Crime Story in Hindi : काॅलेज गर्ल ने की फेसबुक से फ्रेंड्शीप
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काॅलेज गर्ल ने की फेसबुक से फ्रेंड्शीप |
Crime Story in Hindi : काॅलेज गर्ल ने की फेसबुक Facebook से फ्रेंड्शीप। फ्रेंड्स ने उसके जो किया वह था चैंकाने वाला
राजधानी भोपाल Bhopal में चेतक ब्रिज के पास बसे गौतम नगर और रचना नगर नाम का एक इलाका ऐसा भी है जहां सुबह के समय सड़कों पर बुजुर्ग लोगों के बजाएं युवा लड़के-लड़कियां Boys and girls सैर करते नजर आते हैं. यह युवाओं में हेल्थ के प्रति क्रेज नहीं है, बल्कि आजकल के अधिकांश लड़के-लड़कियां Boys and girls सुबह की शुरुआत गर्लफ्रेंड-बाॅयफ्रेंड Girlfriend-boyfriend के स्वीट टच से करने का चलन हो गया है. यहीं है युवाओं के मार्निंग वॉक का राज है.
20 जून की सुबह होते ही रचना नगर की सड़कों पर स्वीट टच के चहेतों की भीड़ सड़क पर बढ़ने लगी थी. ऐसे मे सड़क के किनारे लगभग 20 साल की युवती को पड़े देखकर लोगों की हलचल बढ़ गई. उस जवान युवती के शरीर पर नाम मात्र के कपड़े थे. भीड़ बढ़ने लगी. लोग तरह-तरह कर बातें कर रहे थे. रचना नगर इलाके में हजारों की तादाद में बाहर से भोपाल में पढने आए युवक-युवती रहते हैं.
इतने में भीड़ से किसी ने युवती को पहचान लिया. अरे, यह तो बिंदिया है. पास में एक मकान में किराए से अकेली रहती है. कहना नहीं होगा कि शोर मचा आसपास कमरों ने निकल कर अनेकों लड़के-लड़किया स्टुडेंट Students निकल वहां पहुंचे. कुछ लड़किया उसे पहचान गई थी. जो जल्द ही उसे उठाकर अपने कमरे पर ले गई जहां पानी के छिटें मारने से थोड़ी देर बाद उसकी सुध लौटी तो वह हथेलियों में अपना मुंह छुपा कर रोने लगी.
इतने में भीड़ से किसी ने युवती को पहचान लिया. अरे, यह तो बिंदिया है. पास में एक मकान में किराए से अकेली रहती है. कहना नहीं होगा कि शोर मचा आसपास कमरों ने निकल कर अनेकों लड़के-लड़किया स्टुडेंट Students निकल वहां पहुंचे. कुछ लड़किया उसे पहचान गई थी. जो जल्द ही उसे उठाकर अपने कमरे पर ले गई जहां पानी के छिटें मारने से थोड़ी देर बाद उसकी सुध लौटी तो वह हथेलियों में अपना मुंह छुपा कर रोने लगी.
उसके साथ कुछ बुरा हुआ है यह बात तो सब समझ रहे थे लेकिन क्या बुरा हुआ, इसका खुलासा उस समय हुआ जब सुबह लगभग दस बजे बिंदिया ने पास के पुलिस स्टेशन गोविंदपुरा में जाकर दिलीप नाम के एक युवक के खिलाफ अपहरण और मारपीट की शिकायत दर्ज करवाई.
मामला गंभीर था थाना प्रभारी सत्येंद्र कुशवाहा ने घटना की सूचना तत्काल एसपी साउथ राहुल लोढ़ा को देने के बाद एसआई रमेश राय को जांच की जिम्मेदारी सौंप कर उनके नेतृत्व में एक टीम उसी समय दिलीप दांगी की गिरफ्तारी के लिए रवाना कर दिया. शायद बिंदिया के थाने पहुंच जाने की खबर दिलीप को लग चुकी थी. दिलीप भोपाल छोडने की तैयारी कर चुका था. पुलिस इतनी जल्द एक्शन लेगी इस बात का अंदाजा शायद उसे नहीं था. उसके भोपाल से फरार होने के पहले ही एसआई रमेश राय की टीम ने उसे दबोच लिया.
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इसके बाद जो चैकाने वाला मामला सामने आया. वह हैरान कर देने वाला था. फेसबुक के माध्यम से एक गन्ने की चरखी चलाने वाला युवक ट्रांसपोर्ट Transport व्यवसायी businessman बनकर एक कालेज गर्ल College Girl's की अस्मत से खेल रहा था. आगे की कहानी जो इस प्रकार थी.
अपने पिता की इकलौती और लाडली बेटी बिंदिया (काल्पनिक नाम) पास के जिला सिहोर की रहने वाली है. बिंदिया बेहद खूबसूरत और चंचल होने के साथ पढने-लिखने में भी काफी होशियार है. उसके रईस पिता चाहते थे कि बिंदिया एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर उनके परिवार और गांव का नाम रोशन करें. बिंदिया को भी अधिकारी के तौर पर लाल बत्ती लगी गाड़ी में घूमने का शौक था. हाईस्कूल पास करने के बाद वह आगे की पढ़ाई करने भोपाल आ गई. बेटी आरमान से ऊंचे स्तर की अधिकारी बनने के लिए पढ़ाई कर सके, इसके लिए उसके पिता ने उसे किसी गल्र्स हॉस्टल में रहने की बजाए रचना नगर में एक मकान किराए से लेकर दे दिया ताकि वह बिना किसी परेशानी के अपना लक्ष्य हासिल कर सके.
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तीन साल पहले मोना भोपाल आकर अपनी पढ़ाई में जुट गई. सब कुछ ठीक चल रहा था. सिवाए इस एक बात के दूसरे युवक-युवतियों की तरह बिंदिया को भी फेसबुक Facebook पर नए-नए दोस्त Friend बनाने और उनसे देर रात तक चेटिंग करने का शौक लग गया. इस बीच साल भर पहले दिलीप सिंह दांगी नाम के युवक ने बिंदिया को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी तो अपनी आदत के मुताबिक बिंदिया ने न केवल उसे अपना फेसबुक फ्रेंड Facebook Friend बना लिया बल्कि उससे चेटिंग भी शुरू कर दी. बस इसके बाद से दिलीप ने बिंदिया के चारों तरफ अपना जाल बुनना शुरू कर दिया.
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दिलीप ने खुद को बिंदिया के गांव के पास स्थित एक गांव का रहने वाला बताकर दगाबाजी की शुरुआत की। उसने बिंदिया को बताया कि उसकी ट्रांसपोर्ट कंपनी है जिसकी कई बसें अलग-अलग रूट पर चलती हैं. बिंदिया इससे काफी प्रभावित हुई. इसके बाद मोना उस समय दिलीप की मुरीद हो गई जब उसने बताया कि वह चुनाव में सभी पार्टियों को चंदे के तौर पर बड़ी रकम देता है. जिसकी वजह से उसके कई नेताओं से अच्छे संबंध हैं. जरूरत पडने पर वह सरकारी नौकरी के लिए अपना सोर्स भी लगा देगा. मोना ऐसे दोस्त को हाथ से नहीं जाने दे ना चाहती थी. धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती Friendship बढ़ती गई.
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वास्तव में दिलीप काफी घाघ किस्म का युवक था. वह गर्म खाकर जीभ जला बैठने के बजाय खीर को ठंडी करके खाने वाला आदमी था. उसने बिंदिया से मिलने की जल्दबाजी नहीं दिखाई. जब उसने देखा कि बिंदिया पूरी तरह से उसके ऊपर फिदा हो चुकी है. उसे चंगुल में फंसाने के लिए चाल चलना शुरू कर दिया. उसने एक दिन बिंदिया से मिलने की इच्छा जाहिर की. इस पर बिंदिया ने उसे निराश नहीं किया तथा रचना नगर में अपने घर का पता देकर उसे शाम के खाने पर बुला लिया.
दिलीप को तो इसी मौके की तलाश थी. वह शाम होते ही बोदका की एक बॉटल साथ में लेकर बिंदिया के कमरे घर पहुंच गया. दिलीप के हाथ बोदका की बोतल देखकर बिंदिया चैक गई. अगले ही पल उसका भरोसा दिलीप पर और भी बड़ गया जब उसने कहा कि शराब की बोतल इसलिए साथ लाया हूं क्योंकि तुमने आज तक मुझसे पूछा नहीं इसलिए मैंने बताया नहीं कि मैं बोदका पीता हूं.
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मुझे लगा कि हमारी दोस्ती के इस मौके पर तुमसे कोई भी बात छुपी नहीं होनी चाहिए. इसलिए बोदका की बोतल लेकर आया. उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर. बिंदिया, दिलीप की ईमानदारी की कायल हो गई. पहली मुलाकात में उसने दिलीप को अपने साथ बैठकर बोदका पी लेने के इजाजत दे दी. दीपक की चाल कामयाब रही थी. क्योंकि वह जानता था कि जो लड़की आज सामने बैठाकर किसी लड़के को थोड़ी या ज्यादा पीने की इजाजत दे सकती है. वह और भी कुछ मांगने पर ना नहीं करेगी. तुरंत तैयार हो जाएगी.
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मुझे लगा कि हमारी दोस्ती के इस मौके पर तुमसे कोई भी बात छुपी नहीं होनी चाहिए. इसलिए बोदका की बोतल लेकर आया. उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर. बिंदिया, दिलीप की ईमानदारी की कायल हो गई. पहली मुलाकात में उसने दिलीप को अपने साथ बैठकर बोदका पी लेने के इजाजत दे दी. दीपक की चाल कामयाब रही थी. क्योंकि वह जानता था कि जो लड़की आज सामने बैठाकर किसी लड़के को थोड़ी या ज्यादा पीने की इजाजत दे सकती है. वह और भी कुछ मांगने पर ना नहीं करेगी. तुरंत तैयार हो जाएगी.
पहली मुलाकात के बाद दिलीप अक्सर रोज शाम को बिंदिया के कमरे पर बोदका लेकर पहुंचने लगा. जल्द ही उसने बिंदिया को भी बोदका पीने की आदत डाल दी. एक दिन नशे के दौरान दिलीप ने बिंदिया के सामने प्रेम का प्रस्ताव रखा. जिसे न केवल मोना स्वीकार कर लिया बल्कि उसी रोज दिलीप के कहने पर गोल्डन नाइट भी मना लिया. उस रात उसे दर्द तो काफी हुआ था पर आनंद भी खूब मिला था. यह आनंद चसके में बदल गया. दोनों रोज मजे लेने लगे. बिंदिया को बोदका की लत चुकी थी. अब दिलीप ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया. शराब के साथ दूसरे खर्च के लिए वह बिंदिया से पैसे वसूलने लगा.
रोज-रोज के शारीरिक संबंध बनने से बिंदिया दीपक के सामने काफी खुल चुकी थी. इस बीच दिलीप ने जब उसके अश्लील वीडियो और फोटो अपने कैमरे में कैद किए तब भी बिंदिया ने उसे ऐसा करने से नहीं रोका.
बिंदिया के पास पैसों की कमी नहीं थी. उसके पापा हर माह उसे मुंह मांगी रकम भेंज देते थे. पर यहां बिंदिया अपने आशिक पर पैसा लुटा रही थी. अब तक सब ठीक चल रहा था. छह महीने पहले की बात है. अचानक एक दिन बिंदिया के सामने दिलीप की सच्चाई खुल गई. उसे यह भी पता चल गया. खुद को ट्रांसपोर्ट व्यवसायी Transport businessman और कई ट्रक-बस Truck-bus का मालिक owner बताने वाला दिलीप गन्ने के रस की चरखी चलाता था. सुबह-शाम वह वैन से स्कूली बच्चों को ढोने का काम भी करता था. बिदिंया को यह भी पता चला कि दिलीप कुंवारा नहीं बल्कि शादीशुदा married है. उसकी पत्नी ने उस पर दहेज प्रताडना और तलाक का केस भी चला रखा है.
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रईस बाप की बेटी जो कलेक्टर था एसपी बनने का सपना लेकर भोपाल पढने आई एक गन्ने की चरखी चलाने वाले की रखैल बनकर रह गई थी. बिदिंया को अपने आप से नफरत होने लगी. उसने अपने आप को संभाला. इस हालत से निकलने के लिए दिलीप से दूरी बनाना उचित समझा. वह उससे दूरी बनाने की कोशिश करने लगी. लेकिन दिलीप सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को ऐसे कैसे अपने हाथ से निकल जाने देता. ज बवह समझ गया बिदिंया उससे दूरी बना रही है. दिलीप ने बिदिंया को खूब डराया धमकाया. उसकी अश्लील फोटो और वीडियो वायरल को कर देने की धमकी देकर उसका यौन शोषण करने लगा.
बिदिंया को अपने आप से घृणा होने लगी थी. वह किसी तरह से दिलीप से दूर होना चाहती थी. उसे दिलीप से अलग होने का पूरी तरह से मन बना लिया था. 19 जून की रात को जब दिलीप ने उसके साथ अय्याशी करने की इच्छा से फोन लगाया, तो मोना ने फोन रिसीव नहीं किया. इस पर दिलीप चिढ गया. उसने कई बार फोन किया पर बिदिंया ने फोन नहीं उठाया. तक दीपक शराब पीकर आधी रात में उसके पास आ धमका. बिदिंया ने दरवाजा नहीं खोला तो उसने किसी तरह से दरवाजा खुलवा लिया. और उसे अपने साथ कार में बैठाकर वहां से ले गया.
दिलीप बिदिंया को कार में इंद्रपुरी के सुनसान इलाके में ले गया जहां उसके साथ जबर्दस्ती संबंध बनाया. इसके बाद चार घंटे उसे कार में यहां-वहां घुमाता रहा और बाद में अर्ध बेहोशी की हालत में रचना नगर स्थित उसके घर के पास फेंक कर भाग गया.
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पुलिस द्वारा दिलीप से की गई पूछताछ में वह अपनी सफाई देता रहा. पर पुलिस ने उससे घुमाफिरा कर जब सवाल-जबाव किया वह अपने ही जाल में फंस गया. कथा लिखें जाने तक दिलीप जेल में था. बिदिंया कुछ दिनों तक परेशानी की हालत में रही. इसके बाद वह ठीक हो गई और अपनी पढ़ाई करने में जुट गई. उसे अफसोस है. उसने जो कुछ किया वह गलत था. पढ़ाई छोड़ कर ऐसे आवाला लड़कों के चगुल में नहीं ुंसना था. माता-पिता mother-father का सपना पूरा करने पर ध्यान देना था. कथा लिखें जाने तक आरोपी दिलीप जेल में था.
(कथा व जानकारी पुलिस सूत्रों अनुसार घटना का काल्पनिक नाट्य रूपांतर है.
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