Crime Story in Hindi : क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर करते थे लूटपाट

Crime Story in Hindi : क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर करते थे लूटपाट
Crime Story in Hindi


Crime Story in Hindi | crime story :  क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर करते थे लूटपाट

शाम के लगभग 6 बजे थे. आसमान में अपने-अपने बसेरों को लौट रहे परिंदो की और सड़क पर नौकरीपेशा लोगों की भीड़ अधिक थी, जो कि दिन भर आफिस में खपने के बाद थके हारे चेहरे लिए अपने अपने घरों को लौट रहे थे. ऐसे में उज्जैन में इंदौर रोड पर स्थित ‘होटल एटलस’ से दो युवतियां बाहर निकली. एक साथ होटल से बाहर आने वाली इन दोनों युवतियों के न केवल पहनावे में बल्कि चेहरे के हाव भाव में भी खासा अंतर था.

किसी माॅडल की तरह छरहरी काया वाली युवती ने ‘लो वेस्ट’ जींस के ऊपर नाभि दर्शाता टाॅप पहन रखा था. जबकि उसके साथ वाली घबराई हुई युवती कुछ भरे बदन की थी, उसने सलवार कुर्ते के ऊपर कायदे से चुन्नी ओढ़ रखी थी, दोनों होटल से बाहर निकलकर वहां खड़ी एक काले रंग की आल्टो कार में बैठकर चली गई.

इन दोनों के जाने के लगभग एक घंटे बाद होटल से पांच लोग भी शान के साथ निकले और एक गाड़ी में बैठकर चले गए. अब तक अंधेरा फैलने लगा था. ऐसे मे इन लोगों के जाने के बाद अपने हाथों में सामान लिए होटल से दो व्यक्ति और बाहर निकलें. इन दोनों के चेहरे पर मुर्दानी छाई हुई थी. वे बाहर खड़ी काले रंग की क्वालिस में सवार होकर रवाना हो गए.

मोटे तौर पर लगभग दो ढाई घंटे के अंतराल में होटल से अलग-अलग तीन गु्रप में बाहर निकले इन लोगों का आपस में कोई संबंध नजर नहीं आ रहा था, पर इन सब में कितना गहरा संबंध था इस बात का खुलासा दो दिन बाद हुआ. जब होटल से सबसे बाद में निकलकर काले रंग की क्वालिस में रवाना हुए दो लोग थाने में आए.
उस वक्त थाने में इंस्पेक्टर मनोज मौजूद थे. उन्होंने दोनों से वहां आने का मकसद पूछा तो उनमें से एक ने बताया कि उसका नाम राजकुमार है. उसके साथ आया व्यक्ति युनूस, उसका दोस्त है. दो दिन पहले हम गांव से यहां आए थे. उस दौरान होटल में उनके साथ लूटपाट की घटना हो गई.

‘‘क्या तुम लुटेरे को पहचान सकते हो?’’ इंस्पेक्टर मनोज ने पूछा.
‘‘हां हम लुटने वाले को पहचानते है. उसका नाम अमोल है.’’
अमोल का नाम सुनकर इंस्पेक्टर मनोज चैंक गए. वे इस नाम से वाकिफ थे. अमोल नगर का सम्मानित नाम था किसी के साथ लूटपाट करेगा इस बात पर इंस्पेक्टर मनोज को विश्वास नहीं हुआ.
इंस्पेक्टर मनोज ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि एक सम्मानित व्यक्ति ऐसा कर सकता है. आप मुझे पूरी बात विस्तार से बताये.’’




राजकुमार ने कहा बताना शुरू किया. उस दिन जब वे गांव से आ रहे थे तो रास्ते में दो युवतियों ने उनसे लिफ्ट मांगी. उनमें से एक जींस और टाॅप पहने हुए थी, जबकि दूसरी सलवार कुत्र्ता में बिलकुल साधारण थी. उनके पास अपनी कार भी थी जो सड़क किनारे खड़ी थी.

जींस पहने हुई लड़की ने हाथ देकर उनकी कार को रोकने का इशारा किया. कार के रूकते ही उसने कहा, ‘‘मेरी कार खराब हो गयी है. उन्हें शहर तक जाना है. क्या वे उन्हें अपनी कार में लिफ्ट दे सकते है.’’

हमने उनकी बात पर भरोसा करते हुए दोनों को अपनी कार में लिफ्ट दे दिया. हम नहीं चाहते थे कि सूनसान सड़क पर दो लड़कियां इस तरह अकेली खड़ी रहे. यही सोच कर हमने उन्हें अपनी कार में बैठा लिया. इसके बाद दोनों लड़कियां फ्रेश होने के लिए हमारे साथ ही होटल में आ गई. जब दोनों लड़कियां होटल के कमरे में थी तभी अचानक वहां पांच छः लोग उनके कमरे में धड़धड़ा कर घूस आए. उन्होंने अपने आप को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया.

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उन्होनें कहा कि हम लोग लड़कियों के साथ गलत हरकत कर रहे थे. उनके साथ आए कैमरामैन ने हम लोगों के फोटो खींचना शुरू कर दिया. उसके बाद उन लोगों ने हम दोनों के साथ मारपीट भी की और कुछ समय बाद लड़कियों को तो जाने दिया लेकिन हमारे साथ मारपीठ करते हुए उन लोगों ने हमारे पास से रूपए, सोने की अंगूठी, चैन और दो मोबाइल छीन लिया और हमें धमकाते हुए वहां से चले गये.
मारपीठ के दौरान ही हमें पता चल गया कि उनमें से एक का नाम अमोल है.

‘‘तुम लोगों ने उसी वक्त यहां आकर उनके खिलाफ शिकायत क्यों नहीं की?’’ इंस्पेक्टर मनोज
साहब हम लोग उस वक्त बहुत डर गये थे. हमारे पास कुछ भी नहीं बचा था. इसीलिए हम लोग चुपचाप घर लौट गये. घर जाकर जब हमने इस घटना पर गौर किया था हमे लगा कि उन सभी लोगों ने पूरी योजना के साथ हमारे साथ लूटपाट की है. सड़क पर खड़ी वे दोनों लड़कियां भी उनके साथ मिली हुई है. वास्तव में उन दोनांे लड़कियों की कार खराब नहीं हुई थी. उन्होंने केवल हमें अपने जाल में फासने के लिए यह चाल चली थी. तब हमने उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला किया और सीधे यहां आपके पास आ गए.
इंस्पेक्टर मनोज को भले ही उनकी बात पर यकीन न हो, लेकिन वे पूरी तरह से उनकी बातों को झुठला भी नहीं सकते थे. क्योंकि कोई व्यक्ति किसी सम्मानित व्यक्ति के खिलाफ शिकायत कर रहा था. उनकी बातों में कहीं न कहीं सच्चाई तो जरूर थी.

मामला काफी गंभीर था. इसलिए उन्होंने तत्काल इस बात की सूचना अपने अधिकारी को देना उचित समझा. उन्होंने घटना से अवगत कराते हुए कहा, ‘‘सर पिछले कुछ दिनों से इस तरह की शिकायतें आ रही थी कि कुछ लोग कालगर्ल का सहारा लेकर लोगों को लूट रहे है. हो सकता है शिकायतकर्ता राजकुमार कि बात में सच्चाई हो.’’

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‘‘शिकायत में सच्चाई है या नहीं यह बाद की बात है. अभी तो हमारे सामने जो व्यक्ति अपनी शिकायत कर रहा है उसकी शिकायत की जांच करना जरूरी है. इसीलिए तत्काल मामले की जांच करो और मुझे तुरंत इसकी रिपोर्ट भेंजो.’’ एडीशनल एसपी ने आदेश देते हुए कहा.




इंस्पेक्टर मनोज तुरंत अपने काम पर लग गये. उन्होंने राजकुमार को अपने साथ लेकर होटल पहुंचे. मैनेजर ने बताया कि उस दिन दोनों रूके थे और शाम को लगभग सात बजे दोनांे होटल छोड़कर चले गये थे. इंस्पेक्टर मनोज ने जब बारीकी से पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि उस दिन उनके साथ दो लड़कियां भी साथ आई थी. इनके आने के कुछ देर बाद ही अमोल जी अपने चार-पांच साथियों के साथ होटल में आए थे. इसके कुछ समय बाद पहले दोनों लड़कियां होटल से बाहर निकली थी. उसके बाद अमोल और उसके साथी होटल से गए थे. उन सभी के जाने के बाद ये दोनों भी होटल छोड़कर चले गये. होटल के कमरे में क्या हुआ इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता.

इंस्पेक्टर मनोज को राजकुमार की होटल वाली बात में सच्चाई तो लग रही थी, लेकिन लड़कियों को लिफ्ट देने और फिर फ्रेश होने के बहाने होटल के कमरे तक उनके साथ आने वाली बात पूरी तरह से गले नहीं उतर रही थी.
उन्हें शक था कि पूरी कहानी में राजकुमार भी कुछ छुपा रहा है. क्योंकि राजकुमार और उसका दोस्त दोनों यहां घुमने आए है और यहां दोनों ने ठहरने के लिए अलग-अलग कमरे बुक करवाये थे. दोनों के द्वारा लड़कियों को लेकर होटल में आना और अलग-अलग कमरे लेना किसी ओर बात की ओर इशारा कर रहे थे.

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बहरहाल रात में ही इंस्पेक्टर मनोज ने अपनी जांच रिपोर्ट से एसपी को अवगत करा दिया तो उनके आदेश पर उसी दिन अमोल और उसके पांच साथियों और दो अज्ञात लड़कियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया.
दूसरे दिन इस घटना की खबर जैसे ही मीडिया में पहुंची तो चारों और हड़कपं मच गया. इंस्पेक्टर मनोज जब अमोल के समाचार पत्र के कार्यालय पहुंची तो वह गायब मिला.

इसी बीच एक और मजेदार बात यह हुई कि इस मामलें में केवल अमोल ही नामजद किया गया था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से चार पत्रकार तथा दो कैमरामैन भी गायब हो गए. इस घटना से शक की सुई इन गायब हुए लोगों की ओर घुम गयी. इतना ही नहीं ये लोग अपने मोबाइल से फोन करके अपने दूसरे साथियों और पुलिस को अपनी सफाई भी देने लगे. इसका नतीजा यह हुआ कि एक तरह से बाकी के आरोपी भी खुद चलकर पुलिस के सामने एक एक करके आने लगे. लेकिन इंस्पेक्टर मनोज के पास अभी ऐसा कोई ठोस आधार नहीं था जिसके तहत वे अमोल के अलावा किसी के खिलाफ कानूनी कारवाई करते. दूसरी बात सबके सब भूमिगत थे.

धीरे-धीरे लगभग एक हफ्ते बीत गया. इंस्पेक्टर मनोज ने अमोल को पकड़ने के लिए उसके ठिकानों पर दबिश दी लेकिन वह हाथ नहीं आया. वैसे तो अमोल के बारे में बहुत कुछ पहले से ही जानते थे. इस घटना के बाद एसपी के आदेश पर फिर एक बार सिलसिलेवार उसके बारे में जानकारी एकत्रित की जाने लगी.

 अमोल पत्रकार बनने से पहले काम के नाम पर पान की दुकान लगाने से लेकर ट्रक चलाने तक का काम कर चुका था. पेशे की ओट में उसके द्वारा लोगों पर अड़ी डालने की कई शिकायते पहले भी पुलिस को मिल चुकी थी. लेकिन अपने ऊंचे संबंधों के कारण वह अब तक कानून से बचता रहा था.
इंस्पेक्टर मनोज को सूचना मिली कि इस समय भी वह कुछ लोगों से मिलकर मामले को रफादफा कराने की फिराक में धूम रहा है, चूंकि मामला लड़कियों से जुड़ा होने के कारण कोई भी नेता इस समय उसे साथ देने के लिए तैयार नहीं था.

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कहीं से कोई जुगाड़ नहीं होने पर अमोल और उसके अन्य साथियों ने अपने बचाव में एक सीडी इंस्पेक्टर मनोज को भेंजी और कहा कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है. वे तो स्टिंग आपरेशन कर रहे थे. एडिट की हुई सीडी में दोनों फरियादियों को उन लड़कियांे के साथ होटल के अलग अलग कमरे में आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था.




यह सीडी कथित रूप से आरोपियों ने अपने बचाव में भेजी थी, लेकिन यही सीडी उलटे उनके गले की फांस बन गई. क्योंकि स्टिंग आपरेशन की सूचना एक तो अपने चैनल को पहले देनी होती है, दूसरे आपरेशन के 48 घंटे बाद घटना को समाचार पत्रों में प्रकाशित करना अथवा चैनल पर दिखाना जरूरी होता है. जबकि यह दोनों काम इन लोगों ने नहीं किए थे. इस सीडी के माध्यम से पुलिस के सामने न केवल घटना में शामिल सभी पत्रकारों और कैमरामैन के नाम साफ हो गये, बल्कि इसके लिए उपयोग की गई कालगर्ल की पहचान भी हो गई.

इंस्पेक्टर मनोज ने चालाकी से काम लेते हुए, अमोल और उसके साथियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया, लेकिन कोई भी उनकी चाल में नहीं फंसा. इससे एक बात तो स्पष्ट हो गई की सभी आरोपी शातिर थे. इस्पेक्टर मनोज ने उन सभी को फरार अपराधी घोषित कर दिया.

दूसरी तरफ सीडी में दिखाई दो लड़कियों में एक की पहचान हो गई. उसका नाम सोनम था. वह कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत थी. पुलिस ने जब उसके बारे में तहकीकात शुरू कि तो पता चला कि वह एक कालगर्ल है. वह न केवल खुद देह व्यापार करती है बल्कि देह व्यापार का गिरोह भी संचालित करती है.

सोनम शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी है. इंस्पेक्टर मनोज ने बिना देर किये सोनम को गिरफ्तार कर लिया.
पहले तो सोनम ने इस घटना के बारे में कुछ भी जानने से इंकार किया, लेकिन जब पुलिस ने उसे सीडी दिखायी, जिसमें वह नाम मात्र के वस्त्र पहने हुए फरियादी राजकुमार के साथ बिस्तर पर थी. सीडी देखने के बाद सोनम की बोलती बंद हो गयी. उसने न केवल अपना अपराध स्वीकार किया बल्कि इस डकैती में शामिल सभी लोगों के नाम व छुपे होने की जानकारी दे दी. इस्पेक्टर मनोज ने एक साथ सभी ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. (कहानी काल्पनिक है.)

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