Crime Story in Hindi : हत्यारे की हुई हत्या
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Crime Story in Hindi : हत्यारे की हुई हत्या |
Crime Story in Hindi : Crime Story हत्यारे की हुई हत्या, जाने ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से हत्या करने वाली की ही हत्या हो गई.
रामप्रसाद ने दरवाजे के दरार से झांक कर कमरे के अंदर जो कुछ देखा, उसे विश्वास नहीं हुआ. उसकी पत्नी उसके साथ इतना बड़ा विश्वासघात कर सकती है. वह एक गैर मर्द के साथ थी. यह देखकर उसके तन बदन में आग लग गई. वह गुस्से से उबलने लगा और चीखते हुए जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगा.
‘‘हरामजादी, जल्दी से दरवाजा खोल......... आज तेरी खैर नहीं.’’
अपने पति की आवाज सुनकर कोमल घबरा गई. उसने अपने जल्दी से अपने आशिक को कमरे के पीछे दरवाजे की ओर ले गयी और वहां से बाहर निकाल लिया. कोमल का आशिक सिर पर पैर रख कर वहां से ऐसा भागा कि उसने मुड़ कर देखने की कोशिश भी नहीं की.
आशिक को वहां से भगाने के बाद कोमल ने आंख मलते हुए दरवाजा खोला. जमहाई लेते हुए उसने अपने पति से कहां, ‘‘आज जल्दी आ गए.’
रामप्रसाद अपनी पत्नी कोमल से बिना कुछ बोले जल्दी से घर के अंदर घुस गया. ‘‘वह हरामजादा कहां है, जिसके साथ तू रंगरलिया मना रही थी.’’ कहते हुए रामप्रसाद कमरे में इधर-उधर किसी को ढुढ़ने लगा.
‘‘यह क्या कह रहे हैं आप ....आपकी कसम यहां कोई नहीं था.’’
‘‘स्साली, एक तो तू आशिक के साथ मजा लें रही थी. ऊपर से मेरी झूठी कसम भी खा रही है.’’ रामप्रसाद का गुस्सा बेकाबू हो गया. सामने पड़ा डंडा उठा कर वह कोमल की पिटाई करने लगा. उसने बेदम तक अपनी पत्नी की पिटाई की और आशिक का नाम पूछता रहा. कोमल मार खाती रही पर उसने अपने आशिक का नाम नहीं बताया.
रामप्रसाद शहर में जाॅब करता था. अधिकतर समय वह अपनी डियुटी के लिए घर से बाहर ही रहता था. उसकी पत्नी घर में अकेली रहती थी. शादी के बाद कोमल जब ससुराल पहुंची तो उसके रूप और गुण की तारीफ वहां उपस्थित सब लोगों ने की.
सुहागरात को रामप्रसाद ने जब पहली बार कोमल का घुघंट उठा कर उसकी खूबसूरती देखी तो देखता ही रह गया. उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसे इतनी खूबसूरत पत्नी मिलेगी. शादी के बाद जब तक रामप्रसाद घर में रहा दोनों प्यार की मस्ती में डूबे रहे. जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे थे, दोनों में प्यार बढ़ता जा रहा था.
इसके बाद रामप्रसाद कोमल को गांव में अकेला छोड़कर काम के लिए शहर आ गया. रामप्रसाद के चले जाने पर कोमल पर काम का बोझ इतना आ गया कि कलेजा मुंह को आने लगा. दुल्हन की मेंहदी अभी उतरी भी नहीं थी कि उसे खेत पर काम के लिए जाना पड़ा. खेत से लौट कर घर का सारा काम भी उसे ही करना पड़ता था. दिनभर काम करके वह थक जाती थी, इसके बावजूद नींद उसकी आंखों से कोसो दूर होते. रात उसकी करवट बदलते हुए कटती थी. वह हर पल पति के घर आने का इंतजार करती रहती. अब कोमल को लगने लगा था कि उसकी जिंदगी नर्क बन गई हो.
वह पति को अपने मन की बात बताना चाहती थी, लेकिन जब भी रामप्रसाद घर आता पत्नी से खुल कर बात नहीं कर पाता था. उसके घरवाले कोमल के बारे में जो उल्टा-पुल्टा बताते थे उन बातों पर विश्वास कर वह पत्नी को डांट लगाने लगता. पति का साथ मिलता तो कोमल अपने सारे दुख-परेशानी जरूर भूल जाती लेकिन पति के व्यवहार से उसका मन खिन्न हो चुका था. कभी-कभी सोचती, वह अपना ससुराल छोड़कर मायके भाग जाए. पर मायके में भी परिस्थिति उतनी अच्छी नहीं थी कि उसके मातापिता उसे बैठा कर खिला सके. वह अगले ही पल कहीं और भाग जाने की सोचती, पर आगे सोचने लगती वह भाग कर जाएगी कहा.
इस बार जब उसका पति गांव आया था और एक सप्ताह बाद जब वह लौट कर जाने की तैयारी कर रहा था कोमल ने उसके साथ जाने की जिद्द पकड़ ली. उसके पति ने ले जाने से मना किया पर वह किसी भी रूप में मानने के लिए तैयार नहीं हुई. आखिर में रामप्रसाद अपनी पत्नी को साथ लेकर शहर आ गया. शहर आ कर कोमल को काफी अच्छा लगा. उसका मन करने लगा वह सारा शहर घुमे पर रामप्रसाद को समय ही नहीं मिलता था.
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समय न मिलने की वजह से रामप्रसाद कोमल को समय नहीं दे पा रहा था. अब उसके अंदर वह जोश भी नहीं था, जो जोश उसने सुहागरात को दिखाया था. इसकी वजह थी दिनभर कर्लाइंट की तलाश करना और उन्हें शेयर खरीदने के लिए कंवेस करने में ही बित जाते थे. महीना पूरा होने से पहले टारगेट पूरा करने के चक्कर में वह अपनी पत्नी की ओर ध्यान भी नहीं दे पा रहा था.
दिनभर का थकाहारा घर आता और जल्दी से खाना खाकर सो जाता था क्योंकि सुबह उसे जाने की जल्दी होती. कोमल पति के बगल में लेटी रात भर गीली लकड़ी की तरह सुलगती रहती थी. धीरे-धीरे कोमल का ध्यान भी अपनी पति से उचटने लगा. जब पति उसे कोई सुख नहीं दे सकता है तो उसकी और क्या ध्यान दिया जाएं.
कोमल दिनभर अपने बरामदे में बैठी रास्ते से आते जाते लोगों को देखती रहती. वह जहां रहती थी उसके पास ही किसी माॅल का निर्माण किया जा रहा था. रविशंकर वहां मैनेजर के पद पर काम करता था. रविशंकर जब भी साइट पर आता वह कोमल को बरामदे में लगे झूले पर बैठे लोगों को निहारते देखता. वह उसकी खूबसूरती का दीवाना हो चुका था. वह उसे अपना बनाने की कोशिश में लग गया. रविशंकर जैसे लोग किसी अकेली बैठी महिलाओं को किस तरह से बिस्तर तक ले जाएं इस बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं. रविशंकर से सबसे पहले उसके बारे में पता लगवाया तो उसे पता चला उसका पति किसी शेयर मार्केट में जाॅब करता है. रविशंकर को पता चल गया था कि कोमल अपने पति के काम पर जाने के बाद कमरे में अकेली रहती है.
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पानी पीने के बहाने एक दिन रविशंकर, कोमल के पास पहुंच गया. कोमल ने उसे पानी पिलाया. इस दौरान रविशंकर ने कोमल के खूबसूरती की भरपूर तारिफ की. अपनी खूबसूरती की तारिफ सुनकर कोमल मन ही मन ही गदगद हो गई. उस दिन से रविशंकर किसी न किसी बहाने से उसके पास आने लगा.
एक दिन रविशंकर ने कोमल से पूछा कहीं घुमनेवुमने जाने का दिल करता है.’’
‘‘करता तो बहुत है पर आपके भाई साहब के पास इसका समय कहा है. शादी के बाद तो मेरी जिंदगी नरक बन गई है नरक.’’
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रविशंकर ने कोमल की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. उसके सोये हुए अरमान को सुलगा दिया था. उस दिन के बाद से कोमल, रविशंकर में अपनी खुशी तलाशने लगी. एक दिन रविशंकर दोपहर को कोमल के घर पहुंचा. दरवाजे पर रविशंकर को देखकर वह मन ही मन मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया. उस वक्त उसने पारदर्शी गाउन पहन रखी थी. सुर्ख लाल रंग के गाउन में कोमल की जवानी उफान मार रही थी.
रविशंकर की निगाह बार-बार कोमल उफनते यौवन पर जाकर टिक रही थी.
रविशंकर ने कोमल की आंखों में आंखें डालते हुए कहां, ‘‘आज तो कयामत ढ़ाह रही हो, किसी की जान लेने का इरादा है क्या?’’
तारीफ सुनकर कोमल का दिल पुलकित हो उठा.
इधर रविशंकर समझ गया कि लोहा गरम हो चुका है, बस हथौड़ा मारने भर की देरी है.
उसने कहा, ‘‘एक बात कहूं, बूरा तो नहीं मानोगी?’’
‘‘कहो........’’ कोमल ने कहा.
‘‘जी चाहता है, तुम्हें बाहों में लेकर नींबू की तरह निचोड़ दूं.’’
‘‘मना कौन कर रहा है.’’ कोमल ने मदभरी मुस्कान के साथ कहा. कहने भर की देरी थी, रविशंकर ने कोमल को उठा कर बेड पर पटक दिया. थोड़ी देर में दोनों के बीच की दूरी खत्म हो गई. दोनों के चेहरे पर संतुष्टी के निशान दिखाई दे रहे थे. कोमल को लगा वह अपने मकसद में कामयाब हो गई है, कई दिनों के बाद उसके तपते शरीर को ठंड मिली थी, इधर रविशंकर मन ही मन सोच रहा था आज उसने मुर्गी हलाल कर ही दी.
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एक बार दोनों के बीच संबंध बनने का सिलसिला शुरू हुआ तो यह बार-बार होने लगा. कहते है पाप को जितना भी छिपा कर किया जाए, पर एक न एक दिन खुल कर सामने आ ही जाता है. कोमल के प्यार में पागल रविशंकर की जमघट ज्यादा देर तक जमने लगी. अड़ोस-पड़ोस के लोगों ने जब देखा तो उन्हें यह बात खटकने लगी. फिर क्या था दोनों की प्रेम कहानी के बारे में रामप्रसाद तक पहुंचने में देर नहीं लगी.
सच्चाई जानने के लिए रामप्रसाद ने कुछ दिनों की छुट्टी ली ओर घर पर ही रहने लगा. घर में रहते हुए उसने महसूस किया कि कोमल पहले से काफी बदल चुकी है. वह उस पर पहले जितना ध्यान नहीं देती है. आजकल वह उसके प्रति लापरवाह हो गयी थी. दूसरी बात उसने नोटिस की कि कोमल आजकल अधिकतर समय किसी के साथ फोन पर बात करती रहती थी.
रामप्रसाद के घर में रहने की वजह से कोमल और रविशंकर का मिलना बंद हो गया. दोनों मिलने के लिए बेताब हो रहे थे. एक दिन कोमल ने मार्केट जाने का बहाना करके रविशंकर से मिलने गई. रामप्रसाद कोमल पर निगाह रखे हुए था. उसने दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया.
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रामप्रसाद ने बदनामी के डर से रविशंकर को सिर्फ चेतावनी देखकर छोड़ दिया. कोमल को घर लाकर जम कर पिटाई की और अच्छे से समझा दिया कि आइंदा वह रविशंकर से न मिले वर्ना उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा. इस घटना के बाद से दोनों का मिलना बंद तो हो गया पर दोनों छुप-छुप कर मोबाइल पर जरूर बातें कर लेते थे. रामप्रसाद समझ गया कोमल के सिर से रविशंकर के प्यार का भूत दूर नहीं हुआ है. इसके लिए उसे कुछ करना होगा.
इधर रामप्रसाद की धमकी की वजह से दोनों ने सोचा, अगर रामप्रसाद को रास्ते से न हटाया गया तो वह इसी तरह से उनके मिलने पर रोक लगाता रहेगा.
रामप्रसाद कितने दिनों तक घर में रहकर अपनी पत्नी को पहरा देता. आॅफिस से लगातार फोन आने लगे, पत्नी को बचाएं की अपनी नौकरी को.
एकदिन रामप्रसाद सुबह तैयार होकर काम के लिए रवाना हो गया. जाते-जाते उसने कोमल को फिर से चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘कान खोल कर सुन लें, मैं काम पर जा रहा हूं. मेरे पीछे अपने यार से मिलने की कोशिश मत करना वर्ना मुझसे बूरा कोई न होगा.’’
‘‘आपकी कसम..... अब किसी से नहीं मिलूूंगी.’’
यह रामप्रसाद का प्लान था. प्लान के अनुसार वह काम पर जाने के बहाने घर से निकल तो गया था लेकिन आॅफिस ना जाकर दूर से अपने घर की निगरानी करने लगा.
इधर रविशंकर ने रामप्रसाद को घर पर निगाह रखते हुए देख लिया. उसने कोमल को मोबाइल पर इस बात की जानकारी दी. इसी दौरान दोनों ने एक खतरनाक प्लान बना लिया.
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शाम हो गई थी. रामप्रसाद अभी भी घर पर निगाहे लगाए बैठा था. इधर कोमल प्लान के मुताबिक सजधज कर रविशंकर का इंतजार करने लगी. जैसे ही रविशंकर वहां पहुंचा, कोमल उसके साथ घर से बाहर निकल गई. दोनों घुमते हुए वहां पहुंच गए जहां माॅल बन रहा था. तब तक अंधेरा हो गया था. रामप्रसाद भी छुप कर उनके पीछे लग गया. आज वह दोनों को हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहता था.
लेकिन समय को शायद कुछ और ही मंजूर था. क्योंकि रामप्रसाद स्वयं रविशंकर के बने जाल में फंसते जा रहा था. मौका पाकर रविशंकर, रामप्रसाद के पीछे आ गया. उसके हाथ में इलेक्ट्रिक वायर था. दोनों तारों को उसने रामप्रसाद के शरीर से टच कर दिया. रामप्रसाद को करंट का जोरदार झटका लगा. वह दूर जा गिरा. वह बेहोश हो गया था. रविशंकर ने उसे इलेक्ट्रिक के कई झटके दिए. रामप्रसाद का शरीर ठंडा हो गया.
रामप्रसाद की हत्या के बाद उसकी लाश को ठिकाने लगाने के लिए दोनों ने लाश को सेफ्टी टैंक में दफना दिया. ऊपर से डेढ़ फुट मोटी सीमेंट-क्रांकीट की परत बिछा दी. इसके बाद रविशंकर बेधड़क कोमल से उसके घर पर मिलने के लिए आने जाने लगा.
इस बीच रामप्रसाद के घरवालो ने उसे फोन किया, लेकिन उसका मोबाइल लगातार बंद बता रहा था. तब रामप्रसाद के भाई ने कोमल को फोन कर भैया के बारे में जानकारी मांगी. इस पर कोमल ने उससे कह दिया, तुम्हारे भैया के बारे में मुझे कुछ नहीं पता. आइंदा मेरे पास फोन मत करना.
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उसने पुलिस को सारी बातें बताते हुए कोमल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने तुरंत रविशंकर और कोमल को उठा लिया. पहले तो दोनों पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करते रहे. आखिर में पुलिस ने कड़ा रूख अपनाया तो दोनों टूट गए. दोनों ने रामप्रसाद की हत्या किए जाने की बात कबूल ली.
पूरी घटना पर गौर किया जाएं तो किसी भी अवैध संबंधो का हल हत्या नहीं है. रामप्रसाद अपनी पत्नी को पाने के लिए उसके आशिक की हत्या करना चाहता था, इधर कोमल, अपने पति को रास्ते का पत्थर समझकर उसे रास्ते से हटाना चाहती थी. अंत में एक की जान गई, और दूसरे को जेल हो गई. (कथा काल्पनिकता पर आधारित)
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