Crime Story Hindi : best detection story | ICU | dr. mk mazumdar | India Today News
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Crime Story Hindi : best detection story | ICU | dr. mk mazumdar | India Today News | आईसी यू
यह घटना उन दिनों की है जब मैं ताड़देव पुलिस स्टेशन में पोस्टिंग था. पुलिस को सूचना मिली की सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडिम के पास एक 35-40 साल के उम्र का व्यक्ति घायल अवस्था में पड़ा है. सूचना मिलते ही मैं पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गया. घटनास्थल जो बताया गया था उस स्थान पर कोई नहीं था. घटनास्थल का बारिकी से निरीक्षण करने पर उस स्थान पर काफी मात्रा में खून पड़ा हुआ दिखाई दिया. इस बीच पुलिस कंट्रोल रूम में पता चला कि घायल को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. उसकी हालत काफी गंभीर है.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस के साथ सीधे अस्पताल पहुंच गया. वहां जाने पर पता चला घायल व्यक्ति आईसी यू में है. डाॅक्टर से सम्पर्क करने पर उन्होंने बताया, घायल की हालत काफी गंभीर है. धारदार हथियार से उस पर वार किया गया है. उसके गले पर गहरा घाव है. गले की कई खास नसें कट गई है. घाव से काफी मात्रा में ब्लड बह जाने से उसकी हालत नाजुक बनी हुई है. उसकी सांसें कभी भी रूक सकती है.
मैंने डाॅक्टर से रिक्वेस्ट किया कि घायल की हालत गंभीर है. ऐसे मंे उसका आखिरी बयान लिया जा सके जिससे उसे घायल करने वाले तक पुलिस पहुंच सके. डाॅक्टर ने मुझ से कहा, घायल इस अवस्था में नहीं है कि वह कुछ बता सके. दुसरी बात यह है कि आईसीयू मंे उसका इलाज चल रहा है. वह जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहा है. डाॅक्टर उसे बचाने में लगे है. ऐसे मंे हम आपको उससे पूछताछ करने कैसे दे सकते हैं.
मैंने डाॅक्टर से पूछा, आपके अनुसार मृतक के बचने की कितनी उम्मीद है.
‘‘देखिए यह कहना मुश्किल है. हमारे हिसाब से एक परसेंट भी नहीं है, लेकिन ईश्वर ने चाहा तो कोई चमत्कार हो जाएं तो कह नहीं सकते.’’
‘‘ऐसे में मान लें, घायल की मृत्यु होने के पहले उसे किसने मारा इस बारे में वह यदि बता दे तो मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति जरूर मिल जाएगी.’’
डाॅक्टर को मेरी बात समझ में आ गई. डाॅक्टर ने घायल से बात करने के लिए मौका दे दिया. आईसीयू के अंदर डाॅक्टरों की टीम उसे बचाने में लगी हुई थी. यह अच्छी बात थी कि घायल व्यक्ति होश में था. हमने उसके पास जाकर उसका नाम पूछा तो उसने कुछ नहीं बोला. पहले हमने अनुमान लगाया गूंगा व बहरा होगा. उसने हाथ के इशारे से कहां, वह बोल नहीं पा रहा है. डाॅक्टरों ने भी बताया उसके गले की कोई नस कट जाने की वज़ह से उसकी आवाज चली गई है.
घायल व्यक्ति सुन पा रहा था. इस पर मैंने उससे नाम पूछना शुरू किया. मैंने उससे कहा, जो नाम सही हो वह अपनी अंगुली उठा कर इशारा करें. व्यक्ति कदकाठी से मुस्लिम लग रहा था. इसलिए मैंने मुस्लिम नाम लेना शुरू किया. हर नाम के बाद रूक कर उसके इशारे का इंतजार करता.
अब्दुल... नहीं.... शायिद.... नहीं..... शामी..... नहीं..... जहिर..... नहीं..... इमरान.... नहीं..... सलमान...... नहीं...... एक के बाद एक नाम मैं बोलता जा रहा था, पर उसका जवाब नकारात्मक आ रहा था. इन पूछताछ के बीच कभी कभी उसकी हालत गंभीर हो जाती. ऐसा लगता वह कौमा में चला गया है. थोड़ी देर बाद वह कौमा से फिर लौट आता. सौ से ज्यादा नाम गिनाने के बाद जब मैंने फहिम शेख कहा तो उसकी आंखों में चमक आ गई. उसने बड़े ही उत्साह के साथ अंगुली से इशारा किया, उसका यहीं नाम है.
नाम की सफलता मिलने पर मेरा भी उत्साह बढ़ा. अब पता लगाना था, वह रहने वाला कहां का है. हमने पहले हार्बर लाइन से स्टेशन का नाम लेकर पूछना शुरू किया. सेंट्रल लान का बांद्रा स्टेशन का नाम लेने पर उसने इशारा किया कि वह बांद्रा का रहने वाला है. बांद्रा में वह ईस्ट में रहता था, पता चल गया. उसकी हालत देखकर यह पता चल रहा था वह बांद्रा ईस्ट के झोपड़पट्टी इलाके लाल मिट्टी का रहने वाला है. हमने उसी वक्त पुलिस की एक टीम लाल मिट्टी में फहिम शेख के घर का पता लगाने के लिए भेंज दिया.
झोपड़पट्टी इलाके में सिर्फ नाम से किसी के बारे में पता लगाना भूसे में सुई ढुढ़ने से कम नहीं है, पर इस मामले में मुंबई पुलिस भी कम एक्सपर्ट नहीं है. उधर पुलिस फहिम शेख के परिवार को ढुढ़ने में लगी थी, इधर घायल फहिम से पूछताछ जारी थी. मैं उससे एक के बाद एक सवाल पूछने में लगा था. वह क्या काम करता है.
कसाई..... नहीं.... मजदूरी.... नहीं.... कारपेंटर..... नहीं..... माली..... वाॅचमैन.... नहीं...... मिस्त्री..... नहीं..... 25-50 काम के बारे में पूछने के बाद उसने बताया वह खानशामा का काम करता है. वह माहिम के एक होटल में खानशामा का काम करता था.
पुलिस की एक टीम को तुरंत माहिम के उस होटल के लिए भेंजा गया. पुलिस की टीम कुछ ही समय में होटल के मालिक को लेकर वहां पहुंच गई. उसने घायल की पहचान फहिम शेख के रूप में की. उसने बताया फहिम उसके यहां पिछले कई सालों से खानशामा का काम कर रहा है. वह बड़ा ही शरीफ, ईमानदार और कर्मठ व्यक्ति है. उसने अपने मोबाइल से फहिम शेख की बीबी को सूचना देने के लिए मोबाइल में नंबर डायल किया.
इतने में पुलिस की टीम फहिम शेख की बीबी को लेकर वहां पहुंच गई. फहिम की हालत देखकर उसकी बीबी जोरजोर से रोने लगी. बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया गया. उसके चुप होने पर फहिम ने अपनी बीबी को इशारे से बताया कि उसने जो घड़ी पहनी है, जिसने उसे दी थी, उसी ने उसे घायल किया है.
फहिम की बीबी ने बताया, फहिम ने जो घड़ी पहनी है, वह उसके दोस्त मिठू ने उसे दिया था. मिठू, फहिम का दोस्त भी था. वह अक्सर उसके घर पर आया करता था. वह हमारी बेटी की शादी को लेकर परेशान कर रहा था. कुछ दिनांे पहले उसने एक लड़के से बेटी की शादी की बात चलायी थी, लेकिन फहिम को वह लड़का पसंद नहीं था.
वजह थी लड़का आवारा था. वह कोई काम नहीं करता था. उस पर कई मामले भी दर्ज थे. ऐसे में हम उससे अपनी बेटी की शादी नहीं देना चाहते थे. फहिम ने मिठू को साफसाफ मना कर दिया था. इस बात से मिठू काफी नाराज था. वह उसे देख लेने की धमकी भी दे गया था.
इसके बाद से उसने हमारे घर पर आना बंद कर दिया था. जब भी रास्ते में फहिम की उससे मुलाकात होती थी वह गुस्सैल आंखों से उसे देखता था. इतनी जानकारी मिल जाने के बाद पुलिस मिठू को गिरफ्तार करने उसके वहां पहुंच गई. इतने में पता चला कि फहिम की सांसें रूक गई थी. उसने अंतिम सांस तक अपने हत्यारे के बारे में पुलिस को बताने में सफल रहा.
मुंबई पुलिस का कारनामा देखकर अस्पताल के डाॅक्टर ताज्जुव मंे रह गए. एक समझदार पुलिस इंस्पेक्टर ने जिस तरह से घायल व्यक्ति, जो बोल नहीं पा रहा था, उससे नाम, पता, काम धंधा पूछ लिया और हत्यारे तक भी पहुंच गई. यह केस मेरे द्वारा डिटेक्ट किए गए खास केस में से एक है.
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