Apradh Love Katha : अनोखी प्रेम कहानी बिंदास गर्ल

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Apradh Love Katha : अनोखी प्रेम कहानी बिंदास गर्ल

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गुलाबगंज एक छोटा सा पहाड़ी गांव है। इसी गांव में जितेन्द्र अपने परिवार के साथ रहता है। गुलाबगंज में जितेन्द्र और पिंकी की प्रेम कहानी जग जाहिर थी, क्योंकि इसी छोटे से कस्बे में उनकी प्रेम कहानी ने जन्म लिया था और धीरेधीरे परवान चढ़ी और बदनाम भी हो गई।

कई वर्ष बीच चुके थे इस बात को लेकिन आज भी जितेन्द्र और पिंकी की प्रेम कहानी के चर्चे गुलाबगंज में लोगों की जुबान पर आ ही जाते थे। इतने उतार चढ़ाव के बावजूद भी दोनों का मिलना जुलना बंद नहीं हुआ था। खुद जितेन्द्र की पत्नी भी उसे पिंकी के पास जाने से नहीं रोक पाई थी।

अब तो उसकी पत्नी ने जितेन्द्र को समझाना भी छोड़ दिया। उसे भी पता था कि काम का बहाना करके उसका पति शहर जाता है, दरअसल वह किसी जरूरी काम के सिलसिले में नहीं बल्कि उसी बेशर्म लड़की पिंकी से मिलने जाता है। वह तो इसी बात से संतुष्ट थी कि कम से कम उसका पति इधर उधर मुंह मारकर उसके पास घर तो लौट ही आता है।


21 दिसंबर की दोपहर जब जितेन्द्र अपनी मोटर साइकिल से शहर की ओर जाने वाली सड़क पर रवाना हुआ, तब गुलाबगंज में उसे जिसने भी जाते हुआ देखा सब समझ गए कि वह पिंकी से मिलने शहर जा रहा होगा।
21 तारीख को गुलाबगंज से निकला जितेन्द्र जब 22 तारीख को शाम तक घर वापस लौटकर नहीं आया तो उसकी पत्नी को चिंता होने लगी। ऐसा कभी नहीं हुआ था कि जितेन्द, पिंकी से मिलने के बाद दुसरे दिन तक शाम को घर न लौटा हो। इसलिए जब जितेन्द्र 22 तारीख शाम तक घर नहीं लौटा तो उसका चिंता करना स्वाभिवक था।

उसके मन में अजीबों गरीब ख्याल आने लगे। उसे बार बार ऐसा लग रहा था कि उसका पति अब उसके पास लौट कर कभी नहीं आएंगा। वह उस चुडै़ल के साथ ही रहेगा और उसे छोड़ देंगा। उसने अपनी शंका अपनी ननद को बताई। उसकी ननद का मानना भी यही थी क्योंकि कुछ दिनों से जितेन्द्र पिंकी को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान था। ननद बोली, हो सकता है कहीं पिंकी ने उसे अपने ही पास रोक लिया हो।

इसके बावजूद जितेन्द्र की बहन से अपनी भाभी को तस्लली देते हुए बोली, जब भैया इतने दिनों से पिंकी से मिलने के लिए जाते हैं और लौट आते हैं तो इस बार भी वह लौटकर तुम्हारे पास आएंगे। हो सकता है किसी कारण से वे वहां रूक गए हो। रात तक लौट आएंगे। दोनों ने उस रात जितेन्द्र के लौटने का इंतजार किया, पर 23 दिसंबर को भी जब जितेन्द्र घर नहीं लौटा तो परिवार वालों को लेकर जितेन्द्र की पत्नी अपने परिवार वालों को साथ लेकर शहर के आस्था कालोनी पहुंची जहां पिंकी रहती थी।


आस्था कालोनी में पिंकी के घर पर ताला लगा हुआ था लेकिन घर के बाहर जितेन्द्र की मोटरसाइकिल खड़ी थी। यह देखकर जितेन्द्र के परिवार वालो को यकीन हो गया कि जितेन्द्र यहीं पर पिंकी से मिलने आया था लेकिन दरवाजे पर बाहर से ताला लगा देखकर उनके मन में तरह तरह के शंकाएं उठने लगे। उन्होंने तुरन्त इस बात की सूचना पुलिस को देना उचित समझा।

जितेन्द्र के परिवार वाले तुरंत थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस को जितेन्द्र और पिंकी की वर्षो से चल रही पे्रम कहानी के बारे में बताते हुए जितेन्द्र की बोली, ‘‘सर मेरा पति दो दिन पहले पिंकी से मिलने आया था, लेकिन अब तक वह घर नहीं पहुंचा है।’’

‘‘आपको पुरा यकीन है कि आपका पति जितेन्द्र, शहर में पिंकी से ही मिलने आया था।’’ पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।

‘‘हां साहब, इसका प्रमाण उसकी मोटर साइकिल है, जो अभी भी पिंकी के घर के पास खड़ी है। घर मंे ताला लगा हुआ है।’’


मोटरसाइकिल घर के बाहर खड़ी है और घर पर ताला लगा हुआ सुनकर टीआई के दिमाग में किसी दुर्घटना की आशंका कुलबुलाने लगी। उनके अनुभव के अनुसार दुनिया में अब जितने भी अवैध प्रेम संबंधों का अंत किसी बढ़ी दुर्घटना पर ही खत्म हुई है। ऐसे रिश्ते का अन्त अक्सर हत्या या आत्महत्या पर ही समाप्त होती है.

जितेन्द्र की पत्नी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दो दिन से प्रेमिका के ताले बंद घर के बाहर लापता प्रेमी की मोटर साइकिल का खड़ा होना किसी दुर्घटना का संकेत हो सकती है. यह ख्याल आते ही टीआई का माथा ठनका। वह तुरंत घटनास्थल पर चलने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने अपने साथ दो पुलिस स्टाफ को साथ लेकर पिंकी के घर जा पहुंचे।

पुलिस द्वारा आसपास पूछताछ करने पर पिंकी का कोई पता नहीं चला। तब पुलिस ने उसके मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसके मोबाइल पर भी उससे संपर्क नहीं हो पाया। तब पुलिस ने पिंकी के घर के दरवाजे पर लगा ताला तोड़कर उसके घर की तलाशी लेने का निश्चिय किया।

पिंकी के घर के आसपास रहने वाले दो लोगों की गवाही पर पुलिस ने उसके घर का ताला तोड़ दिया। घर के अंदर प्रवेश करने पर वही दृश्य सामने आया जिसका टीआई को संदेह था। बंद मकान में एक बोरे में जितेन्द्र की लाश रखी थी। उसके शरीर पर धारदार हथियार से घाव किया गया था। जिससे साफ था कि उसकी हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने की गरज से उसे बोरे में भरा गया था, लेकिन वह उसे फैंकने में नाकामयाब रहे। शायद किसी कारण से हत्यारे उसके शव को ठिकाने लगाने की योजना में सफल नहीं हो सके थे। टीआई ने जितेन्द्र की हत्या की सूचना अपने बड़े अधिकारियों को तुरंत दे दी।

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घटना की खबर मिलते ही एसपी भी मौके पर पहुंच गए। उनकी देखरेख में घर की तलाशी ली गई। संपूर्ण घर की तलाशी लेने पर पुलिस को वहां से ऐसी कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली जिसके आधार पर उन्हें कोई सुराग मिल सकें।
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जितेन्द्र और पिंकी के अवैध रिश्तों की पूरी कहानी पहले से पुलिस के सामने आ चुकी थी। जिसकी पुष्टि आसपास के लोगों ने भी की। इसके अलावा पुलिस को पिंकी के घर के आसपास के लोगों ये भी पता चली कि  पिंकी आजकल गुलाबगंज के ही रामसिंह नामक किसी दुसरे युवक को अपने साथ रखने लगी थी।

पुलिस ने रामसिंह के बारे में खोजबीन की तो पता चला कि वह गुलाबगंज थाने का रिकार्ड धारी बदमाश है। घटना वाले दिन लोगों ने उसे भी पिंकी के साथ उसके घर पर देखा था। पुलिस के लिए यह सूचना काफी महत्वपूर्ण थी। टीआई ने पिंकी और रामसिंह के खिलाफ हत्या का नामजद मामला दर्ज कर दोनों की तलाश शुरू की। पुलिस को जहांजहां उनके छुपे होने का पता चला वह वहांवहां छापा मारने लगी।

इसी बीच पुलिस की एक टीम आस्था कालोनी में ही आरोपियों के ठिकाने का सुराग लगाने के काम में लगी थी। पुलिस टीम को पता चला कि घटना वाले दिन पिंकी के पिता का ड्राइवर राम बाबू कार लेकर सुबह सुबह पिंकी के घर पर आया था। इसके अलावा पिंकी की एक सहेली नेहा भी उस दिन काफी देर तक पिंकी के घर पर मौजूद थी।

पुलिस ने इन दोनों की खोजबीन की तो दोनों शख्स अपने अपने घर पर ही मौजूद मिल गए। टीआई ने जब उनसे पूछताछ की तो दोनों ने ही इस बारे में कुछ भी जानकारी होने से मना कर दिया। लेकिन जब पुलिस ने उन पर अपना दबाव बनाया तो उन दोनों ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने पिंकी के घर में जितेन्द्र की लाश देखी थी लेकिन उसकी हत्या किसने की इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। क्योकि उनके जाने से पहले ही जितेन्द्र की हत्या हो चुकी थी।

पुलिस ने जब रामबाबू से पूछताछ की तो उसने बताया कि सुबह के समय पिंकी ने फोन करके उसे कार लेकर अपने घर पर बुलाया था। यहां आने पर उसके कहने पर एक बोरा भी खरीदकर लाया था लेकिन जब उसने हत्या का मामला देखा तो दो मिनट में आने का कहकर कार लेकर चला गया था और पिंकी उसे वापस न बुला सकें इसलिए उसने अपना मोबाइल भी बंद कर दिया था।

मुख्य आरोपी के दो विश्वास पात्र लोग पुलिस के हाथ लग चुके थे जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि जितेन्द्र की हत्या के पीछे पिंकी का हाथ है। पुलिस को इस बात की खुशी भी थी कि पिंकी के दोनों खास लोग पुलिस के हाथ लग चुके थे इस बात की जानकारी पिंकी को और रामसिंह को नहीं लगी थी।

पुलिस जानती थी कि पिंकी, दोबारा नेहा से संपर्क जरूर करेगी। पुलिस का अनुमान सही निकला। पिंकी ने नेहा से संपर्क किया। पुलिस के बताएं अनुसार नेहा ने पिंकी से उसके छुपे होने का पता मालूम कर लिया। पिंकी ने बताया कि वह दिल्ली में हैं।

फोन पर मिली जानकारी के बाद पुलिस ने घेराबंदी कर पिंकी और रामसिंह को दिल्ली के पास से गिरफ्तार कर लिया और दोनों को शहर ले आई।

जब दोनों को पता चला कि पुलिस ने उन्हें जितेन्द्र की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है तो दोनों अपने आप को निर्दोष बताते रहे। लेकिन जब उन्होंने नेहा और रामबाबू को पुलिस की गिरफ्त में देखा तो समझ गए कि उनका भी खेल खत्म हो चुका है। पिंकी और रामसिंह ने पूरी कहानी पुलिस को सचसच बता दी। पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार अवैध संबंध की यह कहानी कुछ इस प्रकार थी.


गुलाबगंज में जहां एक समय पिंकी के पिता अपना अस्पताल चलाते थे। वहीं जितेन्द्र के पिता का मेडिकल स्टोर था। दोनों के व्यवसाय एक दूसरे के पूरक थे। दोनों में पटती भी खूब थी। इसी वजह से पिंकी के घरवालों और जितेन्द्र के घरवालों के बीच पारिवारिक रिश्ते जैसा संबंध था।

कहा जाता है कि जब जितेन्द्र की उम्र लगभग 22 वर्ष थी तब उसका विवाह हो गया था। उस समय पिंकी छोटी सी बच्ची के रूप में उसकी बारात में शामिल हुई थी। दोनों घरों में पारिवारिक संबंध होने के कारण जितेन्द्र का पिंकी के घर पर बेधड़क आना जाना था। इसी दौरान उसका पिंकी से अक्सर सामना भी हो जाता था।

जितेन्द्र ने पिंकी को बचपन से युवा होते हुए अपनी आंखों से देखा था, लेकिन उसने कभी पिंकी की बढ़ती जवानी पर ध्यान नहीं दिया था। लेकिन कहते है कि पाप न जाने कब किसकी सोच पर किस समय हमला कर दें, कुछ ऐसा ही जितेन्द्र और पिंकी के साथ हुआ।

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एक दिन जितेन्द्र किसी काम से डाॅक्टर साहब के घर गया हुआ था। उस दिन न जाने उसने पिंकी को देख लिया कि वह पिंकी की सुंदरता पर मरमिटा। उस दिन के बाद से जितेन्द्र अक्सर छुपछुप कर पिंकी की सुंदरता को निहारने लगा। उसका ध्यान इस बात की तरफ नहीं गया कि कल तक उसके आंगन में खेलने वाली मासूम सी लड़की आज इतनी बड़ी और खूबसूरत युवती बन चुकी हैं।

उस दिन पिंकी को देखने के बाद मानो उसका दिल, दिमाग और चैन सब कुछ पिंकी के ईदगिद ही घुमने लगा। जितेन्द्र यह भी भूल गया कि वह शादीशुदा एक बच्चे का बाप है और पिंकी कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली साढ़े पन्द्रह साल की मासूम किशोरी। इस लिहाज से उसे पिंकी को लेकर किसी तरह की गलत बातें नहीं सोचनी चाहिए।

दूसरी बात पिंकी के परिवार वाले उस पर विश्वास भी करते थे, जिसे तोड़ने का उसे कोई हक नहीं था। लेकिन कहते हैं जब आदमी के दिमाग पर वासना सवार हो जाती है तो उसकी बुद्धि भी समाप्त हो जाती है। अच्छा बुरा सोचने की उसकी शक्ति भी खत्म हो जाती है। उस दिन के बाद से जितेन्द्र का एक मात्र मकसद हो गया किसी भी तरह से पिंकी को हासिल करना।

जितेन्द्र रोज सुबह शाम किसी न किसी बहाने से पिंकी के घर पर जाने लगा। उसका बार बार घर पर आना और अपनी तरह प्यार से निहारना पिंकी को अच्छा लगने लगा। वह जितेन्द्र के मन की बात को महसूस करने लगी। पिंकी की उम्र भी उस दहलीज पर थी जहां पुरूष के संपर्क में आने के लिए लड़कियों का मन मचलने लगता है। वह किसी को अपने पास देखकर उस पर अमरबेल की तरह लिपट जाती है। उनमें अच्छे बुरे की समझ नहीं होती है।



पिंकी के साथ भी वहीं सबकुछ हुआ। वह जितेन्द्र को पास पाकर उसके सहारे अमरबेल की तरह परवान चढ़ने लगी। पिंकी भी इस बात को भूल गई कि जितेन्द्र शादीशुदा एक बच्चे का बाप है और उनके बीच उम्र का एक लम्बा फासला है। पिंकी को अपने में रूचि लेते देख जितेन्द्र का मन खुशी से नाच उठा। वह मौके की तलाश में रहने लगा।

जितेन्द्र को वह मौका भी जल्दी ही मिल गया। बरसात का मौसम था। उस दिन शाम के समय जितेन्द्र पिंकी के घर में बैठा हुआ था। तभी मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। घर पर पिंकी के अलावा उसकी मां ही थी। उसके पिता अस्पताल में थे और पिंकी की छोटी बहन अपनी किसी सहेली के घर पर गई हुई थी। बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।

धीरेधीरे अंधेरा घिरने लगा। जितेन्द्र उठकर जाने के लिए हुआ तभी लाइट चली गई। एक तो बारिश ऊपर से लाईट चली गई। पिंकी की मां ने उससे रोकते हुए कहा, ‘‘अंधेरे में कहां जाओगे, रूक जाओ लाइट आते ही चले जाना।’’

लाईट के अचानक चले जाने से कमरे में घुप अंधेरा छा गया तो पिंकी की मां इमरजेंसी लाइट लेने अंदर चली गई। इस बीच मौका देखकर जितेन्द्र ने झट से अंधेरे में पिंकी का हाथ पकड़ लिया। पिंकी घबरा गई और उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाने लगी, लेकिन जितेन्द्र ने उसका हाथ तब तक नहीं छोड़ा जब उसकी मां लाइट लेकर कमरे में ना आ गई।

जितेन्द्र का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था कि कहीं पिंकी अपनी मां से इस बात की शिकायत न कर दे, लेकिन पिंकी ने मां से कुछ नहीं कहा। उल्टे वह जितेन्द्र को कनखियों से देखकर मुस्कराती रही। पिंकी की चुपी को उसने समझ लिया कि उसकी मोहब्बत स्वीकार कर ली गई तो जितेन्द्र को मानो सब कुछ मिल गया हो। इस घटना के बाद से जितेन्द्र का साहस बड़ गया।

अब वह पिंकी से एकांत में मिलने की कोशिश करने लगा। खुद पिंकी भी सोलह साल की हो गई थी। वह भी इस प्यार को लेकर रोमांचित थी। उसका मन भी जितेन्द्र से मिलने के लिए मचलने लगा। उसके लिए यह नया नया अनुभव था। वह सब कुछ जल्दी से जल्दी जान जाना चाहती थी कि आखिर यह प्यार होता कैसे हैं जिसके लिए प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से मिलने के लिए तड़पने लगते हैं। आग दोनों तरफ लगी हुई थी।

एक दिन एकांत में जब जितेन्द्र ने पिंकी को अपनी बाहों में घेर लिया तो प्रथम पुरूष के स्पर्श ने पिंकी की रंगों में दौड़ रहे खून के बहाव को बढ़ा दिया। जितेन्द्र शादी शुदा था। उसे पता था कि लड़कियां किस तरह जल्दी से पुरूषों के वश में हो जाती है। उसने पिंकी को सोचने का मौका ही नहीं दिया और अपने मकसद को पूरा करने में लग गया। पिंकी भी प्रथम पुरूष के स्पर्श से उत्तेजित हो गई। दोनों एकदूसरे में समा गए। जहां जितेन्द्र अपनी इच्छा को पूरा करने में कामयाब हो गया था वही पिंकी प्रथम सहवास से आंनदित हो उठी थी।

किशोर उम्र की पिंकी को प्यार और वासना में अंतर करना भी नहीं आता था इसलिए उसका सोचना था कि जो कुछ जितेन्द्र चाहता है, उसी का नाम प्यार है। जब तक पिंकी को यह समझ आती तब तक वह जितेन्द्र के साथ इस रिश्ते में काफी दूर तक निकल चुकी थी।

बारहवीं के बाद पिंकी ने बीएससी की डिग्री पाने के लिए काॅलेज में एडमीशन ले लिया। वह पढ़ाई के लिए घर से दूर आने जाने लगी। इससे दोनों को मिलने जुलने में कोई दिक्कत नहीं थी। उनकी मुलाकातें गांव के बाहर भी होने लगी। अब दोनों जब चाहें गांव के बाहर मिल लेते थे लेकिन गुलाबगंज गांव बहुत बड़ा नहीं था कि वहां इस तरह की बातें छुप सकें।

जल्दी ही दोनों के बीच की अनैतिक संबंध गांव के लोगों को पता चल गई। धीरेधीरे यह बात पिंकी के घरवालों तक भी पहुंच गई। एक दिन पिंकी के परिवार वालो ने दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया। पिंकी को जोरदबरस्ती वहां से घर लाया गया। उस दिन से पिंकी का घर से बाहर निकलना बंद हो गया और जितेन्द्र का उनके घर आना जाना बंद करवा दिया। इसके बावजूद पिंकी चोरीछिपे जितेन्द्र से मिलती रही।

पिंकी को जितेन्द्र से दूर रखने और अपनी बदनामी से बचने के लिए उसके पिता ने गुलाबगंज से दूर अपनी अस्पताल खोल ली और परिवार के साथ वहां आकर रहने लगे। उन्होंने सन् 2010 में पिंकी की शादी उज्जैन के एक संपन्न परिवार में कर दी। उनका सोचना था कि पति का प्यार पाकर पिंकी जितेन्द्र को भूल जाएगी। ऐसा हो भी सकता था, यदि जितेन्द्र पिंकी से मिलने उसके ससुराल न जाता।

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जितेन्द्र के लिए पिंकी से दूर रहना संभव नहीं था। शादी हो जाने के बाद भी जितेन्द्र पिंकी से मिलता रहा। जितेन्द्र को सामने देखकर पिंकी अपने पति और ससुराल सबकुछ भूल गई। शुरू शुरू में पिंकी के पति ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन जब जितेन्द्र का आना जाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया तो उसके दिमाग पर शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा।

उसने पिंकी और जितेन्द्र पर नजर रखनी शुरू कर दी और एक दिन दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया। उस दिन पिंकी का अपने पति के साथ खुब झगड़ा हुआ। जितेन्द्र ने आग में घी का काम किया। उसने पिंकी को उसके पति से अलग करने के लिए पिंकी को और भड़का दिया।

पिंकी ने गुस्से में आकर अपना ससुराल छोड़ दिया, लेकिन वह लौट कर अपने माता पिता के घर नहीं आई। दोनों जानते थे कि पिंकी के मातापिता तो वैसे ही दोनों को मिलने नहीं देंगे और हो सकता है कि उसे समझाबुझाकर वापस ससुराल भेंज दें। इसलिए जितेन्द्र ने पिंकी को शहर में रहने की सलाह दी।

पिंकी जितेन्द्र के प्यार में अंधी हो चुकी थी। उसके सोचने समझने की शक्ति मानो खत्म हो गई थी। तभी तो वह अपना ससुराल व पति को छोड़कर अकेली  शहर आकर रहने लगी। उसके शहर आते ही जितेन्द्र की तो मानो लाटरी ही खुल गई। वह जो चाहता था वही हुआ। अब वह अक्सर शहर आकर पिंकी के साथ रात बिताने लगा।

इधर जब पिंकी के पिता को पता चला कि उनके मना करने के बाद भी वह जितेन्द्र को अपने ससुराल बुलाकर उससे मिलती रही और पति के मना करने पर वह घर छोड़कर अकेले शहर में रहने लगी ताकि जितेन्द्र से मिलने से अब उसे कोई न रोक सकें। अपनी बेटी के अंधेरे भविष्य से वह घबरा गए।

उन्होंने शहर आकर बेटी को समझाने की कोशिश की। दुनिया और समाज के ऊंच नीच बताएं। जितेन्द्र के साथ उसके अंधेरे भविष्य के बारे में बताया। उन्होंने पिंकी द्वारा जवानी के जोश में उठाएं कदम को गलत बताते हुए अपने पति के पास लौट जाने की सलाह दी। लेकिन पिंकी पर उसके माता पिता की सलाह का कोई असर नहीं हुआ।

पिंकी के माता पिता ने उससे अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए। पिंकी को किसी तरह से कोई भी मदद देने से उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने सोचा शायद पैसों के अभाव में वह घर लौट आएगी पर ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि जितेन्द्र उसे पैसे से मदद करने लगा। जितेन्द्र के बार बार शहर आने की वजह से उसकी पत्नी को पता चल गया कि वह पिंकी से मिलने जाता है। उसने अपने पति पर लगाम लगाना शुरू किया। लेकिन वह भी जितेन्द्र के शहर आने जाने को रोक नहीं सकी। उसने अपने पति को पिंकी से दूर करने के लिए दूसरा रास्ता अपनाया।
उसकी पत्नी अब रूपये पैसे का हिसाब किताब रखने लगी। इस कारण जितेन्द्र अब पिंकी को हर महीने खर्चे के लिए बढ़ी रकम नहीं दे पाता था।


इधर पिंकी का खर्चा भी कोई कम नहीं था। माता पिता और पति से अलग होकर उसके शौक भी बढ़ गए थे। वह शराब और सिगरेट भी खूब पीने लगी थी। कहा जाता है कि उसे इसकी लत भी जितेन्द्र ने ही लगाई थी, ताकि वह उसकी कमजोरी बन जाएं और पिंकी उसके हाथों की कठपुतली।

पिंकी अपने शौक को पूरा करने के लिए आएं दिन जितेन्द्र से रूपये की डिमांड करने लगी। जितेन्द्र परेशान हो गया क्योंकि वह रोज रोज पिंकी को रूपये नहीं दे सकता था। इस बात पर कभी कभार दोनों में झगड़ा भी होने लगा। पिंकी अपने खर्चे को पूरा करने के लिए इधर उधर भटकने लगी।

इसी दौरान उसकी मुलाकात शहर में रहने वाली ऐसी लड़कियों से हुई जो अकेली रहकर अपना खर्च उठा रही थी। उन्हीं के कहने पर एक दिन पिंकी नागपुर चली गई। लेकिन वहां उसका मन नहीं लगा और वह वापस शहर लौट आई। यहां उसने आस्था कालोनी में एक मकान किराये से लेकर रहने लगी। पिंकी और जितेन्द्र के रिश्ते पहले की तरह ही बरकरार थे।

पिंकी के पिता का उससे बोलचाल खत्म हो चुका था लेकिन मां तो मां ही होती है। वह अपनी बेटी का हालचाल जानने के लिए कभी कभी ड्राइवर रामबाबू को भेंज दिया करती थी। आते जाते एक दिन रामबाबू की मुलाकात शहर में रामसिंह से हो गई। रामसिंह गुलाबगंज का छटा हुआ बदमाश था। उसके खिलाफ कई मामले थाने में दर्ज थे।
रामसिंह को भी वापस गुलाबगंज लौटना था। वह रामबाबू की कार में सवार हो गया। रामबाबू उसे लेकर पिंकी से मिलने चला गया, जिससे रामसिंह को पिंकी का ठिकाना पता चल गया। पिंकी पर उसकी भी नजर थी। उसे पता चल चुका था कि पिंकी अपने पति से अलग होकर अकेली ही शहर में रहती है। पिंकी का पता मिल जाने पर रामसिंह अक्सर पिंकी से मिलने आने लगा और रूपये पैसे से उसकी मदद करने लगा। पिंकी को भी रूपये की जरूरत थी। अपने शौक के लिए वह उससे रूपये लेने लगी। रामसिंह भी पिंकी की सभी फरमाईश तुरंत पूरी कर देता था। इससे पिंकी रामसिंह की तरफ झूकने लगी।

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वह मन ही मन रामसिंह और जितेन्द्र को तौलने लगी। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने वाला रामसिंह नजर आने लगा। पिंकी ने महसूस किया कि वह जितेन्द्र के साथ लंबे समय तक ऐश की जिंदगी नहीं बीता सकती है। लेकिन रामसिंह के बारे में अंतिम फैसला लेने से पहले वह जितेन्द्र को एक मौका और देना चाहती थी।
इसलिए एक दिन जब जितेन्द्र उससे मिलने आया तो पिंकी उससे बोली, ‘‘अब इस तरह कब तक चलेगा। तुम्हारे लिए मैंने अपने पति को छोड़ दिया। मैं तुम्हारी रखैल बनकर जिंदगी नहीं गुजार सकती, तुम्हें आज ही फैसला करना है कि तुम मुझसे शादी करके पत्नी का दर्जा दोगें की नहीं।’’

जितेन्द्र, पिंकी को चाहता तो था लेकिन उससे शादी करने का उसका कोई इरादा नहीं था। उसने किसी तरह से बात को टाल दिया। इसी तरह एक दो माह बीत गए। एक दिन पिंकी ने कहां, ‘‘तुम शादी के बाद मेरे साथ सप्ताह में तीन दिन और अपनी पहली पत्नी के पास सप्ताह में चार दिन रहना।’’

जितेन्द्र इसके लिए तैयार नहीं हुआ क्योंकि इस बात के लिए उसकी पत्नी हरगित तैयार नहीं होगी। इस पर पिंकी ने जितेन्द्र को अपने घर आने से मना कर दिया और रामसिंह को उसकी जगह अपनी जिदंगी में रख लिया। जितेन्द्र को जब पता चला कि रामसिंह उसकी गैरहाजरी में पिंकी से मिलता है तो उसे बुरा लगा। वह पिंकी को छोड़ना नहीं चाहता था। इसलिए मौका मिलते ही अपनी वासना की भूख मिटाने के लिए पिंकी के पास आकर उस पर दबाव बनाने लगा।

पिंकी को अब अपनी गलती का एहसास हो रहा था। उसके मातापिता ने सही कहा था कि जितेन्द्र उससे नहीं उसके शरीर से प्यार करता है। वह सिर्फ अपनी भूख मिटाने के लिए उसका इस्तेमाल कर रहा है। वह उस दिन को कोसने लगी जब पहली बार जितेन्द्र ने उसके साथ संबंध बनाकर प्यार का पहला एहसास दिलाया था।
अब बहुत देर हो चुकी थी। अपनी उन गलतियों को सुधारा नहीं जा सकता था पर आने वाले समय में सुधार तो किया जा सकता था। उसने मन ही मन सोचा यदि रामसिंह को पता चल गया कि जितेन्द्र अब भी उसके पास आता है तो वह भी पति की तरह उसे छोड़ देंगा।

रामसिंह से मिलने से पहले उसने एक युवक को अपना जीवन साथी चुन लिया था, लेकिन जितेन्द्र के चलते वह भी उससे दूर हो गया था। इसलिए पिंकी ने रामसिंह को अपनाने के बाद खुद ही रामसिंह को जितेन्द्र के घर पर आने और उसके साथ जोर जबरदस्ती करने की बात बता दी।

रामसिंह ने जितेन्द्र को चेतावनी दे दी कि अब वह पिंकी से दूर रहे वर्ना इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। जितेन्द्र भी कुछ कम नहीं था। उसने पिंकी पर अपना पहला हक जताते हुए उसके पास आना जारी रखा। न जाने पिंकी में क्या था जो उसे अपनी खूबसूरत पत्नी में नहीं मिलता था। उसी कमी को पूरा करने के लिए वह पिंकी के पास खींचा चला आता था।

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इधर पिंकी ने अब जितेन्द्र से पीछा छुड़ाने के लिए कमर कस ली। उसने निश्चय कर लिया कि अब वह जितेन्द्र को उसके जिस्म से मनमानी नहीं करने देगी।

घटना से एक दिन पहले जितेन्द्र ने जब पिंकी को फोन करके बताया कि वह उससे मिलने आ रहा है तो पिंकी ने उसे आने से साफ मना कर दिया। उसने साफ साफ शब्दों में कह दिया कि अब वह उससे मिलना नहीं चाहती है और न ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती है। अब उसे उसकी जरूरत नहीं है। वह रामसिंह को अपनाना चाहती है।

पिंकी की बात सुनकर, जितेन्द्र का खून खौल उठा। वह समझ गया कि अब उसकी गर्मी रामसिंह ही उतारता होगा। तभी तो उसे उसकी जरूरत नहीं है। उसने पिंकी को धमकाते हुए कहा कि मैं तुझ से मिलने कल आ रहा हूं। तेरे यह सब नखरें नहीं चलेंगे। तु मेरी है, मेरे सिवा तु किसी के साथ संबंध नहीं बनाएगी, समझी।

 जितेन्द्र की बातों से पिंकी समझ गई कि अपनी भूख मिटाने वह उससे मिलने जरूर आएगा। उसने रामसिंह को बताया कि कल जितेन्द्र उससे मिले आ रहा है। उसने उसे आने से मना किया फिर भी वह नहीं माना।
पिंकी की बात सुनकर रामसिंह को गुस्सा आ गया। उसने पिंकी से कहा, इस तरह से वह मानने वाला नहीं है। उसकी कोई व्यवस्था करनी पड़ेगी। दोनों ने फैसला किया कि यदि वह कल आता है तो उसे वापस लौटने का मौका ही नहीं देंगे।

जितेन्द्र पिंकी के लाख मना करने बावजूद उससे मिलने शहर पहुंच गया। पिंकी के घर पर रामसिंह को देखकर उसका गुस्सा बढ़ गया। वह रामसिंह से कुछ कहता इसके पहले ही पिंकी ने योजना के अनुसार उसे अपने साथ अंदर ले गई। पिंकी के व्यवहार से उसका गुस्सा शांत हो गया। पिंकी ने उसे चाय पीने के लिए दी। जिसमें उसने पहले ही नींद की गोली मिला दी थी।

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चाय पीते ही जितेन्द्र पर बेहोशी छाने लगी। जितेन्द्र पूरी तरह से बेहोश नहीं हुआ था। लेकिन पिंकी के मन में जितेन्द्र के लिए इतनी नफरत पैदा हो चुकी थी कि उसने जितेन्द्र के बेहोश होने तक का भी इंतजार नहीं किया और उस पर चाकू से वार कर दिया। हल्के होश में होने के कारण जितेन्द्र फड़फड़ाने लगा। यह देखकर रामसिंह आगे आया और दोनों ने मिल कर चाकू से उसका गला रेत कर जितेन्द्र की हत्या कर दी।

उनकी योजना के अनुसार राम बाबू और नेहा की मदद से जितेन्द्र की लाश को दूर कहीं ठिकाने लगाने की थी। इसके लिए उसने राम बाबू और नेहा को फोन करके बुला भी लिया। लेकिन वहां जाकर जब राम बाबू और नेहा को जितेन्द्र की हत्या का पता चला तो दोनों ने कोई न कोई बहाना बनाकर वहां से खिसक गए।

यह देखकर रामसिंह और पिंकी के हाथ पैर फूलने लगे। रामसिंह गुण्डा जरूर था पर आज तक उसने किसी की हत्या नहीं की थी। दोनों को इस बात का भी डर सताने लगा कि कहीं राम बाबू और नेहा पुलिस में जाकर उनकी शिकायत न कर दें। पुलिस के आने से पहले दोनों ने कमरे में ताला लगाया और वहां से फरार हो गए लेकिन पुलिस के हाथों अधिक समय तक नहीं बच सकें।

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रामसिंह के अनुसार, रामबाबू और नेहा के साथ न देने पर वह दोनों बहुत डर गए थे। इसलिए जितेन्द्र की लाश को घर पर ही छोड़कर स्टेशन के पास एक होटल में जाकर रूक गए। जहां दोनों ने दिन रात शराब पीकर जितेन्द्र की हत्या का जश्न मनाया या यह कह सकते हैं कि अपने डर को छुपाने की कोशिश की। उसके बाद दूसरे दिन अखबारों में हत्या की खबर पढ़कर यह जानने के बाद भी कि पुलिस उन दोनों को खोज रही है दोनों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। दूसरे दिन रामसिंह दिल्ली चला गया और नेहा के साथ पिंकी चली आई। उसके बाद वह रामसिंह के पास दिल्ली चली गई जहां से पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। (कहानी काल्पनिकता पर आधारित) (Copyright:All Rights dr. mk mazumdar)

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