Inhuman story : महिलाओं के साथ क्रूर व अमानवीय यातनायें
Inhuman story : महिलाओं के साथ क्रूर व अमानवीय यातनायें |
दुनिया के कुछ देशों में आज भी महिलाओं को क्रूर यातनाओं का शिकार होना पड़ता है संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार दुनिया कुछ इस्लामिक देशों में लड़कियों की खतना करने की प्रथा हैं। जिसकी वजह से वहां की महिलाओं और बच्चिओं को खतना की यातना से गुजरना पड़ता हैं।
Inhuman story : महिलाओं के साथ क्रूर व अमानवीय यातनायें - संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला आयोग के अनुसार दुनिया के अधिकतर कुछ देशों में लड़कियों की खतना करने की प्रथा हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार दुनिया में वहां की महिलाओं और बच्चिओं को खतना की यातना से गुजरना पड़ता हैं।
खतना प्रथा में लड़की के अंग में एक खास तरह के औजार डालकर नारी लघु शिशिनका (क्लाइटोटिस) को काट कर निकाल दिया जाता हैं। इससे भंयकर खून बहता है। कई बार क्लाइटोटिस के साथ जननांग का काफी हिस्सा काट कर हटा दिया जाता है।
ऐसा करने के पीछे उद्धेश्य यह है कि इससे नारी उत्तेजना व कामुकता खत्म हो जायेगी. क्योंकि क्लाइटोटिस को उत्तेजक अंग माना जाता है। अनेक देशों में खतना के अलावा योनि की सिलाई (स्टीचिंग) का भी चलन है।
महिला को असहनीय कष्ट
खतना से गुजरने वाली महिला को असहनीय कष्ट होता है। आठ से नौ वर्ष की उम्र में लड़की का खतना किया जाता है। खतना करने वाली महिलायें (कहीं-कहीं पुरूष भी लड़कियों का खतना करते हैं।) किसी भी तरह के प्रशिक्षण हासिल की नहीं होती हैं.
खतना करने के लिए घरेलू चाकू-छुरी आदि का ही इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से संक्रमण का भय रहता है। संक्रमण की वजह से हर साल लाखांे लड़कियां काल के गाल में समा जाती है।
विवाहोपरान्त जब पुरूष लंबे समय के लिए घर से बाहर नौकरी के लिए जाता है। उस वक्त पत्नी को दुसरी अत्यंत अमानवीय यातना से गुजरना पड़ता है। उस वक्त पुरूष अपनी आंखो के सामने अपनी पत्नी के योनि को सिलवा कर जाता है।
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महिला का जीवन नकमय
जिससे उसकी पत्नी किसी दुसरे पुरूष के साथ यौन संबंध बना न सकें। पत्नी यह टाके पति के आने के बाद ही खोल सकती है। अकुशल हाथों से की गयी सिलाई की वजह से अनेक बार टांके पक जाते हैं।
फलस्वरूप उसमें मवाद भर जाते हैं. ऐसी स्थिति में उस महिला का जीवन नकमय हो जाता है। पत्नी के पास करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है।
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लड़कियों के खतना, योनि की सिलाई जैसी जघंनय व अमानवीय प्रथा दुनिया के अधिकतर मुसलिम देशों में जारी है। जिसमें अफ्रीका के अलगभ 28 देश सूडान, चाड, सियरा, ल्योन, दिजिबोती आदि देशों में इस प्रथा को जश्न जैसा माहौल में मनाया जाता है।
प्रथा को खुशियों के रूप में
ढोल-मंजीरे के आवाज में अबोध की चीख दब कर रह जाती है। लोग खुशियां मनाते हुये झुमते और गाते रहते हैं। इनके अलावा सऊदी अरब, यूरोप, उत्तर अमेरीका, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्राजील, कांगो, कजाकिस्तान, तुर्कीस्तान आदि देशों में इस प्रथा को खुशियों के रूप में मनाते हैं. यह सब गांव के खास लोगों की मौजूगी में किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ में महिला आयोग द्वारा लड़कियों के खतना करने जैसे वीभत्स परंपरा पर रोक लगाने की मांग की है। आयोग ने इस परंपरा का निर्वाह करने वाले देश की सरकार को पत्र लिखकर इस क्रूर परंपरा पर रोक लगाने की मांग की है।
इनके अलावा जबरन विवाह, बहु पत्नी प्रथा, कुत्तों के बीच मुकाबलों में महिला को पुरस्कार के रूप में रखना जैसे अमानवीय परंपरा को भी खत्म करने की बात कहीं गयी है।
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बाल विवाह जैसी बुराई
इस देशों में बाल विवाह जैसी बुराई भी है। अनेक अफ्रीकी देशों में 10 से 12 साल की उम्र में लड़की की शादी कर दी जाती है। लड़के की उम्र लड़की से दुगुनी होती है। मासूम उम्र में जब लड़की को सेक्स के बारे में कुछ मालूम नहीं होता है।
उस उम्र में उसका पति उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाने लगता हैं। लड़की के लिए पहली रात किसी भयानक रात से कम नहीं होती. आज अधिकतर देशों की सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगा रखा हैं. कुछ देश हैं जहां बाल विवाह को मान्यता मिली हुयी हैं, जो कि मासूमों के साथ अत्याचार है।
अधिकतर अफ्रीका देशों में बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन है। अफ्रीकी समाज के पुरूष केवल अपनी यौन संतुष्टि के लिए कई-कई शादियां करते हैं. पति शादी करके एय्याशी करते हैं। पत्नी खेतों और जंगलों में काम करती है।
वहां के पुरूष इसे अपना अधिकार मानते हैं। यही नहीं कुछ देशों में पुरूष महिला को निवेश मानते हैं। पत्नी को वस्तु और मुद्रा के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।
स्त्री पुरूा के हाथों की खिलौना
पत्नी को किसी के हाथ बेच देना, उसके बदले किसी चीज को ले लेना किसी को उपहार में देना आम बात है। स्त्री पुरूा के हाथों की खिलौना बनी एक से दुसरे पुरूष के पास पहुंचती रहती है। हर पुरूष हिसाब से उसे इस्तेमाल करता रहता है।
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पुरूष प्रधान समाज में स्त्री इन क्रूर प्रथा के चंगुल में फंसी है। कोई भी स्त्री किसी भी पुरूष या प्रथा के खिलाफ विरोध करने की हिम्मत नहीं हैं।
पाकिस्तान और अरब देशों में कुछ इलाकों में कुत्तों के बीच मुकाबलों में किसी महिला को पुरस्कार के रूप में रखा जाता हैं। प्रभावशाली लोगों द्वारा यह गेम खेला जाता है।
हारने वाला व्यक्ति जीतने वाले व्यक्ति को अपने गांव की किसी महिला या खरीदकर लायी गयी महिला को इनाम में देता है। गांव की महिला के घर में कोई महिला या पुरूष विरोध करता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है। दिन के खेल के बाद रात को जश्न मनाया जाता हैं. शराब और शबाब के साथ नाच गाने धूम धड़ाके के बीच जीती गयी महिला के साथ जबरन बलात्कार किया जाता है।
विरोध की चीख को सुनकर
उसके विरोध की चीख को सुनकर किसी का दिल नहीं पसीजता है। रात भर में उस महिला को अनेक पुरूषों के हवस का शिकार बनना पड़ता है। अनेक महिला यह सब बर्दास्त नहीं कर पाती है। वह मर जाती हैं. जो बच जाती हैं. आत्महत्या कर लेती है।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में महिलाओं को इनाम में देने की इस परंपरा के खिलाफ अनेक बार आवाजे़ उठी लेकिन आज तक इस जघन्य प्रथा पर रोक नहीं लगाया जा सका। पाकिस्तान के महिला संगठन ‘वीमेन लिविंग अन्डर मुस्लिम लाॅ’ द्वारा इस प्रथा के खिलाफ लगातार आवाज़ उठाया जा रहा है।
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पाकिस्तान में महिलाओं के साथ कट्रपथियों का रवैया बिलकुल अच्छा नहीं है। महिलाओं को वहां पर खराब और बेकार की चीज़ समझी जाती है। पाकिस्तान में जनरल जिया उलहक के जमाने में 1979 में बनाये गए हदूद कानून जिसे इस्लामिक जिन्ना कानून भी कहा जाता है।
महिलाओं को परेशान
इस कानून की आड़ में महिलाओं को परेशान किया जाता हैं. इसके अन्तर्गत बलात्कार को साबित करने के लिए एक महिला को चार गवाह पेश करने पड़ते है। जब वह कर नहीं पाती है तो उसे बदचलन करार दिया जाता है।
उस पर कोड़े बरसाये जाते हैं या पत्थरों से मारा जाता हैं. अदालत द्वारा बलात्कारी करने वाले पुरूष पर कोई कारवाही नहीं की जाती है।
साइबर युग में अनेक देशों की महिलायें आज भी नर्क जैसी जिंदगी यापन कर रही हैं। यह जानकर बड़ा दुख होता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इन अमानवीय और क्रूर प्रथा के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है।
हो सकता है, आने वाले दिनों में महिला खुली हवा में सांस ले सकेगी. यह उम्मीद की जा रही है। (काॅपीराइट टूडे एण्ड टुमारो फीचर)
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