हो गया था. वह किसी भी तरह से शांत होने का नाम नहीं ले रहा था. जब उसने उनके साथ संबंध बनाया तब जाकर वह शांत हुआ.



एक मामले में कुछ गलती कर गया. एक दिन एक महिला की हत्या के बाद संबंध बनाकर आते वक्त उसने महिला के बदन पर सोने के आभूषण देखे तो लालच आ गया. आते-आते वह उन्हें उतार कर ले आया. उसने उन आभूषणों को लंबे समय तक अपने पास छुपा कर रखा था. कहते है जब सियार की मौत आती है वह शहर की ओर भागता है. ऐसा ही कुछ टांडा्र के साथ हुआ.



जब तेजतर्रार एसपी मनोज अपने दलबल के साथ इस मामले की पूछताछ में लगे थे उस वक्त टांडा ने अपने एक दोस्त के माध्यम से एक ज्वैलरी विक्रेता से सोना बेचने के लिए सम्पर्क किया. ज्वैलर ने सोना तो नहीं खरीदा पर इस बात की जानकारी पुलिस को दे दी. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने टांडा पर निगाह रखना शुरू कर दिया. पुलिस को उसकी कुछ गतिविधियां संदिग्ध लगी. एक आम व्यक्ति और हत्यारे के आम जिंदगी में काफी फर्क होता है. जहां आम व्यक्ति निश्चिंत होकर रहता है. वही हत्यारा हमेशा डर-डर कर रहता है. उसकी यही बौडी लैग्वेंज पुलिस की पकड़ में आ गयी. आखिर में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी और उसके हाथ एक साइको किलर लग गया.


एसपी मनोज का कहना है अपराधी कितना भी चालाक क्यों ना हो एक ना एक दिन वह कानून की गिरफ्त में आ ही जाता है. दो साल से अधिक समय तक टांडा कानून की नजरों से भले ही बचता रहा पर कानून की नजरों से वह हमेशा के लिए बच नहीं पाया. (कथा काल्पनिकता पर आधारित है. नाम व स्थान काल्पनिक है ) (Copyright: All Rights dr. mk mazumdar)

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