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सेक्स सुख न मिलने पर की उसने हत्या

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साब, मैं बर्बाद हो गया. मेरी प्यारी पत्नी को कुछ लोग किडनेप करके ले गये है.... प्लीज आप लोग मेरी पत्नी को ढुढ़ दीजिए. मेरी पत्नी नहीं मिली तो मैं उसके बिना मर जाऊंगा.’’ कहते हुए वह युवक जोर-जोर से रोने लगा.

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने आने वाले युवक को सामने कुर्सी पर बैठाया. हवलदार से पानी का बाॅटल मंगवाया. उसे पानी पीने को दिया. युवक ने बाॅटल लेकर गटागट पानी पीते हुए पूरा बाॅटल खाली कर दिया.

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने उससे कहा, ‘‘अब तुम आराम से पूरी बात बताओ.’’

‘‘साब, मेरा नाम सुभाष सोनी है. लगभग डेढ़ साल पहले मैंने रूपाली से शादी की थी. गांव में मेरे घर के सामने हमारी किराणा दुकान हैं. मैं, मेरा भाई अनिल तथा पिता इस दुकान को संभालते है.

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कुछ दिनों से मेरे पत्नी रूपाली बीमार चल रही थी. उसका इलाज चल रहा था. मैं उसे लेकर हर सप्ताह डाक्टर के पास आता था. 25 अप्रैल को मैं सुबह-सुबह पत्नी को लेकर डाक्टर के यहां दिखाने के लिए निकला. दोपहर में डाक्टर ने पत्नी का चेकअप करने के बाद कुछ दवाईयां लिखकर दी और अगले सप्ताह चेकअप करवाने के लिए फिर से आने के लिए कहां.

थोड़ी देर में हम दोनों अस्पताल से निकल कर बस पकड़ने के लिए जा रहे थे. इतने में सफेद रंग की एक महिन्द्रा मैक्स जीप हमारे पास आकर रूकी. जीप के ड्राइवर ने पूछा, कहां जाना है?

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मैंने उससे कहां, हमे गांव जाना है. इस पर ड्राइवर ने कहा, चलो बैठो मैं भी उधर ही जा रहा हूं.

बस के धक्के से बचेगें और घर जल्दी पहुंच जाऐगे. यह सोचकर हम दोनों जीप में आगे की सीट पर बैठ गये.

जीप में ड्राइवर के अलावा चार लोग और बैठे थे. गाड़ी पुणे नाका पार करके आगे बढ़ी. इसके बाद एक युवक ने बैग में रखा तीन बाॅटल लिम्का की निकाली. उस युवक ने लिम्का की एक बाॅटल ड्राइवर को दी. दुसरी मुझे दी तथा तीसरी वह खुद पीने लगा. मैं लिम्का की बाॅटल नहीं लेना चाह रहा था. उन लोगों ने काफी आग्रह किया तो पत्नी ने बाॅटल ले लेने के लिए कहां.

उस लिम्का की बाॅटल में से हम दोनों आधी- आधी लिम्का पी गए. साब, वह लिम्का पीना मेरे लिए मंहगा पड़ गया. लिम्का पीने के बाद मुझे धीरे-धीरे नशा छाने लगा और मैं पूरी तरह से बेहोश हो गया. साब, दो दिन तक मुझे कोई होश नहीं था. साब, आज दो दिन बाद अभी थोड़ी देर पहले मुझे होश आया, तो मैं पत्नी के गुम होने की सूचना देने चला आया. पत्नी को किडनेप करने के अलावा मेरा 13000 रूपये का मोबाइल भी ले गए है. साब, मैं आपके पैर पकड़ता हूं. आप मेरी बीबी को जल्दी से जल्दी ढुढ़ कर ला दें. पता नहीं मवाली लोग मेरी पत्नी के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होगे. सोच-सोच कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही हैं.’’ इतना कहता हुआ वह युवक ने वपुनि के पैर पकड़ लिए.

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वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने सुभाष सोनी के दोनों हाथ पकड़ कर उठाया. ‘‘तुम बेफ्रिक रहो, मैं जल्दी ही तुम्हारी पत्नी को ढुढ़ने की कोशिश करता हूं.’’ पुलिस ने सुभाष सोनी द्वारा दिए गये बयान पर मामला तो दर्ज कर लिया पर जब उस केस की स्टडी की तो पता चला कि मामला सोलापूर का है. इसलिए इसकी पूरी जांच सोलापूर पुलिस ही कर सकती हैं. पुणे पुलिस स्टेशन के वपुनि ने सुभाष सोनी से कहा, क्योंकि मामला सोलापूर में घटी है. इसलिए सोलापूर पुलिस को इस बारे में पहले सूचना करवाये.

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उनकी बात सुनकर सुभाष सोनी सोलापूर के पुलिस स्टेशन पर पहुंचा. उसने पूरी घटना एक बार फिर से वहां के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को बतायी. वपुनि ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने मामला दर्ज कर लिया और इस कैस की जांच का कार्य इंस्पेक्टर मनोज को दे दिया.

रिपोर्ट लिखवाने के बाद सुभाष सोनी ने अपने घर पर अपने पिता और रूपाली के परिजन को फोन करके घटना के बारे में पूरी जानकारी दे दी.

रूपाली के अपहरण के बारे में जानकर सभी को दुख हुआ. उन्होंने सुभाष सोनी को वहीं रूकने के लिए कहा. कुछ समय बाद ही सभी पुलिस स्टेशन पहुंच गये. और इंस्पेक्टर मनोज को तुरंत कार्य करने की मांग की.

इंस्पेक्टर मनोज ने उनसे कहा, ‘‘परेशान होने की जरूरत नहीं पुलिस रूपाली को जल्दी ही खोज निकालेगी.’’


इंस्पेक्टर मनोज ने सुभाष सोनी द्वारा दी गयी जानकारी को बारिकी से पढ़ा. कोल्ड ड्रिक में बेहोशी की दवा मिला कर देने की वजह से सुभाष सोनी को दो दिनों तक होश नहीं आया. यह बात इंस्पेक्टर मनोज को सही नहीं लगी. क्योंकि सुभाष सोनी की शारीरिक हालत देखकर नहीं लग रहा था कि वह दो दिनों तक बेहोश पड़ा था. दुसरी बात यह भी आ रही थी कि क्या रूपाली स्वयं किसी के साथ भाग गयी हो?


पुलिस ने सबसे पहले यह पता लगाया, क्या सुभाष सोनी घटना के दिन अपनी पत्नी को लेकर, अस्पताल में गया था कि नहीं. वहां रजिस्टर में चेक करने पर पता चला, सुभाष, अपनी को लेकर डाक्टर के पास चेक करवाने के लिए आया था. इसके बावजूद इंस्पेक्टर मनोज के दिमाग में सुभाष सोनी को लेकर कुछ गड़बड़ संकेत दे रहे थे. उन्हें सुभाष सोनी की बातों पर कुछ न कुछ शक जरूर हो रहा था.

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उन्होंने सुभाष सोनी को बुलाकर पूछा, ‘‘जब तुम्हें होश आया, उस वक्त कहां थे?’’

सुभाष बोला, ‘‘मैं सूनसान जंगल में पड़ा था. वहां से चलते-चलते किसी तरह से शहर के पास तक पहुंचा.’’

‘‘चलो हम वह जगह देखना चाहेंगे....’’ इंस्पेक्टर मनोज ने कहां.

यह सुनकर सुभाष सोनी के होश उड़ गये. सुभाष सोनी के चेहरे का रंग देखकर समझ गये दाल में कुछ काला है.

सुभाष सोनी ने खुद को संभालते हुए कहां, ‘‘साब, मैं निश्चित जगह तो बता नहीं सकता हूं, फिर भी कोशिश कर सकता हूं.’’

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इंस्पेक्टर मनोज ने पुलिस की जीप निकलवायी और अपने साथ प्रशांत, उसके पिता व अन्य परिजनों के साथ सुभाष सोनी द्वारा बताये गये रास्ते पर चल पड़े. सुभाष सोनी जो-जो रास्ता बताता जाता, जीप उस रास्ते दौड़ने लगती. सुबह से शाम हो गयी पर सुभाष सोनी वह जगह नहीं बता पाया जहां पर वह बेहोश पड़ा हुआ था.

शाम को पांच बजने वाले थे. इंस्पेक्टर मनोज ने सुभाष सोनी से कहा, ‘दिनभर से तेरा नाटक देख चुका हूं. तू अब सीधे-सीधे बता दे कि रूपाली कहां है?’’

‘‘साब, मेरी बीबी का अपहरण हो गया है. उल्टा आप मुझ पर शक कर रहे है. साब, रूपाली को मैं जान से ज्यादा चाहता था. उसके बिना मैं जीना सोच नहीं सकता ......’’ सुभाष सोनी आगे और कुछ बोलना चाहता था. इंस्पेक्टर मनोज ने बीच में ही रोकते हुए कहा, ‘‘तु अपनी बकवास छोड़. मैं सब कुछ समझ चुका हूं. अगर तूने रूपाली के बारे में अभी कुछ नहीं बताया तो तुझे इस जंगल में ले जाकर इतना मारूगा की तेरी आवाज सुनकर जंगल भी कांप उठेगा.’’ मनोज ने अपने हाथ में रखे बेंत को नचाते हुए कहा.

‘‘साब, ...’

‘‘साब, बाव कुछ नहीं..... रूपाली कहां है?’’

‘‘... वहीं तो बता रहा हूं साब, ....’ इसके बाद सुभाष सोनी ने रूपाली के बारे में सारी हकीकत बयान कर दी.

‘‘साब, लगभग डेढ साल पहले मेरा रूपाली के साथ विवाह हुआ था. रूपाली दिखने में काफी खूबसूरत थी. खूबसूरत बीबी को पाकर मैं अपने आपको धन्य समझ रहा था. साब, मेरे से दिनभर हंसी खुशी से बात करती थी. घर काम भी अच्छा करती थी. मेरे माता-पिता की भी काफी सेवा करती थी. लेकिन साब, उसमें एक बुराई थी, जिसकी वजह से मैं काफी परेशान था. उसे हर तरीके से मनाने की कोशिश की, पर उसे मना नहीं पाया. आखिर में जब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया तो मुझे जघंन्य कदम उठाना पड़ा.’’

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साब, आपको विश्वास नहीं होगा. वो आपसी संबंध बनाने से दूर भागती थी. संबंध बनाना तो छोड़ो मुझे शरीर के किसी हिस्से में हाथ लगाने नहीं देती थी. पति होने की वजह से मैं यदि उस पर दबाव डालने की कोशिश करता तो वो जोर-जोर से चिल्लाने की कोशिश करती. ऐसे में मुझे रूक जाना पड़ता था.

वो धमकी भी देती थी, अगर उसने उसके साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की तो वह मायके चली जायेगी और कभी लौटकर नहीं आयेगी.


साब, मैं उससे प्यार करने लगा था. मैंने सोचा, धीरे धीरे उसकी समझ में आ जायेगा कि शादी क्या होता है? पति क्या होता है? शादी और आपसी संबंध क्यों जरूरी है? धीरे-धीरे एक साल गुजर गये. मगर में उसे राजी नहीं कर पाया. डाक्टर को भी जब इस बारे में बताया, तो उन्होंने कहा, ऐसी कोई बड़ी प्राॅब्लम नहीं है. प्यार मनुहार से राजी कर सकते हो.

समय बितता गया. समय के साथ-साथ दुनिया में हर चीज़ में परिवर्तन हो रहा था. सिर्फ रूपाली में परिवर्तन नहीं देख रहा था. उसकी खूबसूरती में तो निखार आ रहा था मगर स्साली बिगडैल घोड़ी थी. आज तक मुझे चढ़ने नहीं दी. मैं उसे जितने प्यार से पुकारता वह उतना ही भड़क उठती. कितने प्यार से पुचकार कर हर तरह के उपाय अजमा डाले, पर एक भी फार्मुला काम नहीं आया.


इस बीच रूपाली की तबीयत कुछ गड़बड़ हो गयी. डाक्टर के पास इलाज चालू हुआ. मैं उसे अक्सर सोलापूर में इलाज करवाने के लिए ले आता था. मेरे दिमाग में यह बात हमेशा गूंजती रहती थी. मैं उसकी इतनी सेवा करता हूं. उसे खुश रखने के उपाय करता हूं. लेकिन स्साली इसके बावजूद मेरे बारे में कुछ नहीं सोचती.

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उस दिन भी मैं रूपाली को लेकर सोलापूर आया. यहां डाक्टर से चेकअप के बाद मैंने रूपाली से कहा, क्यों न हम दोनों कुछ दिनों के लिए हैदराबाद घुम आये. रूपाली इसके लिए राजी हो गयी. रूपाली के मोबाइल फोन से हैदराबाद जाने की बात मैंने अपने घर पर बता दी और कहां दो दिन बाद हम लौटकर आयेगे.

हम दोनों हैदराबाद पहुंचे. वहां फिल्मसीटी घूमने के बाद वहां से पैदल चलते हुए रास्ते पर स्थित एक पेट्रोल पम्प तक आये. वहां से मुझे सामने एक पहाड़ी और सूनसान जगह दिखायी दी. मैंने रूपाली से कहा, उस पहाड़ी के पास किसी बढ़ी हिन्दी फिल्म की शूटिंग हो रही है. चल कर देख लेते हैं.

रूपाली ने मना करते हुए कहा, इतनी दूर जाने की क्या जरूरत है. दिन में कई शूटिंग देख चुके हैं.

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मैंने उसे किसी तरह से मनाया. मैंने उससे कहा, रात के 11-12 बजे के पहले यहां से सोलापूर जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं है. इतनी देर में हम शुटिंग भी देख लेगें. वह राजी हो गयी.

जब मैं उसे पहाड़ी की ओर ले जा रहा था. उस वक्त दिन ढलने लगा था. जंगल का रास्ता एकदम सूनसान था. चलते-चलते काफी दूर चले आये. जब रूपाली को लगा, दूर-दूर तक शूटिंग कहीं नजर नहीं आ रही है तो वह मेरे पर भड़क उठी. कहां, बेवकूफ की तरह लेकर चले जा रहे हो.

‘‘मैं तुझे सही लेकर जा रहा हूं? अब सूनसान जगह पर तुझे ही सीधे ऊपर शूटिंग देखने के लिए भेंज देता हूं.’’ इतना कहकर सुभाष ने रूपाली को पकड़ कर पटक दिया.

अचानक यह क्या हो रहा है. रूपाली कुछ समझ नहीं पायी. रूपाली को पटकने के बाद सुभाष सोनी उसके सीने पर चढ़कर बैठ गया और उसका गला दबाने लगा. मासूम रूपाली बेहरम सुभाष सोनी के क्रूर पंजों से खुद को छुड़ा नहीं सकी. थोड़ी देर झटपटाने के बाद वह शांत हो गयी.

रूपाली की हत्या करने के बाद वह वहां से पेट्रोल पम्प तक आया. वहां पर उसने कहां, गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है. यह कह कर उसने दो बिसलरी बोतल में पेट्रोल लिया. पास में स्थित पान की दुकान से एक माचिस खरीदा और फिर से वहां पहुंच गया जहां उसने रूपाली की हत्या की थी.

उसने रूपाली के सारे शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर माचिस जलाकर आग लगा दी. रूपाली का मृत शरीर धू-धू कर जलने लगा. रूपाली का शरीर जलता हुआ छोड़कर वहां से रिर्टन मेन रोड पर चला आया.

मेन रोड पर आकर एक ट्रक में बैठकर हैदराबाद आया. रास्ते में उसने रूपाली का मंगलसूत्र, मोबाइल फोन फैंक दिया. मोबाइल फोन फेंकने के पहले उसने उसमें से सिम कार्ड निकाला और तोड़ कर फेंक दिया. आते समय रास्ते में उसने मन ही मन रूपाली के किडनेप होने का प्लान बनाया. पूरी घटना सुनाने के बाद सुभाष सोनी फूट-फूट कर रोने लगा.

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साब, मैं रूपाली को बहुत प्यार करता था. मैं उसकी हत्या करना नहीं चाहता था. पता नहीं मेरे अंदर कौन-सा शैतान घुस आया जो मैं उसकी हत्या कर बैठा. साब, मुझे जेल में भेंजवा दो. अदालत से मुझे फांसी देने के लिए कह दो. तभी मुझे मुक्ती मिल सकती हैं. मैं भी रूपाली के पास जाना चाहता हूं.

पुलिस ने सुभाष सोनी को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस हैदराबाद पहुंची. सुभाष सोनी की निशानदेही पर वहां पहाड़ी जंगल में रूपाली के मृत शरीर को ढुढ़ निकाला. रूपाली की पहचान उसके पैरों में पहने चांदी की पायल और उसके द्वारा पहने गुलाबी रंग की साड़ी का जला हुआ टुकड़ा भी बरामद किया.



सुभाष सोनी के माता-पिता और उसके सास-ससुर को सुभाष सोनी द्वारा रूपाली की हत्या करने की बात पर बहुत आश्चर्य हुआ. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सुभाष सोनी इतना क्रूर व जघन्य अपराध कर सकता हैं.

हत्या की वजह जो भी रही हो, हत्या करना एक कानूनी अपराध है. हत्या जैसे अपराध करके आज तक कोई भी कानून की नजर से बच नहीं पाया है. सुभाष सोनी सजा से बच सकता था. अपनी पत्नी की हत्या करने से भी बच सकता था, यदि उसने अपनी समस्या को अपने परिवार वालो से की होती. रूपाली द्वारा किए जा रहे व्यवहार के बारे में उसके परिजनों से की होती तो शायद इस समस्या का हल आसानी से निकल सकता था. इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते है पारिवारिक समस्या होने पर मिल बैठकर उसका हल ढुढ़ना चाहिए. (Copyright:All Rights dr. mk mazumdar)


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